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कला प्रेमी शिक्षक उमाशंकर को मिली राष्ट्रीय पहचान, कई रिकार्ड किए अपने नाम

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Published : Dec 5, 2020, 1:39 AM IST

आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में रहने वाले एक शिक्षक उमाशंकर का कला के प्रति प्रेम इतना है कि उन्होंने इंडिया बुक, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के साथ-साथ अन्य रिकॉर्ड अपने नाम किए है.

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अमरावती : आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में रहने वाले एक शिक्षक अपने कौशल को निखारते हुए आज राष्ट्रीय स्तर के कलाकार बन गए हैं. अद्भुत कलाकृतियां बनाते हुए उन्हें जिले के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के रूप में भी प्रशंसा मिली है.

उन्होंने लकड़ी के टुकड़े, पिन, पेंसिल और चॉक पर कलाकृतियों को उकेरा है. इसके अलावा उन्होंने कांच की बोतलों में मंदिर, रथ, घोड़ों और अन्य कलाकृतियों को तैयार किया है. उनकी कला देख सभी आश्चर्यचकित रह जाते हैं.

गंधमल्ल उमाशंकर नेल्लोर जिले के एक सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं. उन्होंने चॉक के टुकड़ों पर राष्ट्रीय नेताओं के चित्र बनाए हैं, पेंसिल ग्रेफाइट का उपयोग करके प्रसिद्ध मंदिरों की कलाकृति बनाई है. इसी तरह पेंसिल की नोक पर भी छोटी कलाकृतियां बनाई हैं.

कला प्रेमी शिक्षक उमाशंकर को मिली राष्ट्रीय पहचान

अपनी कला का अद्भुत नमूना पेश करते हुए उन्होंने सूखे बरगद के पेड़ के पत्तों से भी कलाकृति बनाई है. उन्होंने बल्बों के अंदर भी प्रसिद्ध नेताओं की कलाकृति तैयार की है.

उमाशंकर ने 600 पेंसिल लीड से विश्व प्रसिद्ध एफिल टॉवर भी बनाया है. इस आश्चर्यचकित कर देने वाली कलाकृति की चौड़ाई 16 सेंटीमीटर है और इसकी ऊंचाई 38 सेंटीमीटर है. 60 दिनों में पेंसिल की लीड से एफिल टॉवर तैयार करने के लिए उमाशंकर का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है. उन्होंने इसे बनाने के लिए प्रतिदिन 10 घंटे महनत की है.

पढ़ें :- पाकिस्तान : अपने हुनर से लकड़ी को तराशती हैं ट्रांसजेंडर चांदनी

उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज, तिरुमला मंदिर, केदारनाथ मंदिर, भगवान विनायक, ईसा मसीह, रविन्द्रनाथ टैगोर, सचिन तेंदुलकर, क्रिकेट ट्रॉफी और अन्य कलाकृतियां बनाकर लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है.

कला प्रेमी होने के साथ उमाशंकर पर्यावरण प्रेमी भी हैं. उन्होंने बोनसाई (बौना) पेड़ों को भी सुसज्जित किया है. कला के क्षेत्र में उन्होंने कई रिकॉर्ड बनाए हैं जिसके लिए उनका नाम इंडिया बुक, आरएच बुक, स्टेट बुक, लिम्का बुक, तमिल बुक, यूनिक रिकॉर्ड, वंडर बुक रिकॉर्ड, स्टेट बुक और एवरेस्ट बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है.

अमरावती : आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में रहने वाले एक शिक्षक अपने कौशल को निखारते हुए आज राष्ट्रीय स्तर के कलाकार बन गए हैं. अद्भुत कलाकृतियां बनाते हुए उन्हें जिले के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के रूप में भी प्रशंसा मिली है.

उन्होंने लकड़ी के टुकड़े, पिन, पेंसिल और चॉक पर कलाकृतियों को उकेरा है. इसके अलावा उन्होंने कांच की बोतलों में मंदिर, रथ, घोड़ों और अन्य कलाकृतियों को तैयार किया है. उनकी कला देख सभी आश्चर्यचकित रह जाते हैं.

गंधमल्ल उमाशंकर नेल्लोर जिले के एक सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं. उन्होंने चॉक के टुकड़ों पर राष्ट्रीय नेताओं के चित्र बनाए हैं, पेंसिल ग्रेफाइट का उपयोग करके प्रसिद्ध मंदिरों की कलाकृति बनाई है. इसी तरह पेंसिल की नोक पर भी छोटी कलाकृतियां बनाई हैं.

कला प्रेमी शिक्षक उमाशंकर को मिली राष्ट्रीय पहचान

अपनी कला का अद्भुत नमूना पेश करते हुए उन्होंने सूखे बरगद के पेड़ के पत्तों से भी कलाकृति बनाई है. उन्होंने बल्बों के अंदर भी प्रसिद्ध नेताओं की कलाकृति तैयार की है.

उमाशंकर ने 600 पेंसिल लीड से विश्व प्रसिद्ध एफिल टॉवर भी बनाया है. इस आश्चर्यचकित कर देने वाली कलाकृति की चौड़ाई 16 सेंटीमीटर है और इसकी ऊंचाई 38 सेंटीमीटर है. 60 दिनों में पेंसिल की लीड से एफिल टॉवर तैयार करने के लिए उमाशंकर का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है. उन्होंने इसे बनाने के लिए प्रतिदिन 10 घंटे महनत की है.

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उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज, तिरुमला मंदिर, केदारनाथ मंदिर, भगवान विनायक, ईसा मसीह, रविन्द्रनाथ टैगोर, सचिन तेंदुलकर, क्रिकेट ट्रॉफी और अन्य कलाकृतियां बनाकर लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है.

कला प्रेमी होने के साथ उमाशंकर पर्यावरण प्रेमी भी हैं. उन्होंने बोनसाई (बौना) पेड़ों को भी सुसज्जित किया है. कला के क्षेत्र में उन्होंने कई रिकॉर्ड बनाए हैं जिसके लिए उनका नाम इंडिया बुक, आरएच बुक, स्टेट बुक, लिम्का बुक, तमिल बुक, यूनिक रिकॉर्ड, वंडर बुक रिकॉर्ड, स्टेट बुक और एवरेस्ट बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है.

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