नई दिल्ली : तमिलनाडु सरकार ने देश भर के मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए आयोजित की जाने वाली राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) की वैधता को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है और आरोप लगाया है कि एकल साझा प्रवेश परीक्षा 'संघवाद के सिद्धांत का उल्लंघन' है. (Tamil Nadu Govt Challenge validity of NEET)
'नीट' एमबीबीएस और बीडीएस जैसे स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए और सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए आयोजित की जाने वाली प्रवेश परीक्षा है.
राज्य सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत दायर याचिका में आरोप लगाया है कि नीट जैसी परीक्षाओं के जरिए संविधान के मूल ढांचा का हिस्सा संघवाद के सिद्धांत का उल्लंघन किया जा रहा है क्योंकि इससे शिक्षा के संबंध में निर्णय लेने की राज्यों की स्वायत्तता छिन जाती है.
अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि नीट की वैधता को 2020 में शीर्ष अदालत ने इस आधार पर बरकरार रखा था कि अभ्यर्थियों की फीस देने की क्षमता के आधार पर प्रवेश देना, प्रतिव्यक्ति शुल्क लेना, बड़े पैमाने पर कदाचार, छात्रों का आर्थिक शोषण, मुनाफाखोरी और व्यवसायीकरण जैसी अनुचित गतिविधियों पर रोक लगाना जरूरी है.
याचिका में कहा गया है कि हालांकि, इस तरह के आधार सरकारी सीट पर प्रवेश के मामले में लागू नहीं होते और फैसला केवल निजी कॉलेज की सीट पर लागू होता है.
याचिका में कहा गया है कि यह मुकदमा राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 की धारा 14, भारतीय चिकित्सा प्रणाली अधिनियम, 2020 के लिए राष्ट्रीय आयोग और होम्योपैथी अधिनियम, 2020 के राष्ट्रीय आयोग, स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा के विनियम 9 और 9ए की घोषणा करते हुए एक डिक्री की मांग करता है.
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(पीटीआई-भाषा)