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काशी में तेलुगू संगमम शुरू, पीएम मोदी बोले- दक्षिण भारत के मेहमान जरूर चखें बनारसी स्वाद

पीएम नरेंद्र मोदी ने काशी तेलुगू संगमम आयोजन में वर्चुअल तरीके से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से आए विद्वानों का स्वागत किया. उन्होंने काशी के घाट पर गंगा पुष्करालु उत्सव गंगा और गोदावरी के संगम की तरह है.

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Published : Apr 29, 2023, 9:48 PM IST

Updated : Apr 30, 2023, 9:22 AM IST

काशी में तेलुगू संगमम
काशी में तेलुगू संगमम
काशी में तेलुगू संगमम

वाराणसी: काशी के गंगा तट पर शनिवार से 12 दिनों तक चलने वाले गंगा पुष्करालु के मौके पर मानसरोवर घाट पर काशी तेलुगू संगमम का आयोजन किया गया है. काशी तेलुगू समिति की तरफ से यह आयोजन तेलुगू भाषी लोगों के लिए किया गया है. जिसमें विविध तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही भव्य धार्मिक आयोजनों और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का काम किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने अपना संबोधन यहां आए तेलुगू भाषी लोगों के सामने वर्चुअल तरीके से दिया. पीएम ने काशी आए तेलुगू भाषियों का स्वागत करने के लिए काशी वासियों का धन्यवाद किया. साथ ही तेलुगू भाषी लोगों से काशी की आर्थिक स्थिति को और मजबूत करने के लिए काशी से जाते वक्त काशी की साड़ियां खिलौने लकड़ी के सामान और मिठाइयों के साथ अन्य चीजें ले जाने की अपील भी की. साथ ही पीएम ने बनारस के खानपान को चखने के लिए भी आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक से आए लोगों से अपील की.

गंगा तट पर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से आए विद्वानों के साथ ही चारों वेदों का परायण और मां गंगा के साथ बाबा विश्वनाथ के मंत्रों के उच्चारण के साथ भव्य गंगा आरती का आयोजन किया गया है. दशाश्वमेध घाट पर होने वाली नियमित गंगा आरती की तर्ज पर यहां पर अर्चना के द्वारा गंगा आरती की जा रही है. जिसमें सांस्कृतिक नृत्य के साथ ही अन्य तरह के वाद्ययंत्रों के जरिए भव्य संगीत का आनंद यहां पर मौजूद तेलुगु भाषी लोग ले रहे हैं.


भारतीय जनता पार्टी की तरफ से राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव इस पूरे आयोजन का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के अलावा काशी के अन्य मदों से बड़ी संख्या में साधु संतों की मौजूदगी इस आयोजन में रही. इस आयोजन में पीएम नरेंद्र मोदी का संबोधन लगभग 45 मिनट तक चला. यह आयोजन 6 बजे शुरू होकर रात्रि 9 बजे तक चला. जिसमें विभिन्न तरह के आयोजन संपन्न किए गए.


पीएम मोदी ने काशी तेलुगू संगम आयोजन में वर्चुअल तरीके से संबोधन में ने कहा कि काशी विश्व में अपनी विशेषता सहेजे है. बाबा विश्वनाथ की नगरी अलौकिक है. मेले में आने वाले लोग बनारसी खिलौने, बनारसी साड़ी बनारसी मिठाई ले जा सकते हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि, बनारस में दक्षिण भारत के विभिन्न शहरों से आए काशी में लोगों की आस्था है. आज भी जितने तीर्थ यात्री काशी आते हैं. उनमें बहुत बड़ी भीड़ आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोगों की होती है. तेलगू राज्यों ने काशी को कई महान संत मनीषी दिए है. काशी के लोग और तीर्थ यात्री जब बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने जाते हैं तो तैलंग स्वामी का आशीर्वाद लेने उनके आश्रम भी जाते हैं. स्वामी रामकृष्ण परमहंस भी तैलंग स्वामी को साक्षात काशी का जीवंत सिद्ध कहते थे. तैलंग स्वामी का जन्म विजयनगर में हुआ था.


पीएम ने कहा कि काशी के घाट पर गंगा पुष्करालु उत्सव गंगा और गोदावरी के संगम की तरह है. यह भारत के प्राचीन सभ्यताओं और संस्कृतियां और परपंराओं के संगम का उत्सव है. कुछ महीने पहले यहीं काशी की धरती पर काशी तमिल संगमम का आयोजन हुआ था. कुछ दिन पहले सौ राष्ट्र तमिल संगमम में शामिल हुआ था. आजादी का यह अमृत काल देश की विविधिताओं का संगम काल है. उन्होंने गंगा पुष्करालु उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं दी.


