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जीएचएमसी चुनाव : राज्य निर्वाचन आयोग के परिपत्र पर हाईकोर्ट की रोक - special ballot papers in GHMC polls

तेलंगाना उच्च न्यायालय ने राज्य के निर्वाचन आयोग के उस परिपत्र पर रोक लगा दी जिसमें चुनाव में मानक स्वास्तिक चिह्न के अलावा अन्य चिह्न वाले मतपत्रों की गिनती को भी मान्यता दी गई थी.

तेलंगाना उच्च न्यायालय
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Published : Dec 4, 2020, 5:00 PM IST

Updated : Dec 4, 2020, 5:24 PM IST

हैदराबाद : तेलंगाना उच्च न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग के उस परिपत्र पर रोक लगा दी जिसमें ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव में मानक स्वास्तिक चिह्न के अलावा अन्य चिह्न वाले मतपत्रों की गिनती को भी मान्यता दी गई थी.

शुक्रवार को न्यायमूर्ति अभिषेक रेड्डी ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान आयोग के परिपत्र पर रोक लगाते हुए कहा कि जिन मतपत्रों पर भिन्न प्रकार के चिह्न हैं उन्हें अलग रखा जाए तथा अगर उनसे चुनाव नतीजे प्रभावित होने की संभावना हो तो, परिणाम घोषित न किये जाएं.

अदालत ने कहा कि अगर जीत का अंतर विवादित मतपत्रों की संख्या से कम है तो इन्हें नहीं गिना जाए और वार्ड के चुनाव परिणाम घोषित नहीं किए जाएं.

इससे पहले कुछ चुनाव अधिकारियों ने निर्वाचन आयोग को सूचित किया था कि उन्होंने भूलवश स्वास्तिक निशान की जगह अन्य निशान वाले मतपत्र मतदाताओं को दे दिए थे. इसके बाद निर्वाचन आयोग ने गुरुवार रात सर्कुलर जारी कर कहा कि अगर किसी उम्मीदवार को वोट देते वक्त मतदाता की मंशा स्पष्ट है तो उसके मत को वैध माना जाए क्योंकि यह चुनाव अधिकारी की गलती से हुआ है.

पढ़ें :- भाजपा ने खोला खाता, ओवैसी की पार्टी ने जीतीं 24 सीटें, मतगणना जारी

इसके बाद एंटनी रेड्डी और के सुरेंदर (जीएचएमसी चुनाव के एक उम्मीदवार) ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करके निर्वाचन आयोग के सर्कुलर को अवैध, मनमाना और चुनावी कानूनों के खिलाफ घोषित करने की अपील की थी. सूत्रों ने बताया कि सभी निर्वाचन अधिकारियों को उच्च न्यायालय के आदेश के बारे में सूचित कर दिया गया है और वे इसी के अनुरूप काम करेंगे. मामले में 7 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी.

हैदराबाद : तेलंगाना उच्च न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग के उस परिपत्र पर रोक लगा दी जिसमें ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव में मानक स्वास्तिक चिह्न के अलावा अन्य चिह्न वाले मतपत्रों की गिनती को भी मान्यता दी गई थी.

शुक्रवार को न्यायमूर्ति अभिषेक रेड्डी ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान आयोग के परिपत्र पर रोक लगाते हुए कहा कि जिन मतपत्रों पर भिन्न प्रकार के चिह्न हैं उन्हें अलग रखा जाए तथा अगर उनसे चुनाव नतीजे प्रभावित होने की संभावना हो तो, परिणाम घोषित न किये जाएं.

अदालत ने कहा कि अगर जीत का अंतर विवादित मतपत्रों की संख्या से कम है तो इन्हें नहीं गिना जाए और वार्ड के चुनाव परिणाम घोषित नहीं किए जाएं.

इससे पहले कुछ चुनाव अधिकारियों ने निर्वाचन आयोग को सूचित किया था कि उन्होंने भूलवश स्वास्तिक निशान की जगह अन्य निशान वाले मतपत्र मतदाताओं को दे दिए थे. इसके बाद निर्वाचन आयोग ने गुरुवार रात सर्कुलर जारी कर कहा कि अगर किसी उम्मीदवार को वोट देते वक्त मतदाता की मंशा स्पष्ट है तो उसके मत को वैध माना जाए क्योंकि यह चुनाव अधिकारी की गलती से हुआ है.

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इसके बाद एंटनी रेड्डी और के सुरेंदर (जीएचएमसी चुनाव के एक उम्मीदवार) ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करके निर्वाचन आयोग के सर्कुलर को अवैध, मनमाना और चुनावी कानूनों के खिलाफ घोषित करने की अपील की थी. सूत्रों ने बताया कि सभी निर्वाचन अधिकारियों को उच्च न्यायालय के आदेश के बारे में सूचित कर दिया गया है और वे इसी के अनुरूप काम करेंगे. मामले में 7 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी.

Last Updated : Dec 4, 2020, 5:24 PM IST
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