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Special Session Of Parliament: संसद के विशेष सत्र को लेकर रहस्य अभी भी बरकरार, देश के नाम पर हो सकता है मंथन - जी20 शिखर सम्मेलन

जी20 शिखर सम्मेलन पर रात्रिभोज के लिए देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा एक निमंत्रण पत्र जारी किया गया, जिसमें इंडिया की जगह पर भारत शब्द का इस्तेमाल किया गया. इसके सामने आते ही राजनीति शुरू हो गई. इस पर पढ़ें ईटीवी भारत की संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट...

BJP National General Secretary Tarun Chugh
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 5, 2023, 9:33 PM IST

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग से बातचीत

नई दिल्ली: क्या संसद के विशेष सत्र में केंद्र सरकार इंडिया को सिर्फ भारत करने का संविधान में संशोधन का प्रस्ताव ला सकती है. ये बात सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन चुकी है. वैसे भी इस पर भाजपा के नेता नरेश बंसल संसद में प्राइवेट मेंबर बिल के दौरान ये मुद्दा उठा चुके हैं. इसके अलावा भी बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह यादव और संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी ये मुद्दा उठाया जिसके बाद इस मामले पर सरकार भी गंभीर नजर आ रही है.

ऐसा इसलिए क्योंकि राष्ट्रपति की तरफ से जो जी20 से संबंधित निमंत्रण दिए गए हैं, उसमें भी भारत लिखा है, जिस पर अब विपक्ष भी सरकार से सवाल उठा रही है. सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है, जिसमें सूत्रों की माने तो इस सत्र में इस प्रस्ताव से जुड़े बिल को लाने की मांग जो पहले से ही बीजेपी नेता कर रहे हैं, संभावना है कि सरकार संविधान में संशोधन का प्रस्ताव ले आए.

सूत्रों की माने तो इस सत्र में सरकार जी-20 के सफल आयोजन, चंद्रयान-3 और आदित्य-मिशन के अलावा आजादी के अमृत काल में 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के रोडमैप पर चर्चा कर सकती है, मगर राजनीतिक हलकों में चर्चा इस बात की भी है कि इस सत्र में सरकार वन नेशन वन इलेक्शन के साथ-साथ भारत का नाम सिर्फ भारत कर इंडिया हटाने के संबंध में संशोधन कर सकती है.

इसके अलावा कयास यह भी लगाया जा रहा है कि एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर भी सरकार कदम बढ़ा सकती है. चूकि संसद के विशेष सत्र का आधिकारिक एजेंडा अभी जारी नहीं हुआ है, ऐसे में संभावना ये भी जताई जा रही है कि संसद के विशेष सत्र में इंडिया की जगह सिर्फ भारत करने से संबंधित संविधान में संशोधन का प्रस्ताव लाया जा सकता है. दरअसल भारतीय संविधान के अनुच्छेद-1 में भारत को लेकर दी गई परिभाषा में 'इंडिया, दैट इज भारत' यानी 'इंडिया अर्थात भारत' का इस्तेमाल किया गया है.

यदि सरकार प्रस्ताव लाती है तो इसी अनुच्छेद में संशोधन किए जायेंगे. संघ प्रमुख मोहन भागवत की तरफ से उठाए गए इस मुद्दे के बाद अब बीजेपी के नेता भी भारत के नाम से इंडिया हटाने की मांग पर लगातार आवाज उठा रहे हैं. संसद के मॉनसून सत्र में भी राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने इंडिया शब्द को औपनिवेशिक गुलामी का संकेत बताते हुए संविधान में निहित इंडिया दैट इज भारत, हटाकर सिर्फ भारत करने की मांग उठाई थी और इसी तरह की मांग सांसद हरनाथ सिंह यादव ने भी उठाई थी.

हालांकि राष्ट्रपति की तरफ से जी20 शिखर सम्मेलन के लिए भेजे गए निमंत्रण पत्र में भारत लिखे जाने पर विपक्षी सवाल उठा रहे है, जिस पर बोलते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग का कहना है कि भारत बोलने और लिखने पर आखिर क्या दिक्कत है. कांग्रेस के नेताओं को भारत कहने में क्यों शर्म आती है. कांग्रेस के नेताओं को कभी भारत माता कहने में गुरेज है, कभी वंदे मातरम कहने में दिक्कत है.