पीएम मोदी ने कहा कि काशी और तेलुगू का रिश्ता प्राचीन और पवित्र है. विविधाओं के इन संगमों से राष्ट्रीयता का अमृत निकल रहा है, जो भारत को अनंत काल तक ऊर्जावान रखेगा. काशी से जुड़ा हर व्यक्ति जानता है कि काशी और काशीवासियों का तेलुगू लोगों से गहरा रिश्ता है. काशी में कोई तेलुगू व्यक्ति आता है, तो काशी के लोगों को लगता है कि परिवार का कोई सदस्य आया है. काशी जितनी प्राचीन है, उतना ही प्राचीन यह रिश्ता है. काशी जितनी पवित्र है तेलुगू से रिश्ता भी उतना ही पवित्र है. तेलुगू भाषा और साहित्य में काशी उतनी ही रची बसी है. बाहर के लोगों को आश्चर्य होता है कि, कोई शहर इतना दूर होकर दिलों में इतने करीब कैसे हो सकता है. यही भारत की वह विरासत है. जिसने एक भारत और श्रेष्ठ भारत की परिभाषा को जिंदा रखा है. काशी मुक्ति और मोक्ष की नगरी भी है. जिसमें एक समय था. जब तेलुगू लोग हजारों किमी चलकर काशी आते थे. इस यात्रा में तमाम परेशानियां उठाते थे. आधुनिक समय में वह परिस्थितया नहीं रही जो पहले थी. आज एक ओर विश्वनाथ धाम का दिव्य वैभव है तो दूसरी ओर गंगा के घाटों का दिव्य अनुभव है. काशी की गलियां है तो नई सड़कों ओर हाईवे का नेटवर्क भी है.

पीएम मोदी ने कहा कि, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से जो लोग पहले काशी आए हैं. अब आए हैं तो बदलाव को महसूस कर रहे हैं. पहले एयरपोर्ट से दशाश्मेघ घाट तक घंटों लगते थे. अब मिनटों में लोग वाराणसी पहुंच जाते हैं. एक समय काशी की सड़कें बिजली के तारों से भरी रहती थी. अब अधिक जगहों पर सब तार अंडरग्राउंड हो गए हैं. अनेकों कुंड और मंदिरों के रास्तों का कायाकल्प हो रहा है. अब गंगा जी में सीएनजी की नावें चल रही हैं. अब वह दिन दूर नहीं जब बनारस में लोगों को रोपवे की सुविधा भी मिलेगी. यहां काशी के लोग आपकी सेवा और स्वागत में कोई कमी नहीं छोड़ेगे. मुझे काशी वासियों पर पूरा भरोसा है. बाबा विश्वनाथ, काल भैरव और मां अन्नपूर्णा के दर्शन अपने आप में अद्भुत होता है. गंगा जी में डुबकी आपकी आत्मा प्रसन्न कर देगी। काशी की लस्सी ठंडई, चाट लिट्‌टी चोखा और बनारसी पान आपकी यात्रा को और अनोखा बना देंगे.

यह भी पढ़ें- मुख्तार और अफजाल की सजा पर बोले सीएम योगी, अब कोई माफिया सीना तानकर नहीं चलेगा

काशी में तेलुगू संगमम

वाराणसी: काशी के गंगा तट पर शनिवार से 12 दिनों तक चलने वाले गंगा पुष्करालु के मौके पर मानसरोवर घाट पर काशी तेलुगू संगमम का आयोजन किया गया है. काशी तेलुगू समिति की तरफ से यह आयोजन तेलुगू भाषी लोगों के लिए किया गया है. जिसमें विविध तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही भव्य धार्मिक आयोजनों और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का काम किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने अपना संबोधन यहां आए तेलुगू भाषी लोगों के सामने वर्चुअल तरीके से दिया. पीएम ने काशी आए तेलुगू भाषियों का स्वागत करने के लिए काशी वासियों का धन्यवाद किया. साथ ही तेलुगू भाषी लोगों से काशी की आर्थिक स्थिति को और मजबूत करने के लिए काशी से जाते वक्त काशी की साड़ियां खिलौने लकड़ी के सामान और मिठाइयों के साथ अन्य चीजें ले जाने की अपील भी की. साथ ही पीएम ने बनारस के खानपान को चखने के लिए भी आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक से आए लोगों से अपील की.

गंगा तट पर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से आए विद्वानों के साथ ही चारों वेदों का परायण और मां गंगा के साथ बाबा विश्वनाथ के मंत्रों के उच्चारण के साथ भव्य गंगा आरती का आयोजन किया गया है. दशाश्वमेध घाट पर होने वाली नियमित गंगा आरती की तर्ज पर यहां पर अर्चना के द्वारा गंगा आरती की जा रही है. जिसमें सांस्कृतिक नृत्य के साथ ही अन्य तरह के वाद्ययंत्रों के जरिए भव्य संगीत का आनंद यहां पर मौजूद तेलुगु भाषी लोग ले रहे हैं.


भारतीय जनता पार्टी की तरफ से राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव इस पूरे आयोजन का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के अलावा काशी के अन्य मदों से बड़ी संख्या में साधु संतों की मौजूदगी इस आयोजन में रही. इस आयोजन में पीएम नरेंद्र मोदी का संबोधन लगभग 45 मिनट तक चला. यह आयोजन 6 बजे शुरू होकर रात्रि 9 बजे तक चला. जिसमें विभिन्न तरह के आयोजन संपन्न किए गए.


