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शिवसेना के विधायकों के अयोग्यता संबंधी मामले में ठाकरे और नार्वेकर भिड़े, फडणवीस ने कहा सरकार स्थिर

Maharashtra Politics, Shivsena Eknath Shinde पार्टी में विभाजन के बाद एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली शिवसेना गुटों की क्रॉस-याचिकाओं पर विधानसभा अध्यक्ष के महत्वपूर्ण फैसले से पहले महाराष्ट्र में राजनीतिक तापमान बढ़ गया.

Maharashtra politics heated up
महाराष्ट्र राजनीति गरमाई
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By PTI

Published : Jan 9, 2024, 10:50 PM IST

मुंबई: शिवसेना में विभाजन के बाद पार्टी के दोनों गुटों के विधायकों की अयोग्यता संबंधी एक दूसरे की याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष के महत्वपूर्ण फैसले से पहले मंगलवार को महाराष्ट्र में राजनीतिक पारा चढ़ गया. मामले में अध्यक्ष के फैसले से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाले दोनों गुटों का आगे का रास्ता तय होगा.

फैसले की पूर्व संध्या पर विरोध जताते हुये विपक्षी शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी ने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा देकर शिवसेना विधायकों की अयोग्यता संबंधी याचिका पर फैसले से पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के बीच हुयी बैठक पर आपत्ति जतायी. इसके बाद ठाकरे और नार्वेकर के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए.

विधान भवन के अधिकारियों ने बताया कि अयोग्यता संबधी याचिकाओं पर नार्वेकर 10 जनवरी को शाम चार बजे बहुप्रतीक्षित फैसला सुनायेंगे. विभाजन के 18 महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद यह फैसला सुनाया जायेगा. शिवसेना में हुये इस विभाजन के बाद प्रदेश की उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली एमवीए सरकार को जाना पड़ा था.

ठाकरे ने बांद्रा स्थित अपने आवास मातोश्री में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि 'अगर न्यायाधीश (नार्वेकर) आरोपी से मिलने जाते हैं, तो हमें न्यायाधीश से क्या उम्मीद करनी चाहिये.' पूर्व मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा कि यह हलफनामा सोमवार को दायर किया गया. ठाकरे के सहयोगी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के संस्थापक शरद पवार ने भी कहा कि जब किसी मामले की सुनवाई कर रहा कोई व्यक्ति उस व्यक्ति से मिलता है, जिसके खिलाफ मामले की सुनवाई हो रही है, तो इससे संदेह पैदा होता है.

पलटवार करते हुए नार्वेकर ने कहा कि ठाकरे को पता होना चाहिए कि विधानसभा अध्यक्ष किस उद्देश्य से मुख्यमंत्री से मिल सकता है. नार्वेकर ने तर्क दिया कि 'अगर वह अब भी ऐसे आरोप लगाते हैं, तो उनका मकसद बहुत स्पष्ट है. ऐसा कोई नियम नहीं है कि अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई करते समय विधानसभा अध्यक्ष कोई अन्य काम नहीं कर सकता है.'

विधानसभा अध्यक्ष ने रविवार को दक्षिण मुंबई में मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास वर्षा में एकनाथ शिंदे से मुलाकात की थी. ठाकरे ने कहा कि दोनों की मुलाकात पिछले साल अक्टूबर में भी हुई थी. शिवसेना (यूबीटी) नेता ने कहा, नार्वेकर का फैसला यह तय करेगा कि देश में लोकतंत्र मौजूद है या नहीं या क्या दोनों (विधानसभा अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री) लोकतंत्र की हत्या करेंगे.

ठाकरे ने कहा कि 'हमने एक हलफनामा दाखिल कर पूछा है कि क्या न्यायाधीश और आरोपियों के बीच मिलीभगत है.' उन्होंने पूछा कि क्या विधानसभा अध्यक्ष फैसला करने में और देरी करेंगे. ठाकरे ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष कभी मुख्यमंत्री से मिलने नहीं जाते हैं. शिवसेना में विभाजन के बाद ठाकरे को जून 2022 में मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा था. शिवसेना की स्थापना ठाकरे के पिता दिवंगत बाला साहेब ठाकरे ने 1966 में की थी.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष मुख्यमंत्री को मिलने के लिये बुलाते हैं. उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने नार्वेकर के लिए विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली शिवसेना के दोनो गुटों द्वारा दायर याचिकाओं पर निर्णय लेने की समय सीमा 10 जनवरी तक बढ़ा दी थी. ठाकरे ने कहा कि चूंकि उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल मई में नार्वेकर को अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय करने का निर्देश दिया था, इसलिए विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री से दो बार मुलाकात की.

