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अनुशासनहीनता पर डांट के बाद छात्र आत्महत्या करता है तो टीचर दोषी नहीं : SC

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक टीचर को राहत दे दी है, जिसे छात्र की खुदकुशी के लिए जिम्मेदार माना जा रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अनुशासनहीनता करने पर अगर टीचर छात्र को डांटता है तो यह उसे सुधारने के लिए है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Oct 6, 2021, 5:50 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी छात्र को अनुशासनहीनता के लिए फटकार लगाई जाती है और वह आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है तो इसके लिए टीचर को कतई दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. शीर्ष अदालत ने ऐसे ही एक मामले में आरोपी शिक्षक को राहत दे दी है.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान जयपुर के एक शिक्षक पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला रद्द कर दिया. अप्रैल 2018 में शिक्षक के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गई थी. क्लास बंक करने पर टीचर की फटकार के बाद कक्षा 9 के छात्र ने आत्महत्या कर ली थी.

जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा 'अनुशासनहीनता के लिए छात्र को फटकार लगाना गलत नहीं है. ये छात्र में अच्छे गुणों को विकसित करने के लिए टीचर के नैतिक दायित्वों के अंतर्गत आता है. निश्चित रूप से उसने उसे आत्महत्या के लिए उकसाने या जानबूझकर कर ऐसा नहीं किया होगा. वह उसे सुधारना चाहता था. '

राजस्थान उच्च न्यायालय ने पिछले साल टीचर की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला रद्द करने की अपील की थी. इस मामले में 2018 में शिक्षक को भी गिरफ्तार किया गया था. जयपुर के सेंट जेवियर्स स्कूल के शारीरिक शिक्षा शिक्षक जियो वर्गीज अनुशासन समिति के सदस्य थे. बच्चे के पास से मिले सुसाइड नोट में शिक्षक का नाम नहीं है, लेकिन पुलिस ने उसके माता-पिता की शिकायत के आधार पर वर्गीज के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर लिया था.

पढ़ें- महाराष्ट्र : छात्रा के साथ दुष्कर्म के आरोप में शिक्षक गिरफ्तार

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष तर्क दिया गया कि एफआईआर में लगाए गए आरोपों के आधार पर ये कतई नहीं कहा जा सकता कि छात्र को आत्महत्या के लिए उकसाया गया. मां का आरोप था कि घटना के एक दिन पहले वर्गीज ने उनके बेटे को फटकार लगाई थी, इससे वह अपमानित महसूस कर रहा था. पुलिस को सुसाइड नोट मिला था, जिसके आधार पर मामला दर्ज किया गया था. हाई कोर्ट से राहत न मिलने पर वर्गीज ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी छात्र को अनुशासनहीनता के लिए फटकार लगाई जाती है और वह आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है तो इसके लिए टीचर को कतई दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. शीर्ष अदालत ने ऐसे ही एक मामले में आरोपी शिक्षक को राहत दे दी है.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान जयपुर के एक शिक्षक पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला रद्द कर दिया. अप्रैल 2018 में शिक्षक के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गई थी. क्लास बंक करने पर टीचर की फटकार के बाद कक्षा 9 के छात्र ने आत्महत्या कर ली थी.

जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा 'अनुशासनहीनता के लिए छात्र को फटकार लगाना गलत नहीं है. ये छात्र में अच्छे गुणों को विकसित करने के लिए टीचर के नैतिक दायित्वों के अंतर्गत आता है. निश्चित रूप से उसने उसे आत्महत्या के लिए उकसाने या जानबूझकर कर ऐसा नहीं किया होगा. वह उसे सुधारना चाहता था. '

राजस्थान उच्च न्यायालय ने पिछले साल टीचर की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला रद्द करने की अपील की थी. इस मामले में 2018 में शिक्षक को भी गिरफ्तार किया गया था. जयपुर के सेंट जेवियर्स स्कूल के शारीरिक शिक्षा शिक्षक जियो वर्गीज अनुशासन समिति के सदस्य थे. बच्चे के पास से मिले सुसाइड नोट में शिक्षक का नाम नहीं है, लेकिन पुलिस ने उसके माता-पिता की शिकायत के आधार पर वर्गीज के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर लिया था.

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सुप्रीम कोर्ट के समक्ष तर्क दिया गया कि एफआईआर में लगाए गए आरोपों के आधार पर ये कतई नहीं कहा जा सकता कि छात्र को आत्महत्या के लिए उकसाया गया. मां का आरोप था कि घटना के एक दिन पहले वर्गीज ने उनके बेटे को फटकार लगाई थी, इससे वह अपमानित महसूस कर रहा था. पुलिस को सुसाइड नोट मिला था, जिसके आधार पर मामला दर्ज किया गया था. हाई कोर्ट से राहत न मिलने पर वर्गीज ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.

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