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The Elephant Whispers: कभी पिता ने पकड़ाया था कैमरा, उत्तराखंड के सपूत ने ऑस्कर में गाड़े झंडे

इस बार ऑस्कर अवॉर्ड सेरेमनी में दो भारतीय फिल्मों ने झंडे गाड़े हैं. जिसमें एसएस राजामौली की फिल्म आरआरआर के गाने नाटू-नाटू और डॉक्यूमेंट्री फिल्म द एलिफेंट व्हिस्पर्स को ऑस्कर मिला है. वहीं, द एलिफेंट व्हिस्पर्स फिल्म के सिनेमेटोग्राफर करन थपलियाल हैं, जो उत्तराखंड के पौड़ी जिले से हैं.

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The Elephant Whispers को मिला ऑस्कर
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Published : Mar 14, 2023, 6:41 PM IST

देहरादून: ऑस्कर अवॉर्ड मिलने के बाद हर जगह दो भारतीय फिल्मों फिल्मों की चर्चा हो रही है. ऑस्कर अवॉर्ड सेरेमनी 2023 में फिल्म आरआरआर के गाने नाटू-नाटू और हाथियों के व्यवहार पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म द एलिफेंट व्हिस्पर्स को ऑस्कर मिलना देश के लिए गर्व की बात है. वहीं, द एलिफेंट व्हिस्पर्स डॉक्यूमेंट्री फिल्म का कनेक्शन उत्तराखंड से भी है.

उत्तराखंड के छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले सिनेमेटोग्राफर करन थपलियाल ने भी इस फिल्म में बड़ी भूमिका निभाई है. पौड़ी जिले के नौगांव कस्बे के रहने वाले करन वैसे तो अपने परिवार के साथ बीते कई सालों से दिल्ली में रहते हैं, लेकिन आज भी उनका और परिवार का उत्तराखंड के घर में आना जाना लगा रहता है. करन थपलियाल ने इस फिल्म में सिनेमेटोग्राफर के तौर पर काम किया है.

करन बीते 15 साल से सिनेमेटोग्राफी के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. इससे पहले भी उनकी एक डॉक्यूमेंट्री राइटिंग विद फायर भी ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई थी, लेकिन इस बार ना केवल उनकी इस डॉक्यूमेंट्री को नॉमिनेट किया गया, बल्कि दुनिया की 5 डॉक्यूमेंट्री में से एक द एलिफेंट व्हिस्पर्स ऑस्कर भी मिला है. उनको भी मालूम नहीं था उनके द्वारा फिल्माए गई, इस डॉक्यूमेंट्री को ऑस्कर मिल जाएगा.
ये भी पढ़ें: Oscar Winner एसएस राजामौली उत्तराखंड में जल्द करेंगे फिल्म की शूटिंग, देख चुके हैं लोकेशन‍‍!

करन जब दिल्ली में अपने घर में थे, तब उनके पास निर्देशक कार्तिकी का फोन आया और फोन पर ही करन को उन्होंने ये जानकारी दी. जिसके बाद दोनों फोन पर ही काफी भावुक हो गए. करन इस फिल्म के साथ साल 2020 में जुड़े थे. जब कोरोना संक्रमण की लहर शुरू हुई थी.

लंबे समय तक वो तमिलनाडु की पहाड़ियों में हाथियों के साथ ही रहे और इस डॉक्यूमेंट्री को फिल्माते रहे. उनके साथ दो-दो सिनेमेटोग्राफर थे. बहुत कम बजट और छोटे से क्रू के सहारे इस डॉक्यूमेंट्री को बनाया गया. अब ऑस्कर मिलने के बाद करन की खुशी का ठिकाना नहीं है. उन्हें उम्मीद है कि ऑस्कर अवॉर्ड मिलने के बाद उन्हें काम में बहुत कुछ हासिल होगा. करन के पिता विनोद थपलियाल भी सिनेमेटोग्राफर ही है, जो उनके प्रेरणा भी है.

देहरादून: ऑस्कर अवॉर्ड मिलने के बाद हर जगह दो भारतीय फिल्मों फिल्मों की चर्चा हो रही है. ऑस्कर अवॉर्ड सेरेमनी 2023 में फिल्म आरआरआर के गाने नाटू-नाटू और हाथियों के व्यवहार पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म द एलिफेंट व्हिस्पर्स को ऑस्कर मिलना देश के लिए गर्व की बात है. वहीं, द एलिफेंट व्हिस्पर्स डॉक्यूमेंट्री फिल्म का कनेक्शन उत्तराखंड से भी है.

उत्तराखंड के छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले सिनेमेटोग्राफर करन थपलियाल ने भी इस फिल्म में बड़ी भूमिका निभाई है. पौड़ी जिले के नौगांव कस्बे के रहने वाले करन वैसे तो अपने परिवार के साथ बीते कई सालों से दिल्ली में रहते हैं, लेकिन आज भी उनका और परिवार का उत्तराखंड के घर में आना जाना लगा रहता है. करन थपलियाल ने इस फिल्म में सिनेमेटोग्राफर के तौर पर काम किया है.

करन बीते 15 साल से सिनेमेटोग्राफी के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. इससे पहले भी उनकी एक डॉक्यूमेंट्री राइटिंग विद फायर भी ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई थी, लेकिन इस बार ना केवल उनकी इस डॉक्यूमेंट्री को नॉमिनेट किया गया, बल्कि दुनिया की 5 डॉक्यूमेंट्री में से एक द एलिफेंट व्हिस्पर्स ऑस्कर भी मिला है. उनको भी मालूम नहीं था उनके द्वारा फिल्माए गई, इस डॉक्यूमेंट्री को ऑस्कर मिल जाएगा.
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करन जब दिल्ली में अपने घर में थे, तब उनके पास निर्देशक कार्तिकी का फोन आया और फोन पर ही करन को उन्होंने ये जानकारी दी. जिसके बाद दोनों फोन पर ही काफी भावुक हो गए. करन इस फिल्म के साथ साल 2020 में जुड़े थे. जब कोरोना संक्रमण की लहर शुरू हुई थी.

लंबे समय तक वो तमिलनाडु की पहाड़ियों में हाथियों के साथ ही रहे और इस डॉक्यूमेंट्री को फिल्माते रहे. उनके साथ दो-दो सिनेमेटोग्राफर थे. बहुत कम बजट और छोटे से क्रू के सहारे इस डॉक्यूमेंट्री को बनाया गया. अब ऑस्कर मिलने के बाद करन की खुशी का ठिकाना नहीं है. उन्हें उम्मीद है कि ऑस्कर अवॉर्ड मिलने के बाद उन्हें काम में बहुत कुछ हासिल होगा. करन के पिता विनोद थपलियाल भी सिनेमेटोग्राफर ही है, जो उनके प्रेरणा भी है.

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