शिवसेना (यूबीटी) नेता अनिल परब ने कहा कि ऐसे मामलों को निश्चित तौर पर उच्चतम न्यायालय के ध्यान में लाया जाना चाहिये, क्योंकि यह एक गंभीर मामला है. परब ने कहा कि 'हमें उम्मीद है कि शीर्ष अदालत इस मामले को गंभीरता से लेगी.' उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विश्वास जताया कि शिवसेना-भाजपा-राकांपा (अजित पवार गुट) सरकार स्थिर है और आगे भी रहेगी. वरिष्ठ भाजपा नेता ने जोर देकर कहा कि गठबंधन सरकार वैध है और उम्मीद जतायी कि विधानसभा अध्यक्ष के फैसले से उन्हें न्याय मिलेगा.

फडणवीस ने नागपुर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि 'विधानसभा अध्यक्ष उचित और कानूनी निर्णय करेंगे. हमारा पक्ष मजबूत है. हमारी (शिंदे के नेतृत्व वाली भाजपा और शिवसेना की) सरकार कानूनी तौर पर मजबूत है. हमें विधानसभा अध्यक्ष से न्याय मिलने की उम्मीद है... हमारी सरकार कल भी स्थिर थी और कल भी स्थिर रहेगी.'

जून 2022 में शिंदे एवं अन्य विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, जिसके बाद शिवसेना दो फाड़ हो गयी थी और ठाकरे की अगुवाई वाली महा विकास आघाड़ी सरकार का पतन हो गया था, जिसमें कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी मुख्य घटक थे. शिंदे और ठाकरे गुटों द्वारा दलबदल विरोधी कानूनों के तहत एक दूसरे के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की गई थीं.

शीर्ष अदालत ने पिछले साल मई में नार्वेकर को याचिकाओं पर शीघ्रता से फैसला करने का निर्देश दिया था. निर्वाचन आयोग ने विभाजन के बाद शिंदे की अगुवाई वाले गुट को शिवसेना नाम और धनुष बाण चुनाव चिह्न आवंटित किया था, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे की अगुवाई वाले गुट को शिवसेना(यूबीटी) नाम और चुनाव चिह्न के तौर पर मशाल आवंटित किया गया था.

बाद में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में भी विभाजन हो गया और पार्टी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार के नेतृत्व में पार्टी का एक धड़ा महाराष्ट्र की शिंदे-भाजपा गबंधन सरकार में शामिल हो गया था. महाराष्ट्र में विधानसभा का चुनाव अगले साल होना है.

मुंबई: शिवसेना में विभाजन के बाद पार्टी के दोनों गुटों के विधायकों की अयोग्यता संबंधी एक दूसरे की याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष के महत्वपूर्ण फैसले से पहले मंगलवार को महाराष्ट्र में राजनीतिक पारा चढ़ गया. मामले में अध्यक्ष के फैसले से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाले दोनों गुटों का आगे का रास्ता तय होगा.

फैसले की पूर्व संध्या पर विरोध जताते हुये विपक्षी शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी ने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा देकर शिवसेना विधायकों की अयोग्यता संबंधी याचिका पर फैसले से पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के बीच हुयी बैठक पर आपत्ति जतायी. इसके बाद ठाकरे और नार्वेकर के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए.

विधान भवन के अधिकारियों ने बताया कि अयोग्यता संबधी याचिकाओं पर नार्वेकर 10 जनवरी को शाम चार बजे बहुप्रतीक्षित फैसला सुनायेंगे. विभाजन के 18 महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद यह फैसला सुनाया जायेगा. शिवसेना में हुये इस विभाजन के बाद प्रदेश की उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली एमवीए सरकार को जाना पड़ा था.

ठाकरे ने बांद्रा स्थित अपने आवास मातोश्री में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि 'अगर न्यायाधीश (नार्वेकर) आरोपी से मिलने जाते हैं, तो हमें न्यायाधीश से क्या उम्मीद करनी चाहिये.' पूर्व मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा कि यह हलफनामा सोमवार को दायर किया गया. ठाकरे के सहयोगी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के संस्थापक शरद पवार ने भी कहा कि जब किसी मामले की सुनवाई कर रहा कोई व्यक्ति उस व्यक्ति से मिलता है, जिसके खिलाफ मामले की सुनवाई हो रही है, तो इससे संदेह पैदा होता है.

