नई दिल्ली : लोकसभा में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जजों की सेवा और सैलरी से जुड़ा विधेयक पारित हो गया है.
उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश (वेतन और सेवा की शर्तें) संशोधन विधेयक, 2021 (The High Court and Supreme Court Judges (Salaries and Conditions of Service) Amendment Bill, 2021) उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों के वेतन अधिनियम में संशोधन करेगा.
विधि एवं न्याय मंत्री किरण रिजीजू ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) विधेयक को फिर से संसद में लाने के लिये विभिन्न वर्गों से मांग उठ रही है, लेकिन ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर वह सदन में अभी कोई प्रतिबद्धता व्यक्त नहीं कर सकते.
लोकसभा में बुधवार को उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय (वेतन एवं सेवा शर्त) संशोधन विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री ने यह बात कही. चर्चा के दौरान बीजू जनता दल (बीजद), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित कुछ दलों के सदस्यों ने एनजेएसी के विषय को उठाया था.
इस पर रिजीजू ने कहा कि एनजेएसी एक संवेदनशील विषय है और इसमें अनेक पक्ष शामिल हैं जिनसे विचार-विमर्श जरूरी है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक को फिर से सदन में लाने के लिये विभिन्न वर्गों से मांग उठ रही है और अलग-अलग सुझाव भी आए हैं.
रिजीजू ने कहा, यह संवेदनशील मुद्दा है और इस विषय पर सदन में अभी कोई प्रतिबद्धता नहीं व्यक्त कर सकते हैं.
विधि मंत्री ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया शीर्ष अदालत से शुरू होती है, ऐसे में प्रक्रिया का पालन करना होता है.
उन्होंने कहा कि 1993 तक जजों की नियुक्ति की एक प्रक्रिया थी और इसके तहत जितने अच्छे तरीके से नियुक्ति हुई, यह स्पष्ट है. बाद में कोलेजियम की व्यवस्था लागू हुई तथा प्रक्रिया ज्ञापन बनाया गया जो आज तक चला आ रहा है, ऐसे में हमें संवैधानिक प्रक्रिया का भी ध्यान रखना है.
रिजीजू ने कहा कि संविधान में न्यायाधीशों की नियुक्ति के बारे में स्पष्ट प्रावधान है. इनकी नियुक्ति के संबंध में ‘परामर्श’ को समवर्ती का रूप दे दिया गया.
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निचले सदन में बीजद के भर्तृहरि महताब ने कहा कि एक बार एक प्रधानमंत्री ने कहा था कि कोई फैसला नहीं लिया जाना भी एक फैसला है. उन्होंने कहा कि विधि मंत्री रिजिजू ने अपने जवाब में एनजेएसी के संदर्भ में सदस्यों की जिज्ञासाओं पर कुछ भी नहीं कहा है तो क्या मान लिया जाए कि सरकार इस बारे में कोई निर्णय नहीं लेने जा रही है और हमें अगले 10 साल तक इंतजार करना होगा.
भाजपा के निशिकांत दुबे ने कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक को फिर से लाया जाए और संसद की सर्वोच्चता स्थापित की जाए.
इससे पहले, मंगलवार को सदन में विधेयक पर चर्चा के दौरान बीजू जनता दल (बीजद) के पिनाकी मिश्रा ने कहा था कि सरकार को राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक लाना चाहिए.
नरेंद्र मोदी नीत राजग सरकार ने अगस्त, 2014 में एनजेएसी कानून बनाया था जिसे संविधान में संशोधन करके बनाया गया था. अक्टूबर, 2015 में उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इसे खारिज करते हुए कहा कि एनजेएसी बनाने वाले कानून से संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन होता है.
(एजेंसी इनपुट)