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विशेषज्ञ का दावा : 1959 के चीनी दावे के अनुसार हो रहा लद्दाख में सेना का विघटन - 2017 में 1959 की लाइन पर दावा किया

पहली बार चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री झोउ एनलाई द्वारा पीएम नेहरू को लिखे गए एक पत्र में एलएसी का जिक्र हुआ. 1959 में चीन के प्रधानमंत्री झोउ एनलाई ने पीएम जवाहरलाल नेहरू को लिखे एक पत्र में प्रस्तावित किया कि दोनों देशों की सेनाएं मैकमोहन लाइन से 20 किमी पूर्व में और मैक लाइन से पश्चिम में वास्तविक नियंत्रण रेखा का पालन करेंगी.

The Ladakh
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Published : Feb 15, 2021, 3:56 PM IST

Updated : Feb 15, 2021, 4:18 PM IST

हैदराबाद : सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग के अनुसार दावा किया गया है कि चीन के 1959 के क्लेम (दावा) लाइन के अनुसार ही विघटन हो रहा है. क्योंकि भारत के पास स्थिति को बदलने के लिए प्रभावी सैन्य क्षमता नहीं है.

LAC पर 1959 का चीनी क्लेम लाइन क्या है

चीनी प्रमुख ने अपने पत्र में 7 नवंबर 1959 को पहली बार चीनी 1959 की दावा लाइन का प्रस्ताव रखा था.

  • 1959 की चीनी क्लेम लाइन की शुरुआत 1914 शिमला कन्वेंशन से हुई. जिसने मैकमोहन लाइन का सीमांकन किया जिसकी वजह से तिब्बत को भारत से अलग कर दिया.
  • 3 जुलाई 1914 से जनवरी 1959 तक शिमला कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने के बाद से चीनियों ने मैकमोहन रेखा पर कभी कोई औपचारिक विरोध नहीं किया.
  • पहली बार चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री झोउ एनलाई द्वारा पीएम नेहरू को लिखे गए एक पत्र में इसका जिक्र था. 1959 में चीन के प्रधानमंत्री झोउ एनलाई ने पीएम जवाहरलाल नेहरू को लिखे एक पत्र में प्रस्तावित किया कि दोनों देशों की सेनाएं मैक मोहन लाइन से 20 किमी पूर्व में और मैक लाइन से पश्चिम में वास्तविक नियंत्रण रेखा का पालन करेंगी.

1959 का दावा लाइन में चीन का संदर्भ

1962 के युद्ध के बाद युद्ध विराम की घोषणा करते हुए चीन ने 1959 के एलएसी का विशिष्ट संदर्भ दिया. चीन द्वारा 1962 को एकतरफा युद्धविराम की घोषणा में आया जो कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के अंत का संकेत था. पीकिंग रेडियो ने घोषणा की कि 1 दिसंबर 1962 से चीनी फ्रंटियर गार्ड वास्तविक नियंत्रण रेखा के 20 किलोमीटर पीछे की दूरी पर वापस आ जाएंगे. जो 7 नवंबर 1959 से चीन और भारत के बीच मौजूद थे.

  • भारतीय सेना की बड़ी हार के बावजूद नेहरू ने 1959 की एलएसी के चीनी संस्करण को स्वीकार करने से इंकार कर दिया.
  • 1963 में नेहरू ने चीन से कहा था कि जो एलएसी कहा जा रहा है उसे वापस लेने के बीजिंग के प्रस्ताव का कोई मतलब नहीं है.
  • प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 1988 में बीजिंग की यात्रा के बाद सीमा समझौता हुआ. जो एलएसी के संरेखण पर चर्चा से पहले हुई थी.
  • 1993 के समझौते से पहले चीन ने जोर देकर कहा कि वे केवल 1959 की एलएसी का सम्मान करेंगे. लेकिन कड़ी बातचीत के बाद पोस्ट की लाइन पर दोनों पक्षों के बीच मतभेदों के समाधान पर सलाह देने के लिए विशेषज्ञों का एक समूह बनाने का निर्णय लिया गया. वास्तविक नियंत्रण (शिवशंकर मेनन की पुस्तक में वर्णित : इनसाइड द मेकिंग ऑफ इंडियाज फॉरेन पॉलिसी)
  • 1993 में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति बनाने पर भारत-चीन समझौते में एलएलसी शब्द का इस्तेमाल किया गया था. लेकिन भारत ने जोर देकर कहा कि वाक्यांश को चीन के 1959 के दावे के अनुसार परिभाषित नहीं किया जाएगा.

2003 : चीनी पक्ष के रूप में प्रक्रिया ठप हो गई और इसे आगे बढ़ाने की इच्छा नहीं दिखाई गई.

चीन ने फिर से 2017 में 1959 की लाइन पर दावा किया

2017 के दौरान भारत और चीन के बीच पैंगोंग त्सो झील के किनारे हाथापाई की गई.

21.08.2017 चीन ने भारत से आग्रह किया है कि वह प्रासंगिक सम्मेलनों और संधियों के प्रावधानों का पालन करे. 1959 LAC का ईमानदारी से पालन करे. अपनी सीमा के सैनिकों की गतिविधियों को सख्ती से प्रतिबंधित करे और दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखे.

