अयोध्या : धर्मनगरी में भव्य राम मंदिर का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है. इसी कड़ी में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर चल रहीं हैं. दुनिया भर के भक्त कार्यक्रम में जुटेंगे. देश और दुनिया में बसे राम भक्तों और सनातन प्रेमियों में राम मंदिर के प्रति समर्पण की भावना देखने को मिल रही है. सभी अपने-अपने तरीके से कुछ न कुछ योगदान दे रहे हैं. इसी कड़ी में तमिलनाडु के एक ट्रस्ट की ओर से मुरलीधर स्वामी के निर्देशन में उनके शिष्यों ने वाल्मीकि रामायण का पूर्ण रूप से संस्कृत में अनुवाद किया. खास बात यह है कि ये पुस्तकें हाथों से लिखी गईं हैं. सात पुस्तकों के एक बंडल में 24000 श्लोक हैं. शिष्यों ने इन सभी पुस्तकों को राम जन्मभूमि को समर्पित किया है. वह इन पुस्तकों को लेकर अयोध्या पहुंचे थे.
पुस्तकों को लिखने में लगा कठिन परिश्रम : तमिलनाडु के प्रमुख संत मुरलीधर स्वामी के शिष्य अनूप द्विवेदी ने बताया कि भगवान रामलला के मंदिर में समर्पण की भावना से वाल्मीकि रामायण का अनुवाद संस्कृत में किया गया. हाथों से लिखी गई इन पुस्तकों को तमिलनाडु से लाकर श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्यों को समर्पित कर दिया गया है. इस पर काफी मेहनत की गई. हमारी आशा है कि मंदिर निर्माण पूरा होते ही हमारी आस्था को सम्मान देते हुए ट्रस्ट द्वारा इन्हें मंदिर में रखा जाएगा. कल 140 हस्तलिखित पुस्तक हमने ट्रस्ट को समर्पित की हैं. इनमें संपूर्ण वाल्मीकि रामायण संस्कृत में हाथों से लिखी है. एक बंडल में सात किताबें हैं. इन सात किताबों में पूरी रामायण है. हर बंडल में 24000 श्लोक लिखे गए हैं. यह अपने आप में अदभुत है.
कारसेवकपुरम में रखी गईं पुस्तकें, ट्रस्ट लेगा अंतिम निर्णय : विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि मंदिर निर्माण की रफ्तार तेज होने के साथ ही दुनिया भर के राम भक्त अपना समर्पण भाव दिखा रहे हैं. तमिलनाडु के भी भक्तों का यह समर्पण प्राप्त हुआ है. यह सभी पुस्तक कारसेवकपुरम में सुरक्षित रख दी गईं हैं.आगे ट्रस्ट निर्णय लेगा कि तमिलनाडु के इन भक्तों के समर्पण और उनकी आस्था को सम्मान देते हुए इन्हें कहां रखा जाना है. यह पुस्तकें अद्भुत हैं. कठिन परिश्रम से प्रत्येक मंडल में 24000 श्लोक हाथों से लिखे गए हैं. कुल 140 बंडल प्राप्त हुए हैं.
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