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तेलंगाना हाई कोर्ट ने झूठे हलफनामे मामले में गडवाला विधायक को अयोग्य ठहराया - झूठे हलफनामे मामले में गडवाला विधायक

तेलंगाना हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में गडवाला विधायक बंदा कृष्णमोहन रेड्डी का चुनाव अयोग्य घोषित कर दिया है. हाई कोर्ट ने दूसरे स्थान पर रहीं डीके अरुणा को अब विधायक घोषित कर दिया है.

Telangana High Court
तेलंगाना हाई कोर्ट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 24, 2023, 10:24 PM IST

हैदराबाद: चुनावी हलफनामा विवाद में तेलंगाना हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए, गडवाला विधायक बंदा कृष्णमोहन रेड्डी का चुनाव अयोग्य घोषित कर दिया है. चुनाव में दूसरे नंबर पर रहीं डीके अरुणा को हाई कोर्ट ने विधायक घोषित कर दिया था. गौरतलब है कि 2018 के चुनाव में, बीआरएस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने वाले कृष्ण मोहन रेड्डी ने डीके अरुणा के खिलाफ जीत हासिल की, जो उस समय कांग्रेस के उम्मीदवार थे.

हालांकि, डीके अरुणा ने 2019 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी कि कृष्ण मोहन ने जानबूझकर चुनावी हलफनामे में अपनी संपत्ति, चालान और कर्ज का ब्योरा छुपाया है. ईवीएम से भी छेड़छाड़ की गई है...वीवीपैट को गिनने के लिए कहा गया है. उच्च न्यायालय ने गुरुवार याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए कृष्णमोहन रेड्डी के चुनाव को अवैध घोषित कर दिया.

बीती 7 दिसंबर, 2018 को हुए विधानसभा चुनाव में बीआरएस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने वाले बंदला कृष्णमोहन रेड्डी को 1,00,415 वोट मिले, जबकि निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार डीके अरुणा को 72,155 वोट मिले. डीके अरुणा अब कांग्रेस से बीजेपी में आ गई हैं. वह पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. गडवाला विधायक बंदा कृष्णमोहन रेड्डी ने कहा कि वह अपने चुनाव को अमान्य करने के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.

उन्होंने कहा कि उन्होंने जानबूझकर चुनावी हलफनामे में कोई जानकारी नहीं छिपाई. कृष्णमोहन रेड्डी ने आरोप लगाया कि डीके अरुणा ने झूठे आरोप लगाकर कोर्ट को गुमराह किया है. उन्होंने कहा कि उन्हें हाई कोर्ट से कोई नोटिस नहीं मिला, इसलिए उनकी दलीलों के बिना ही फैसला आ गया. उन्होंने कहा कि उन्हें न्यायपालिका और कानून पर भरोसा है... वे सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे.

बंदा कृष्णमोहन रेड्डी ने कहा कि जनता की अदालत में अंतिम फैसला जनता का होता है. आगामी चुनाव में वह 50 हजार के बहुमत से जीतेंगे. ऐसी ही घटना 15 दिन पहले तेलंगाना में भी हुई थी. हाई कोर्ट ने चुनावी हलफनामा विवाद में कोठागुडेम विधायक वनमा वेंकटेश्वर राव का चुनाव खारिज कर दिया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले पर रोक लगाने से उन्होंने राहत की सांस ली.

हैदराबाद: चुनावी हलफनामा विवाद में तेलंगाना हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए, गडवाला विधायक बंदा कृष्णमोहन रेड्डी का चुनाव अयोग्य घोषित कर दिया है. चुनाव में दूसरे नंबर पर रहीं डीके अरुणा को हाई कोर्ट ने विधायक घोषित कर दिया था. गौरतलब है कि 2018 के चुनाव में, बीआरएस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने वाले कृष्ण मोहन रेड्डी ने डीके अरुणा के खिलाफ जीत हासिल की, जो उस समय कांग्रेस के उम्मीदवार थे.

हालांकि, डीके अरुणा ने 2019 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी कि कृष्ण मोहन ने जानबूझकर चुनावी हलफनामे में अपनी संपत्ति, चालान और कर्ज का ब्योरा छुपाया है. ईवीएम से भी छेड़छाड़ की गई है...वीवीपैट को गिनने के लिए कहा गया है. उच्च न्यायालय ने गुरुवार याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए कृष्णमोहन रेड्डी के चुनाव को अवैध घोषित कर दिया.

बीती 7 दिसंबर, 2018 को हुए विधानसभा चुनाव में बीआरएस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने वाले बंदला कृष्णमोहन रेड्डी को 1,00,415 वोट मिले, जबकि निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार डीके अरुणा को 72,155 वोट मिले. डीके अरुणा अब कांग्रेस से बीजेपी में आ गई हैं. वह पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. गडवाला विधायक बंदा कृष्णमोहन रेड्डी ने कहा कि वह अपने चुनाव को अमान्य करने के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.

उन्होंने कहा कि उन्होंने जानबूझकर चुनावी हलफनामे में कोई जानकारी नहीं छिपाई. कृष्णमोहन रेड्डी ने आरोप लगाया कि डीके अरुणा ने झूठे आरोप लगाकर कोर्ट को गुमराह किया है. उन्होंने कहा कि उन्हें हाई कोर्ट से कोई नोटिस नहीं मिला, इसलिए उनकी दलीलों के बिना ही फैसला आ गया. उन्होंने कहा कि उन्हें न्यायपालिका और कानून पर भरोसा है... वे सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे.

बंदा कृष्णमोहन रेड्डी ने कहा कि जनता की अदालत में अंतिम फैसला जनता का होता है. आगामी चुनाव में वह 50 हजार के बहुमत से जीतेंगे. ऐसी ही घटना 15 दिन पहले तेलंगाना में भी हुई थी. हाई कोर्ट ने चुनावी हलफनामा विवाद में कोठागुडेम विधायक वनमा वेंकटेश्वर राव का चुनाव खारिज कर दिया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले पर रोक लगाने से उन्होंने राहत की सांस ली.

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