पलटवार करते हुए नार्वेकर ने कहा कि ठाकरे को पता होना चाहिए कि विधानसभा अध्यक्ष किस उद्देश्य से मुख्यमंत्री से मिल सकता है. नार्वेकर ने तर्क दिया कि 'अगर वह अब भी ऐसे आरोप लगाते हैं, तो उनका मकसद बहुत स्पष्ट है. ऐसा कोई नियम नहीं है कि अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई करते समय विधानसभा अध्यक्ष कोई अन्य काम नहीं कर सकता है.'

विधानसभा अध्यक्ष ने रविवार को दक्षिण मुंबई में मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास वर्षा में एकनाथ शिंदे से मुलाकात की थी. ठाकरे ने कहा कि दोनों की मुलाकात पिछले साल अक्टूबर में भी हुई थी. शिवसेना (यूबीटी) नेता ने कहा, नार्वेकर का फैसला यह तय करेगा कि देश में लोकतंत्र मौजूद है या नहीं या क्या दोनों (विधानसभा अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री) लोकतंत्र की हत्या करेंगे.

ठाकरे ने कहा कि 'हमने एक हलफनामा दाखिल कर पूछा है कि क्या न्यायाधीश और आरोपियों के बीच मिलीभगत है.' उन्होंने पूछा कि क्या विधानसभा अध्यक्ष फैसला करने में और देरी करेंगे. ठाकरे ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष कभी मुख्यमंत्री से मिलने नहीं जाते हैं. शिवसेना में विभाजन के बाद ठाकरे को जून 2022 में मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा था. शिवसेना की स्थापना ठाकरे के पिता दिवंगत बाला साहेब ठाकरे ने 1966 में की थी.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष मुख्यमंत्री को मिलने के लिये बुलाते हैं. उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने नार्वेकर के लिए विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली शिवसेना के दोनो गुटों द्वारा दायर याचिकाओं पर निर्णय लेने की समय सीमा 10 जनवरी तक बढ़ा दी थी. ठाकरे ने कहा कि चूंकि उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल मई में नार्वेकर को अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय करने का निर्देश दिया था, इसलिए विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री से दो बार मुलाकात की.

शिवसेना (यूबीटी) नेता अनिल परब ने कहा कि ऐसे मामलों को निश्चित तौर पर उच्चतम न्यायालय के ध्यान में लाया जाना चाहिये, क्योंकि यह एक गंभीर मामला है. परब ने कहा कि 'हमें उम्मीद है कि शीर्ष अदालत इस मामले को गंभीरता से लेगी.' उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विश्वास जताया कि शिवसेना-भाजपा-राकांपा (अजित पवार गुट) सरकार स्थिर है और आगे भी रहेगी. वरिष्ठ भाजपा नेता ने जोर देकर कहा कि गठबंधन सरकार वैध है और उम्मीद जतायी कि विधानसभा अध्यक्ष के फैसले से उन्हें न्याय मिलेगा.

फडणवीस ने नागपुर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि 'विधानसभा अध्यक्ष उचित और कानूनी निर्णय करेंगे. हमारा पक्ष मजबूत है. हमारी (शिंदे के नेतृत्व वाली भाजपा और शिवसेना की) सरकार कानूनी तौर पर मजबूत है. हमें विधानसभा अध्यक्ष से न्याय मिलने की उम्मीद है... हमारी सरकार कल भी स्थिर थी और कल भी स्थिर रहेगी.'

जून 2022 में शिंदे एवं अन्य विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, जिसके बाद शिवसेना दो फाड़ हो गयी थी और ठाकरे की अगुवाई वाली महा विकास आघाड़ी सरकार का पतन हो गया था, जिसमें कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी मुख्य घटक थे. शिंदे और ठाकरे गुटों द्वारा दलबदल विरोधी कानूनों के तहत एक दूसरे के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की गई थीं.

शीर्ष अदालत ने पिछले साल मई में नार्वेकर को याचिकाओं पर शीघ्रता से फैसला करने का निर्देश दिया था. निर्वाचन आयोग ने विभाजन के बाद शिंदे की अगुवाई वाले गुट को शिवसेना नाम और धनुष बाण चुनाव चिह्न आवंटित किया था, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे की अगुवाई वाले गुट को शिवसेना(यूबीटी) नाम और चुनाव चिह्न के तौर पर मशाल आवंटित किया गया था.

बाद में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में भी विभाजन हो गया और पार्टी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार के नेतृत्व में पार्टी का एक धड़ा महाराष्ट्र की शिंदे-भाजपा गबंधन सरकार में शामिल हो गया था. महाराष्ट्र में विधानसभा का चुनाव अगले साल होना है.

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