पटना: आए दिन अपने बयान और अपनी मांगों से चर्चा में रहने वाले तेज प्रताप यादव इन दिनों छोटे भाई तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav and Tej Pratap Yadav are seen together) के साथ खूब नजर आ रहे हैं. जब से चारा घोटाले के एक और मामले में लालू यादव दोषी करार दिए गए हैं तब से खासतौर पर दोनों भाइयों के बीच की दूरी कम होती नजर आ रही है. जानकारी यह भी है कि लालू यादव ( lalu prasad instructed Tejashwi Tej Pratap ) ने दोनों को एक साथ मिलकर रहने का निर्देश दिया है. लेकिन बड़ा सवाल ये कि अर्जुन पर कृष्ण की यह मेहरबानी कब तक बरकरार रहेगी.
क्या लालू की नसीहत का हो रहा पालन?: रांची जाने से पहले लालू यादव ने तेजप्रताप यादव को अपने छोटे भाई का साथ देने और पार्टी और परिवार की व्यवस्था बनाए रखने का गुरु मंत्र दिया है. इस बात की चर्चा जोर शोर से हो रही है. हालांकि इस बारे में खुलकर कोई नहीं बोल रहा है. लेकिन जिस तरह पिछले कुछ दिनों से दोनों भाई हर बैठक में एक साथ नजर आ रहे हैं उससे यह चर्चा खूब हो रही है कि जब लालू यादव और उनका परिवार परेशानी में पड़ा है तो दोनों भाई फिर एक साथ नजर आ रहे हैं. हालांकि राजद नेता कहते हैं कि दोनों भाइयों के बीच दूरियां कभी नहीं थी. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि ना सिर्फ तेजस्वी बल्कि जगदानंद सिंह के साथ भी तेज प्रताप यादव के रिश्ते काफी अच्छे हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी और परिवार में पूरी एकजुटता है और कहीं कोई परेशानी नहीं है.
एक साथ दिखे तेज-तेजस्वी: अब राबड़ी देवी के पटना स्थित सरकारी आवास में समस्तीपुर में MLC चुनाव के लिए उम्मीदवार के चयन के लिए हुई बैठक में तेज प्रताप नजर आए. तेजस्वी ने आवास पर पहुंचे माध्यमिक और उच्च माध्यमिक नियोजित शिक्षक अभ्यर्थियों से जब मुलाकात की उस समय भी वह साथ थे. अपने भाई तेजस्वी के साथ तेजप्रताप फिर से एक फ्रेम में दिखने लगे हैं. लेकिन बीते कुछ महीनों में तेजप्रताप ने कई बार ऐसे बयान दिए, जिससे दोनों भाइयों के बीच दूरी दिखने लगी थी. बहुत दिनों तक दोनों भाई साथ दिखते भी नहीं थे.
इधर भाजपा नेता प्रेम रंजन पटेल इसे वक्त की बात बता रहे हैं. बीजेपी नेता ने कहा कि, फिलहाल लालू यादव और परिवार की परेशानी को देखते हुए दोनों भाई जरूर एक साथ नजर आ रहे हैं लेकिन दोनों भाइयों के बीच तनातनी फिर सामने नजर आएगी, जब कहीं कोई हिस्सेदारी की बात होगी. भाजपा नेता ने दावा किया कि सिर्फ कुछ समय के लिए दोनों भाई जरूर एक साथ नजर आ रहे हैं लेकिन यह तय है कि जैसे ही कोई मामला सामने आएगा फिर तेज प्रताप यादव बगावत करेंगे.
इधर वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि, यह वक्त पार्टी और परिवार के लिए खास तौर पर परेशानी भरा है. क्योंकि लालू यादव को एक और मामले में दोषी करार दे दिया गया है और ऐसे में दोनों भाई अगर साथ हैं तो परिवार और पार्टी के लिए अच्छी बात है. लेकिन हकीकत में दोनों भाइयों के बीच का मनमुटाव कम हुआ या नहीं यह तब पता चलेगा जब कोई महत्वपूर्ण मौका सामने आएगा.
