कन्याकुमारी : 26 दिसंबर 2004 को तमिलनाडु में सुनामी से 8,000 लोग मारे गए थे. कन्याकुमारी जिले के कुलाचल, कोटिलपाडु और मानाकुडी के तटीय गांवों में एक हजार से अधिक लोग मारे गए थे. कुलाचल इलाके में मरने वाले 400 से ज्यादा लोगों को एक जगह दफनाया गया था. इसी तरह मछली पकड़ने वालों के गांव मानाकुडी में 118 से ज्यादा लोग और कोटिलपाडु इलाके में 140 से ज्यादा लोग मारे गए थे. सोमवार को इस दुखद घटना के 18 साल पूरे होने पर सुनामी पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी गई. (tamil nadu remembers 2004 tsunami victims)
मानाकुडी स्थित सेंट एंथोनी चर्च में एक सामूहिक प्रार्थना सभा आयोजित की गई. सुनामी में मरने वालों के परिजनों सहित बड़ी संख्या में लोगों ने मृतकों की आत्मा की शांति के लिए प्रभु से प्रार्थना की और कहा कि ऐसी त्रासदी दोबारा न आए.
सूनामी में मारे गए लोगों के रिश्तेदारों ने चर्च से समाधि स्थल तक एक मौन जुलूस निकाला और अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि दी. सुनामी आपदा के कारण अपने रिश्तेदारों को खोने वालों में से कई लोगों की आंखों के आंसू थम नहीं रहे थे. उस दुखदायी दिन को याद करते हुए तटीय गांवों से कोई भी मछली पकड़ने नहीं गया.
मानाकुडी चर्च के फादर एंथोनी अप्पन ने तमिलनाडु सरकार से अनुरोध किया है कि 'सुनामी में मरने वाले कई मछुआरों के परिवारों को भले ही सरकार से राहत मिली हो, लेकिन 18 साल बाद भी अभी भी ऐसी स्थिति है जहां कुछ परिवारों को राहत राशि नहीं मिली है. एहतियाती उपाय के रूप में, सरकार को मछली पकड़ने वाले गांवों में ज्वार रोधी उपाय करने चाहिए.'
कन्याकुमारी के साथ, तूतीकोरिन, नागापट्टिनम और कुड्डालोर सहित तटीय जिलों ने आज सुनामी में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दी. नागपट्टिनम जिले में जहां लगभग 6,065 लोग मारे गए थे. यहां मछुआरों, जनता, व्यापारियों और राजनीतिक दल के सदस्यों ने एक विशाल जुलूस निकाला और अक्कराईपेट्टई में श्रद्धांजलि अर्पित की.
कुड्डालोर, थूथुकुडी और कन्याकुमारी के मछुआरों ने भी समुद्र में दूध और फूल अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. दक्षिण भारतीय मछुआरा कल्याण संघ के अध्यक्ष के मुताबिक कई जगहों पर मोमबत्तियां जलाई गईं और पीड़ितों की तस्वीरों वाले बैनर और होर्डिंग्स लगाए गए.
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