कोलकाला : पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बीच की कोलकाता की 'टायरेटा बाजार' चर्चा में है. इसे चाइनीज मार्केट के भी नाम से जाना जाता है. टायरेटा बाजार पश्चिम बंगाल की मिलीजुली संस्कृति का एक आदर्श उदाहरण पेश करती है. टायरेटा बाजार को कोलकाता में शांति का प्रतीक माना जाता है.
चीनी नागरिकों की यह कॉलोनी 1960 के दशक में कोलकाता में बसाई गई थी. चीन से आने वाले लोगों ने इस कॉलोनी को विकसित किया था और इसे अपना निवास स्थान बनाया था. हालांकि, अब ये सभी भारतीय नागरिक बन गए हैं. ये लोग अब बंगाल के मतदाता भी हैं. उन्हें राज्य या देश के नक्शे से अलग नहीं किया जा सकता है.
विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान यहां दीवारों पर चाइनीज भाषा में पेंटिंग बनाई है, जो लोगों को आकर्षित कर रही है. जिससे यह क्षेत्र चुनाव में सबसे अलग दिखाई पड़ रहा है.
चीनी मूल के लोगों का समूह 1930 में यहां आना शुरू हुआ, जो 1940 के दशक में और बढ़ गया. चीन में गृहयुद्ध (1927-1949) और चीन-जापान युद्ध (1937-1945) के चलते ही इन लोगों को चीन से पलायन करना पड़ा, क्योंकि चीन में आंतरिक सुरक्षा की कमी और खाद्य का संकट पैदा हो गया था. इनमें से कुछ लोग दक्षिण पूर्व एशिया में पलायन किए और अन्य भारत में आए.
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एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत आने वाले ये चीनी प्रवासी अब टायरेटा बाजार के स्थाई निवासी हैं. उनके पास पैन कार्ड और आधार कार्ड जैसे नागरिकता के आवश्यक दस्तावेज भी हैं. ये सभी मतदान प्रक्रिया में भी भाग लेते हैं.