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कांग्रेस पर अध्यादेश पर रुख स्पष्ट करने का दबाव बना रही AAP : दीपक बाबरिया

दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया ने आज आम आदमी पार्टी (AAP) की जमकर आलोचना की. उन्होंने कहा कि पार्टी को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए.

AICC in-charge Deepak Babaria
एआईसीसी प्रभारी दीपक बाबरिया
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Published : Jul 10, 2023, 2:20 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस ने सोमवार को आप की आलोचना करते हुए कहा कि नई पार्टी को 2024 के राष्ट्रीय चुनावों के लिए विपक्षी एकता से संबंधित अपने शब्दों और कार्यों पर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए. उन्हें आत्मनिरीक्षण करना होगा जो वह कर रहे हैं. सार्वजनिक जीवन में विश्वसनीयता बहुत जरूरी है. उनकी जमीनी स्तर की गतिविधि और उनका उपदेश पीएम मोदी की तरह बिल्कुल अलग हैं. यही तो उन्हें निरीक्षण करना है. अंततः किसी भी पार्टी या व्यक्ति का मूल्यांकन उसके उपदेशों से नहीं बल्कि उसके कार्यों से किया जाता है. दिल्ली के एआईसीसी प्रभारी दीपक बाबरिया ने कहा, 'नागरिकों से लेकर पुराने राजनीतिक दलों तक वे आपके कार्यों से आपका मूल्यांकन करेंगे.'

कांग्रेस के दिग्गज नेता की टिप्पणी आप के संस्थापक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस दावे के कुछ दिनों बाद आई है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि सबसे पुरानी पार्टी ने उन्हें आश्वासन दिया था कि वह 20 जुलाई को संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से 15 दिन पहले विवादास्पद अध्यादेश पर अपना रुख साफ कर देगी.

केजरीवाल ने पिछले सप्ताह कहा था, 'इसलिए, हम कांग्रेस के रुख का इंतजार कर रहे हैं.' विवादास्पद अध्यादेश अधिकारियों को नियुक्त करने की दिल्ली के मुख्यमंत्री की शक्ति को छीन लेता है. केजरीवाल संसद के मानसून सत्र के दौरान विभिन्न विपक्षी दलों से उक्त अध्यादेश को रद्द करवाने का आग्रह करते हुए समर्थन जुटा रहे हैं.

23 जून को पटना में विपक्ष की पहली बैठक के बाद केजरीवाल ने कहा था कि जब तक कांग्रेस दिल्ली अध्यादेश का सार्वजनिक रूप से विरोध नहीं करती तब तक आप बेंगलुरु सम्मेलन में शामिल नहीं होगी. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पटना बैठक के दौरान, पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने केजरीवाल से स्पष्ट रूप से कहा था कि सबसे पुरानी पार्टी अन्य समान विचारधारा वाले दलों के साथ अध्यादेश पर चर्चा करेगी और मानसून सत्र शुरू होने पर अपने रुख को अंतिम रूप देगी.

खड़गे और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि विपक्ष की बैठक 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय एकता बनाने के लिए थी, न कि अध्यादेश पर चर्चा करने के लिए. नाराज खड़गे ने केजरीवाल से यह भी कहा था कि आप नेता पटना बैठक से कुछ दिन पहले अनावश्यक रूप से भड़काऊ टिप्पणियां कर रहे थे.

ये भी पढ़ें-महात्मा गांधी की विरासत को नष्ट करना चाहते हैं PM: कांग्रेस

कांग्रेस सूत्रों ने सोमवार को कहा कि खड़गे ने मानसून सत्र से 15 दिन पहले अध्यादेश पर पार्टी का रुख साफ करने का कभी कोई आश्वासन नहीं दिया और आप इस मुद्दे पर केवल दबाव की रणनीति अपना रही है. बाबरिया ने कहा, 'वे शायद सोच रहे होंगे कि यह उनके लिए अच्छा होगा.' कांग्रेस मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा,'इतनी जल्दी क्यों है. उन्हें सबसे पहले दिल्ली में बारिश के असर की चिंता करनी चाहिए. थोड़ा धैर्य हमेशा अच्छा होता है.' कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, केजरीवाल की राजनीति हैरान करने वाली थी.

एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा,' एक तरफ आप संस्थापक भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर वह चुनावी राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अभियान शुरू कर रहे हैं जहां कांग्रेस को भाजपा पर बढ़त मिलती दिख रही है. चूंकि आप की उन राज्यों में बहुत कम उपस्थिति है, इसलिए यह अंततः कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाएगी.'