उन्होंने आगे सवाल किया कि आखिर कांग्रेस को क्यों शर्म आती है भारत को भारत माता कहने में. उन्होंने कहा कि भारतीय कहलाने में कांग्रेसियों को क्यों शर्म आती है. बीजेपी नेता तरुण चुग का कहना है कि देशवासियों के डीएनए में और कण-कण में भारत है, जिसका विरोध कांग्रेस नहीं कर पाएगी. सत्ताधारी पार्टी की तरफ से बार-बार उठाए जा रहे हैं और इस मसले ने भारत से इंडिया हटाने की मांग को और तूल दे दिया है.

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग से बातचीत

नई दिल्ली: क्या संसद के विशेष सत्र में केंद्र सरकार इंडिया को सिर्फ भारत करने का संविधान में संशोधन का प्रस्ताव ला सकती है. ये बात सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन चुकी है. वैसे भी इस पर भाजपा के नेता नरेश बंसल संसद में प्राइवेट मेंबर बिल के दौरान ये मुद्दा उठा चुके हैं. इसके अलावा भी बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह यादव और संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी ये मुद्दा उठाया जिसके बाद इस मामले पर सरकार भी गंभीर नजर आ रही है.

ऐसा इसलिए क्योंकि राष्ट्रपति की तरफ से जो जी20 से संबंधित निमंत्रण दिए गए हैं, उसमें भी भारत लिखा है, जिस पर अब विपक्ष भी सरकार से सवाल उठा रही है. सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है, जिसमें सूत्रों की माने तो इस सत्र में इस प्रस्ताव से जुड़े बिल को लाने की मांग जो पहले से ही बीजेपी नेता कर रहे हैं, संभावना है कि सरकार संविधान में संशोधन का प्रस्ताव ले आए.

सूत्रों की माने तो इस सत्र में सरकार जी-20 के सफल आयोजन, चंद्रयान-3 और आदित्य-मिशन के अलावा आजादी के अमृत काल में 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के रोडमैप पर चर्चा कर सकती है, मगर राजनीतिक हलकों में चर्चा इस बात की भी है कि इस सत्र में सरकार वन नेशन वन इलेक्शन के साथ-साथ भारत का नाम सिर्फ भारत कर इंडिया हटाने के संबंध में संशोधन कर सकती है.

इसके अलावा कयास यह भी लगाया जा रहा है कि एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर भी सरकार कदम बढ़ा सकती है. चूकि संसद के विशेष सत्र का आधिकारिक एजेंडा अभी जारी नहीं हुआ है, ऐसे में संभावना ये भी जताई जा रही है कि संसद के विशेष सत्र में इंडिया की जगह सिर्फ भारत करने से संबंधित संविधान में संशोधन का प्रस्ताव लाया जा सकता है. दरअसल भारतीय संविधान के अनुच्छेद-1 में भारत को लेकर दी गई परिभाषा में 'इंडिया, दैट इज भारत' यानी 'इंडिया अर्थात भारत' का इस्तेमाल किया गया है.

यदि सरकार प्रस्ताव लाती है तो इसी अनुच्छेद में संशोधन किए जायेंगे. संघ प्रमुख मोहन भागवत की तरफ से उठाए गए इस मुद्दे के बाद अब बीजेपी के नेता भी भारत के नाम से इंडिया हटाने की मांग पर लगातार आवाज उठा रहे हैं. संसद के मॉनसून सत्र में भी राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने इंडिया शब्द को औपनिवेशिक गुलामी का संकेत बताते हुए संविधान में निहित इंडिया दैट इज भारत, हटाकर सिर्फ भारत करने की मांग उठाई थी और इसी तरह की मांग सांसद हरनाथ सिंह यादव ने भी उठाई थी.

हालांकि राष्ट्रपति की तरफ से जी20 शिखर सम्मेलन के लिए भेजे गए निमंत्रण पत्र में भारत लिखे जाने पर विपक्षी सवाल उठा रहे है, जिस पर बोलते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग का कहना है कि भारत बोलने और लिखने पर आखिर क्या दिक्कत है. कांग्रेस के नेताओं को भारत कहने में क्यों शर्म आती है. कांग्रेस के नेताओं को कभी भारत माता कहने में गुरेज है, कभी वंदे मातरम कहने में दिक्कत है.

उन्होंने आगे सवाल किया कि आखिर कांग्रेस को क्यों शर्म आती है भारत को भारत माता कहने में. उन्होंने कहा कि भारतीय कहलाने में कांग्रेसियों को क्यों शर्म आती है. बीजेपी नेता तरुण चुग का कहना है कि देशवासियों के डीएनए में और कण-कण में भारत है, जिसका विरोध कांग्रेस नहीं कर पाएगी. सत्ताधारी पार्टी की तरफ से बार-बार उठाए जा रहे हैं और इस मसले ने भारत से इंडिया हटाने की मांग को और तूल दे दिया है.

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