श्रीनगर : बीस साल में तैंतीस करोड़ रुपये (Thirty-three crore rupees) खर्च हो जाने के बावजूद चरारी शरीफ की भव्य मस्जिद (Grand Mosque of chrari sharief) का हालत काफी खस्ता बनी हुई है, जिसके चलते प्रशासन ने इसे बंद कर दिया है.
जब मस्जिद निर्माण में इतनी बड़ी राशि खर्च हो जाए और लगभग बीस साल का समय निर्माण में लग जाए और उसके बाद निर्माण में किसी तरह की कमी पाई जाए, तो इसे प्रशासन की बड़ी लापरवाही ( negligence of the administration) के अलावा कुछ और नहीं माना जा सकता है.
कश्मीर के प्रसिद्ध सूफी संत शेख नूर-उद-दीन नूरानी के अस्तान-ए-आलिया के सामने बनी जामिया मस्जिद (Jamia Masjid) की पहली मंजिल हिल रही थी. इसकी शिकायत स्थानीय लोगों ने प्रशासन से की, जिसके बाद एनआईटी श्रीनगर की एक टीम ने मस्जिद पहुंची. जहां उन्होंने मस्जिद की स्लैब में दरारें देखीं.
जांच के बाद टीम ने प्रशासन को रिपोर्ट जमा की. इसके बाद प्रशासन ने सामूहिक सभा के लिए मस्जिद को बंद कर दिया.
स्थानीय लोगों के अनुसार स्लैब 5 साल पहले वाइबरेट करना शुरू दिया था और पिछले साल जब एलजी मनोज सिन्हा (LG Manoj sinha) ने दरगाह का दौरा किया, तो लोगों ने मस्जिद की स्थिति के बारे में शिकायत की.
एलजी ने तब ऑडिट का आदेश दिया और एनआईटी श्रीनगर ने निर्माण का निरीक्षण किया और कुछ दिनों से पहले उन्होंने जिला प्रशासन को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें उन्होंने कहा कि मस्जिद बड़ी सभाओं को संभाल नहीं सकती है.
रिपोर्ट मिलने के बाद प्रशासन ने मस्जिद को बंद कर दिया. मस्जिद बंद होने के बाद लोग स्टील शेड लगाकर (steel shed) उसके अंदर नमाज अदा करने लगे. लोग सवाल करते हैं कि ऐसी मस्जिद, जिसके निर्माण में इतना अधिक पैसा खर्च हुआ है, निर्माण के दौरान निगरानी क्यों नहीं की गई.
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उन्होंने प्रशासन से विशेष रूप से एलजी प्रशासन से मामले को देखने और निर्माण में शामिल लोगों के खिलाफ जांच बैठाने की अपील की.
उल्लेखनीय है कि 1995 में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई फायरिंग के दौरान जामिया मस्जिद और अस्तान ए आलिया (Astan e aalia ) सहित दर्जनों आवासीय घर लपेटे में आ गए थे.
राज्य के तत्कालीन सीएम ने आस्तान ए आलिया और मस्जिद के निर्माण का आदेश दिया और मस्जिद का निर्माण कार्य वर्ष 2002 में शुरू हुआ और परियोजना JKPCC को दी गई थी.