पीएम मोदी ने काशी तेलुगू संगम आयोजन में वर्चुअल तरीके से संबोधन में ने कहा कि काशी विश्व में अपनी विशेषता सहेजे है. बाबा विश्वनाथ की नगरी अलौकिक है. मेले में आने वाले लोग बनारसी खिलौने, बनारसी साड़ी बनारसी मिठाई ले जा सकते हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि, बनारस में दक्षिण भारत के विभिन्न शहरों से आए काशी में लोगों की आस्था है. आज भी जितने तीर्थ यात्री काशी आते हैं. उनमें बहुत बड़ी भीड़ आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोगों की होती है. तेलगू राज्यों ने काशी को कई महान संत मनीषी दिए है. काशी के लोग और तीर्थ यात्री जब बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने जाते हैं तो तैलंग स्वामी का आशीर्वाद लेने उनके आश्रम भी जाते हैं. स्वामी रामकृष्ण परमहंस भी तैलंग स्वामी को साक्षात काशी का जीवंत सिद्ध कहते थे. तैलंग स्वामी का जन्म विजयनगर में हुआ था.


पीएम ने कहा कि काशी के घाट पर गंगा पुष्करालु उत्सव गंगा और गोदावरी के संगम की तरह है. यह भारत के प्राचीन सभ्यताओं और संस्कृतियां और परपंराओं के संगम का उत्सव है. कुछ महीने पहले यहीं काशी की धरती पर काशी तमिल संगमम का आयोजन हुआ था. कुछ दिन पहले सौ राष्ट्र तमिल संगमम में शामिल हुआ था. आजादी का यह अमृत काल देश की विविधिताओं का संगम काल है. उन्होंने गंगा पुष्करालु उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं दी.


पीएम मोदी ने कहा कि काशी और तेलुगू का रिश्ता प्राचीन और पवित्र है. विविधाओं के इन संगमों से राष्ट्रीयता का अमृत निकल रहा है, जो भारत को अनंत काल तक ऊर्जावान रखेगा. काशी से जुड़ा हर व्यक्ति जानता है कि काशी और काशीवासियों का तेलुगू लोगों से गहरा रिश्ता है. काशी में कोई तेलुगू व्यक्ति आता है, तो काशी के लोगों को लगता है कि परिवार का कोई सदस्य आया है. काशी जितनी प्राचीन है, उतना ही प्राचीन यह रिश्ता है. काशी जितनी पवित्र है तेलुगू से रिश्ता भी उतना ही पवित्र है. तेलुगू भाषा और साहित्य में काशी उतनी ही रची बसी है. बाहर के लोगों को आश्चर्य होता है कि, कोई शहर इतना दूर होकर दिलों में इतने करीब कैसे हो सकता है. यही भारत की वह विरासत है. जिसने एक भारत और श्रेष्ठ भारत की परिभाषा को जिंदा रखा है. काशी मुक्ति और मोक्ष की नगरी भी है. जिसमें एक समय था. जब तेलुगू लोग हजारों किमी चलकर काशी आते थे. इस यात्रा में तमाम परेशानियां उठाते थे. आधुनिक समय में वह परिस्थितया नहीं रही जो पहले थी. आज एक ओर विश्वनाथ धाम का दिव्य वैभव है तो दूसरी ओर गंगा के घाटों का दिव्य अनुभव है. काशी की गलियां है तो नई सड़कों ओर हाईवे का नेटवर्क भी है.

पीएम मोदी ने कहा कि, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से जो लोग पहले काशी आए हैं. अब आए हैं तो बदलाव को महसूस कर रहे हैं. पहले एयरपोर्ट से दशाश्मेघ घाट तक घंटों लगते थे. अब मिनटों में लोग वाराणसी पहुंच जाते हैं. एक समय काशी की सड़कें बिजली के तारों से भरी रहती थी. अब अधिक जगहों पर सब तार अंडरग्राउंड हो गए हैं. अनेकों कुंड और मंदिरों के रास्तों का कायाकल्प हो रहा है. अब गंगा जी में सीएनजी की नावें चल रही हैं. अब वह दिन दूर नहीं जब बनारस में लोगों को रोपवे की सुविधा भी मिलेगी. यहां काशी के लोग आपकी सेवा और स्वागत में कोई कमी नहीं छोड़ेगे. मुझे काशी वासियों पर पूरा भरोसा है. बाबा विश्वनाथ, काल भैरव और मां अन्नपूर्णा के दर्शन अपने आप में अद्भुत होता है. गंगा जी में डुबकी आपकी आत्मा प्रसन्न कर देगी। काशी की लस्सी ठंडई, चाट लिट्‌टी चोखा और बनारसी पान आपकी यात्रा को और अनोखा बना देंगे.

यह भी पढ़ें- मुख्तार और अफजाल की सजा पर बोले सीएम योगी, अब कोई माफिया सीना तानकर नहीं चलेगा

Last Updated : Apr 30, 2023, 9:22 AM IST
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