मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने मानसून के दौरान और पिछले महीने आए चक्रवात ताउते के बाद महाराष्ट्र के तट पर समुद्र से बहकर आए कचरे पर बुधवार को चिंता जताई, और कहा कि समुद्र में कूड़ा बहाने से न केवल तटरेखा के लिए दिक्कत पैदा होती है, बल्कि समुद्री जनजीवन पर भी इसका असर पड़ता है.
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा, हम जानते हैं कि कोविड-19 महामारी के कारण राज्य सरकार दबाव में है, लेकिन यह समस्या भी बहुत गंभीर है.
अदालत ने कहा कि उसने मीडिया में आई कई खबरें को देखा है. जिसमें समुद्र के तट पर बहकर आए कचरे को दिखाया गया, खासतौर से पिछले महीने आए चक्रवात ताउते के बाद अदालत ने कहा, ये खबरें समुद्र तट की सफाई के संबंध में बहुत ही चिंताजनक स्थिति पेश करती हैं. समुद्र में कचरा बहाने से समुद्री जनजीवन को भी खतरा है.
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पीठ ने कहा कि मुंबई में मरीन ड्राइव समेत राज्य की तटरेखा पर भी यह दिक्कत आ रही है. अदालत ने कहा कि वह इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान याचिका दायर करती है.
राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भकोणी ने खबरों पर गौर करने के लिए वक्त मांगा और अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए दो जुलाई की तारीख तय करते हुए कहा कि उसे पता है कि कोविड-19 महामारी के कारण राज्य प्रशासन पहले ही दबाव में है, लेकिन यह समस्या भी बहुत गंभीर है. अदालत ने कहा, हमें इस मुद्दे को टालना नहीं चाहिए, क्योंकि अब समय मानसून का है.
(पीटाआई भाषा)