तेजप्रताप का जगदानंद सिंह से हुआ था विवाद: अगर पिछले 1 साल में तेज प्रताप यादव से जुड़े विवादों की बात करें तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को लेकर वे सवाल खड़े कर चुके हैं. जब जगदानंद सिंह ने छात्र राजद के प्रदेश अध्यक्ष की छुट्टी कर दी थी, तब तेज प्रताप यादव ने तो यह घोषणा कर दी थी कि जब तक जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाया नहीं जाएगा तब तक वे प्रदेश कार्यालय नहीं जाएंगे.
छात्र राजद में आकाश की मनमानियां जब बढ़नी लगीं और उन्होंने राजद कार्यालय में आयोजित छात्र राजद की बैठक में लगाए पोस्टर से तेजस्वी की फोटो हटाकर खुद अपना फोटो लगा लिया तब बात काफी बढ़ गई. उसी आयोजन में तेज प्रताप ने राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को हिटलर कह दिया था. आखिरकार आकाश को पद से हटाया गया और गगन कुमार को छात्र राजद का नया अध्यक्ष बनाया गया. यह उसी दौर की बात है जब तेज प्रताप ने आरोप लगाया था संजय यादव उन्हें अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव से मिलने नहीं दे रहे हैं.
तेजस्वी-तेजप्रताप के बीच मनमुटाव: इसके अलावा तेजस्वी से मनमुटाव की बात कोई नई नहीं है. वे अक्सर यह कहते रहे हैं कि अर्जुन तभी आगे बढ़ पाएगा जब उसके सिर पर श्री कृष्ण का हाथ होगा. 2020 विधानसभा चुनाव हो, उपचुनाव हो या फिर विधान परिषद का चुनाव, हर बार तेज प्रताप यादव ने अपने लिए कुछ सीटों की मांग रखी. पिछले साल उपचुनाव में तो मुंगेर से उन्होंने संजय यादव नामक एक प्रत्याशी भी खड़ा कर दिया था, जिसे राजद ने बाद में मैनेज किया.
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इतना सब होने के बाद जब तेजस्वी यादव की शादी दिल्ली में हो रही थी तब उसमें शामिल होने तेज प्रताप भी पहुंचे थे. कुछ दिनों पहले तेज प्रताप के संगठन छात्र जनशक्ति परिषद ने 24 सीटों पर हो रहे MLC चुनाव में 6 उम्मीदवारों के चयन का जिम्मा तेजप्रताप यादव को देने की मांग कर दी थी. इतना सब होने के बावजूद जब डोरंडा मामले में लालू प्रसाद को सजा देने का समय आया तो दोनों भाई एक साथ दिख रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि लालू प्रसाद ने रांची से ही निर्देश दिया है कि एकजुट होकर सामाजिक न्याय और आपसी सदभाव की लड़ाई लड़नी है. राजद बिहार की सबसे बड़ी पार्टी है और इसका जनाधार पंचायतों तक है, इसलिए एकजुट होकर इसे और मजबूत बनाना है. पंचायत चुनाव में राजद के समर्थक ही बड़ी संख्या में जीत कर आए हैं.
पिछले साल दोनों भाइयों के बीच मनमुटाव तब चरम पर पहुंच गया जब तेज प्रताप यादव ने सोशल मीडिया पर ट्वीट किया और लिखा कि मुझे 5 गांव ही दे दो. सबसे बड़ी बात यह कि इस वर्ष राष्ट्रीय जनता दल के संगठनात्मक चुनाव होने हैं. इस बात की चर्चा काफी समय से हो रही है कि तेजस्वी यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष या कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है. जिसे हाल में तेज प्रताप यादव ने नकार दिया था. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों भाइयों के बीच का यह प्रेम कब तक बरकरार रहता है.