इससे परोक्ष रूप से भाजपा को मदद मिलेगी जो तीनों राज्यों में मजबूत नहीं दिख रही है. आम आदमी पार्टी ने गोवा, उत्तराखंड, गुजरात में भी यही किया. वे कर्नाटक भी गए लेकिन उन्हें नोटा विकल्प से भी कम वोट मिले. साथ ही वे विपक्षी एकता की भी बात करते हैं.'

नई दिल्ली: कांग्रेस ने सोमवार को आप की आलोचना करते हुए कहा कि नई पार्टी को 2024 के राष्ट्रीय चुनावों के लिए विपक्षी एकता से संबंधित अपने शब्दों और कार्यों पर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए. उन्हें आत्मनिरीक्षण करना होगा जो वह कर रहे हैं. सार्वजनिक जीवन में विश्वसनीयता बहुत जरूरी है. उनकी जमीनी स्तर की गतिविधि और उनका उपदेश पीएम मोदी की तरह बिल्कुल अलग हैं. यही तो उन्हें निरीक्षण करना है. अंततः किसी भी पार्टी या व्यक्ति का मूल्यांकन उसके उपदेशों से नहीं बल्कि उसके कार्यों से किया जाता है. दिल्ली के एआईसीसी प्रभारी दीपक बाबरिया ने कहा, 'नागरिकों से लेकर पुराने राजनीतिक दलों तक वे आपके कार्यों से आपका मूल्यांकन करेंगे.'

कांग्रेस के दिग्गज नेता की टिप्पणी आप के संस्थापक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस दावे के कुछ दिनों बाद आई है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि सबसे पुरानी पार्टी ने उन्हें आश्वासन दिया था कि वह 20 जुलाई को संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से 15 दिन पहले विवादास्पद अध्यादेश पर अपना रुख साफ कर देगी.

केजरीवाल ने पिछले सप्ताह कहा था, 'इसलिए, हम कांग्रेस के रुख का इंतजार कर रहे हैं.' विवादास्पद अध्यादेश अधिकारियों को नियुक्त करने की दिल्ली के मुख्यमंत्री की शक्ति को छीन लेता है. केजरीवाल संसद के मानसून सत्र के दौरान विभिन्न विपक्षी दलों से उक्त अध्यादेश को रद्द करवाने का आग्रह करते हुए समर्थन जुटा रहे हैं.

23 जून को पटना में विपक्ष की पहली बैठक के बाद केजरीवाल ने कहा था कि जब तक कांग्रेस दिल्ली अध्यादेश का सार्वजनिक रूप से विरोध नहीं करती तब तक आप बेंगलुरु सम्मेलन में शामिल नहीं होगी. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पटना बैठक के दौरान, पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने केजरीवाल से स्पष्ट रूप से कहा था कि सबसे पुरानी पार्टी अन्य समान विचारधारा वाले दलों के साथ अध्यादेश पर चर्चा करेगी और मानसून सत्र शुरू होने पर अपने रुख को अंतिम रूप देगी.

खड़गे और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि विपक्ष की बैठक 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय एकता बनाने के लिए थी, न कि अध्यादेश पर चर्चा करने के लिए. नाराज खड़गे ने केजरीवाल से यह भी कहा था कि आप नेता पटना बैठक से कुछ दिन पहले अनावश्यक रूप से भड़काऊ टिप्पणियां कर रहे थे.

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कांग्रेस सूत्रों ने सोमवार को कहा कि खड़गे ने मानसून सत्र से 15 दिन पहले अध्यादेश पर पार्टी का रुख साफ करने का कभी कोई आश्वासन नहीं दिया और आप इस मुद्दे पर केवल दबाव की रणनीति अपना रही है. बाबरिया ने कहा, 'वे शायद सोच रहे होंगे कि यह उनके लिए अच्छा होगा.' कांग्रेस मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा,'इतनी जल्दी क्यों है. उन्हें सबसे पहले दिल्ली में बारिश के असर की चिंता करनी चाहिए. थोड़ा धैर्य हमेशा अच्छा होता है.' कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, केजरीवाल की राजनीति हैरान करने वाली थी.

एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा,' एक तरफ आप संस्थापक भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर वह चुनावी राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अभियान शुरू कर रहे हैं जहां कांग्रेस को भाजपा पर बढ़त मिलती दिख रही है. चूंकि आप की उन राज्यों में बहुत कम उपस्थिति है, इसलिए यह अंततः कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाएगी.'

इससे परोक्ष रूप से भाजपा को मदद मिलेगी जो तीनों राज्यों में मजबूत नहीं दिख रही है. आम आदमी पार्टी ने गोवा, उत्तराखंड, गुजरात में भी यही किया. वे कर्नाटक भी गए लेकिन उन्हें नोटा विकल्प से भी कम वोट मिले. साथ ही वे विपक्षी एकता की भी बात करते हैं.'

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