जमशेदपुर : देश के इस्पात उद्योग में क्रांति लाने वाली टाटा स्टील ने कच्चे माल के आयात के लिए पहली बार बायो-ईंधन से चलने वाले जहाज (bio fueled cargo) का उपयोग किया है. इसी के साथ टाटा स्टील परिवहन के लिए बायो-ईंधन वाले मालवाहक जहाज का उपयोग करने वाली पहली भारतीय स्टील कंपनी बन गई है.
जमशेदपुर में स्थापित सौ साल से ज्यादा पुरानी टाटा स्टील ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है. आजादी से पहले भारत में इस्पात उद्योग में क्रांति लाने वाली टाटा स्टील ने कच्चे माल के आयात के लिए पहली बार बायो-ईंधन से चलने वाले जहाज का उपयोग किया है. टाटा ग्रुप की ओर से जारी प्रेस रिलीज में इसकी जानकारी दी गई है.
बायो-ईंधन संचालित मालवाहक
आपको बता दें कि समुद्री व्यापार में स्कोप 3 ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन जीएचजी को कम करने को लेकर अपने सस्टेनेबिलिटी के उद्देश्यों के अनुरूप, टाटा स्टील ने बायो-ईंधन संचालित एक मालवाहक पानी जहाज को तैनात किया है. फ्रंटियर स्काई नाम के इस मालवाहक जहाज की मालिक एनवाईके कंपनी है और इसे टाटा एनवाईके शिपिंग पीटीई लिमिटेड द्वारा संचालित किया जाता है. इसने टाटा स्टील की ओर से प्रदत्त माल के परिवहन के लिए बायो-ईंधन के इस्तेमाल का परीक्षण यानी ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा किया है. इसके तहत ऑस्ट्रेलिया के ग्लैडस्टोन से 1,60,000 टन कोयला भारत के धामरा तक परिवहन कर लाया गया.
कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए प्रयास
टाटा स्टील सप्लाई चेन के वाइस प्रेसिडेंट पीयूष गुप्ता ने प्रेस रिलीज के माध्यम से बताया कि ट्रायल के प्रोत्साहन देने वाले नतीजे हमारे इरादे की पुष्टि करते हैं, जिसके साथ हम तीनों पार्टनर ने अपने परिचालन में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए कोलेबरेशन किया है.
स्कोप 3 उत्सर्जन के समाधान के लिए इस मुहिम में शामिल सभी पक्षों के नवाचार और सहभागिता के माध्यम से ही इस मुद्दे का हल किया जा सकता है.
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