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मंत्री KTR ने तेलंगाना का 'स्पेसटेक फ्रेमवर्क' लॉच किया - मेटावर्स स्पेसटेक फ्रेमवर्क लॉच

तेलंगाना के आईटी मंत्री के टी रामा राव ने 'स्पेसटेक फ्रेमवर्क' लॉच किया ('SpaceTech Framework' launched). अंतरिक्ष तकनीक क्षेत्र में निजी उद्योगों को बढ़ावा देने और राज्य को टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पहुंचाने की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है.

Telangana's SpaceTech Framework launched on Metaverse by IT Minister KTR
आईटी मंत्री KTR ने तेलंगाना का 'स्पेसटेक फ्रेमवर्क' लॉच किया
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Published : Apr 19, 2022, 9:23 AM IST

हैदराबाद: तेलंगाना सरकार ने सोमवार को 'स्पेसटेक फ्रेमवर्क' लॉच किया ('SpaceTech Framework' launched). इसका उद्देश्य अंतरिक्ष तकनीक क्षेत्र में निजी उद्योगों की भागीदारी का समर्थन करना और राज्य को प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी) के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त वन स्टॉप डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करना है.

यह कार्यक्रम मेटावर्स पर आयोजित किया गया था और सरकार ने कहा कि यह वर्चुअल-रियलिटी स्पेस पर आयोजित देश का पहला आधिकारिक कार्यक्रम था. इस कार्यक्रम में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ (ISRO Chairman S Somanath), तेलंगाना के आईटी मंत्री के टी रामा राव और अन्य ने भाग लिया. मेटावर्स एक वर्चुअल-रियलिटी स्पेस है जिसमें उपयोगकर्ता कंप्यूटर से उत्पन्न वातावरण और अन्य उपयोगकर्ताओं के साथ बातचीत कर सकते हैं.

तेलंगाना के आईटी मंत्री के टी रामा राव ने इस फ्रेमवर्क को लॉच करते हुए उभरती प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की पहल और उन क्षेत्रों में हुई प्रगति के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि सरकार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को अपने अगले फोकस क्षेत्र के रूप में देखती है. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष तकनीक उद्योग में शामिल अपस्ट्रीम सेगमेंट जैसे उपग्रह और डाउनस्ट्रीम सेगमेंट जैसे एप्लाइड एआई / एनालिटिक्स त्वरित विकास के एक मोड़ पर है.

मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय सुधारों के साथ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी उद्योग में निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी का समर्थन करने वाला तेलंगाना उस नवाचार (innovation) का समर्थन करेगा जो होना तय है. उन्होंने कहा कि पूर्व में कई विदेशी निजी कंपनियों ने तकनीकी प्रगति के साथ दुनिया को चकित किया, लेकिन उनमें से अधिकांश भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों द्वारा समर्थित थे.

ये भी पढ़ें- MP के 'गूगल ब्वॉय' ने रच दिया इतिहास, 14 माह की उम्र में पहचाने 26 देशों के फ्लैग

लेकिन अब समय आ गया है कि भारतीयों द्वारा विकसित तकनीक को देश में बनाया जाए और फिर इसे विश्व स्तर पर निर्यात किया जाए. अब समय आ गया है कि हम अंतरिक्ष उद्योग के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लें, जिसके 2026 तक बढ़कर 558 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि मौजूदा एयरोस्पेस और रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र और इसकी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के साथ तालमेल के कारण हैदराबाद पहले से ही अंतरिक्ष से संबंधित गतिविधियों के लिए एक केंद्र बनने के लिए उपयुक्त है.

हैदराबाद: तेलंगाना सरकार ने सोमवार को 'स्पेसटेक फ्रेमवर्क' लॉच किया ('SpaceTech Framework' launched). इसका उद्देश्य अंतरिक्ष तकनीक क्षेत्र में निजी उद्योगों की भागीदारी का समर्थन करना और राज्य को प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी) के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त वन स्टॉप डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करना है.

यह कार्यक्रम मेटावर्स पर आयोजित किया गया था और सरकार ने कहा कि यह वर्चुअल-रियलिटी स्पेस पर आयोजित देश का पहला आधिकारिक कार्यक्रम था. इस कार्यक्रम में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ (ISRO Chairman S Somanath), तेलंगाना के आईटी मंत्री के टी रामा राव और अन्य ने भाग लिया. मेटावर्स एक वर्चुअल-रियलिटी स्पेस है जिसमें उपयोगकर्ता कंप्यूटर से उत्पन्न वातावरण और अन्य उपयोगकर्ताओं के साथ बातचीत कर सकते हैं.

तेलंगाना के आईटी मंत्री के टी रामा राव ने इस फ्रेमवर्क को लॉच करते हुए उभरती प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की पहल और उन क्षेत्रों में हुई प्रगति के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि सरकार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को अपने अगले फोकस क्षेत्र के रूप में देखती है. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष तकनीक उद्योग में शामिल अपस्ट्रीम सेगमेंट जैसे उपग्रह और डाउनस्ट्रीम सेगमेंट जैसे एप्लाइड एआई / एनालिटिक्स त्वरित विकास के एक मोड़ पर है.

मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय सुधारों के साथ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी उद्योग में निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी का समर्थन करने वाला तेलंगाना उस नवाचार (innovation) का समर्थन करेगा जो होना तय है. उन्होंने कहा कि पूर्व में कई विदेशी निजी कंपनियों ने तकनीकी प्रगति के साथ दुनिया को चकित किया, लेकिन उनमें से अधिकांश भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों द्वारा समर्थित थे.

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लेकिन अब समय आ गया है कि भारतीयों द्वारा विकसित तकनीक को देश में बनाया जाए और फिर इसे विश्व स्तर पर निर्यात किया जाए. अब समय आ गया है कि हम अंतरिक्ष उद्योग के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लें, जिसके 2026 तक बढ़कर 558 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि मौजूदा एयरोस्पेस और रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र और इसकी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के साथ तालमेल के कारण हैदराबाद पहले से ही अंतरिक्ष से संबंधित गतिविधियों के लिए एक केंद्र बनने के लिए उपयुक्त है.

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