यह भी पढ़ें-भारत में प्राइवेसी : सुप्रीम कोर्ट ने वॉट्सएप और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया

30.09.2020 : चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि सबसे पहले यह कि भारत-चीन सीमा पर एलएसी बहुत स्पष्ट है. यानी 7 नवंबर 1959 की एलएसी ही सही है.

हैदराबाद : सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग के अनुसार दावा किया गया है कि चीन के 1959 के क्लेम (दावा) लाइन के अनुसार ही विघटन हो रहा है. क्योंकि भारत के पास स्थिति को बदलने के लिए प्रभावी सैन्य क्षमता नहीं है.

LAC पर 1959 का चीनी क्लेम लाइन क्या है

चीनी प्रमुख ने अपने पत्र में 7 नवंबर 1959 को पहली बार चीनी 1959 की दावा लाइन का प्रस्ताव रखा था.

  • 1959 की चीनी क्लेम लाइन की शुरुआत 1914 शिमला कन्वेंशन से हुई. जिसने मैकमोहन लाइन का सीमांकन किया जिसकी वजह से तिब्बत को भारत से अलग कर दिया.
  • 3 जुलाई 1914 से जनवरी 1959 तक शिमला कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने के बाद से चीनियों ने मैकमोहन रेखा पर कभी कोई औपचारिक विरोध नहीं किया.
  • पहली बार चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री झोउ एनलाई द्वारा पीएम नेहरू को लिखे गए एक पत्र में इसका जिक्र था. 1959 में चीन के प्रधानमंत्री झोउ एनलाई ने पीएम जवाहरलाल नेहरू को लिखे एक पत्र में प्रस्तावित किया कि दोनों देशों की सेनाएं मैक मोहन लाइन से 20 किमी पूर्व में और मैक लाइन से पश्चिम में वास्तविक नियंत्रण रेखा का पालन करेंगी.

1959 का दावा लाइन में चीन का संदर्भ

1962 के युद्ध के बाद युद्ध विराम की घोषणा करते हुए चीन ने 1959 के एलएसी का विशिष्ट संदर्भ दिया. चीन द्वारा 1962 को एकतरफा युद्धविराम की घोषणा में आया जो कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के अंत का संकेत था. पीकिंग रेडियो ने घोषणा की कि 1 दिसंबर 1962 से चीनी फ्रंटियर गार्ड वास्तविक नियंत्रण रेखा के 20 किलोमीटर पीछे की दूरी पर वापस आ जाएंगे. जो 7 नवंबर 1959 से चीन और भारत के बीच मौजूद थे.

  • भारतीय सेना की बड़ी हार के बावजूद नेहरू ने 1959 की एलएसी के चीनी संस्करण को स्वीकार करने से इंकार कर दिया.
  • 1963 में नेहरू ने चीन से कहा था कि जो एलएसी कहा जा रहा है उसे वापस लेने के बीजिंग के प्रस्ताव का कोई मतलब नहीं है.
  • प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 1988 में बीजिंग की यात्रा के बाद सीमा समझौता हुआ. जो एलएसी के संरेखण पर चर्चा से पहले हुई थी.
  • 1993 के समझौते से पहले चीन ने जोर देकर कहा कि वे केवल 1959 की एलएसी का सम्मान करेंगे. लेकिन कड़ी बातचीत के बाद पोस्ट की लाइन पर दोनों पक्षों के बीच मतभेदों के समाधान पर सलाह देने के लिए विशेषज्ञों का एक समूह बनाने का निर्णय लिया गया. वास्तविक नियंत्रण (शिवशंकर मेनन की पुस्तक में वर्णित : इनसाइड द मेकिंग ऑफ इंडियाज फॉरेन पॉलिसी)
  • 1993 में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति बनाने पर भारत-चीन समझौते में एलएलसी शब्द का इस्तेमाल किया गया था. लेकिन भारत ने जोर देकर कहा कि वाक्यांश को चीन के 1959 के दावे के अनुसार परिभाषित नहीं किया जाएगा.

2003 : चीनी पक्ष के रूप में प्रक्रिया ठप हो गई और इसे आगे बढ़ाने की इच्छा नहीं दिखाई गई.

चीन ने फिर से 2017 में 1959 की लाइन पर दावा किया

2017 के दौरान भारत और चीन के बीच पैंगोंग त्सो झील के किनारे हाथापाई की गई.

21.08.2017 चीन ने भारत से आग्रह किया है कि वह प्रासंगिक सम्मेलनों और संधियों के प्रावधानों का पालन करे. 1959 LAC का ईमानदारी से पालन करे. अपनी सीमा के सैनिकों की गतिविधियों को सख्ती से प्रतिबंधित करे और दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखे.

यह भी पढ़ें-भारत में प्राइवेसी : सुप्रीम कोर्ट ने वॉट्सएप और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया

30.09.2020 : चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि सबसे पहले यह कि भारत-चीन सीमा पर एलएसी बहुत स्पष्ट है. यानी 7 नवंबर 1959 की एलएसी ही सही है.

Last Updated : Feb 15, 2021, 4:18 PM IST
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