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तमिलनाडु दिवस एक नवंबर के बजाय अब 18 जुलाई को मनाया जाएगा: स्टालिन

तमिलनाडु की पिछली अन्नाद्रमुक सरकार के फैसले को पलटते हुए राज्य में सत्तारूढ़ द्रमुक ने शनिवार को कहा कि राज्य का स्थापना दिवस अब एक नवंबर के बजाय 18 जुलाई को मनाया जाएगा. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की इस घोषणा की अन्नाद्रमुक ने आलोचना की है और इसे ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार दिया है.

तमिलनाडु दिवस एक नवंबर के बजाय अब 18 जुलाई को मनाया जाएगा: स्टालिन
तमिलनाडु दिवस एक नवंबर के बजाय अब 18 जुलाई को मनाया जाएगा: स्टालिन
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Published : Oct 30, 2021, 5:56 PM IST

चेन्नई: तमिलनाडु की पिछली अन्नाद्रमुक सरकार के फैसले को पलटते हुए राज्य में सत्तारूढ़ द्रमुक ने शनिवार को कहा कि राज्य का स्थापना दिवस अब एक नवंबर के बजाय 18 जुलाई को मनाया जाएगा. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की इस घोषणा की अन्नाद्रमुक ने आलोचना की है और इसे ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार दिया है. तत्कालीन मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने 2019 में घोषणा की थी कि समाज के विभिन्न तबकों से आग्रह मिलने के बाद तमिलनाडु दिवस एक नवंबर को मनाया जाएगा.

शनिवार को मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि एक नवंबर, 1956 को देश में राज्यों का भाषाई आधार पर पुनर्गठन किया गया था जिसके बाद आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल के कुछ हिस्सों को तत्कालीन मद्रास राज्य से ‘निकाल’ अलग कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने 2019 से एक नवंबर को तमिलनाडु दिवस के रूप में घोषित किया था. उन्होंने एक बयान में बताया कि हालांकि, राजनीतिक दलों, तमिल विद्वानों, कार्यकर्ताओं और संगठनों समेत अन्य इस बात पर जोर दे रहे थे कि एक नवंबर सिर्फ ‘सीमा संघर्ष’ का प्रतीक है और इस दिवस को तमिलनाडु दिवस के रूप में मनाना उचित नहीं है.

ये भी पढ़े- पुनीत राजकुमार के निधन से 2 फैंस की हार्ट अटैक से मौत, एक ने लगाई फांसी

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने (विभिन्न सामाजिक तबके) सलाह दी कि 18 जुलाई को ही तमिलनाडु दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए, जब दिग्गज नेता सी एन अन्नादुरई की अगुवाई में एक विधानसभा विधेयक के जरिए इसे मौजूदा नाम दिया था.
(पीटीआई-भाषा)

चेन्नई: तमिलनाडु की पिछली अन्नाद्रमुक सरकार के फैसले को पलटते हुए राज्य में सत्तारूढ़ द्रमुक ने शनिवार को कहा कि राज्य का स्थापना दिवस अब एक नवंबर के बजाय 18 जुलाई को मनाया जाएगा. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की इस घोषणा की अन्नाद्रमुक ने आलोचना की है और इसे ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार दिया है. तत्कालीन मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने 2019 में घोषणा की थी कि समाज के विभिन्न तबकों से आग्रह मिलने के बाद तमिलनाडु दिवस एक नवंबर को मनाया जाएगा.

शनिवार को मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि एक नवंबर, 1956 को देश में राज्यों का भाषाई आधार पर पुनर्गठन किया गया था जिसके बाद आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल के कुछ हिस्सों को तत्कालीन मद्रास राज्य से ‘निकाल’ अलग कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने 2019 से एक नवंबर को तमिलनाडु दिवस के रूप में घोषित किया था. उन्होंने एक बयान में बताया कि हालांकि, राजनीतिक दलों, तमिल विद्वानों, कार्यकर्ताओं और संगठनों समेत अन्य इस बात पर जोर दे रहे थे कि एक नवंबर सिर्फ ‘सीमा संघर्ष’ का प्रतीक है और इस दिवस को तमिलनाडु दिवस के रूप में मनाना उचित नहीं है.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने (विभिन्न सामाजिक तबके) सलाह दी कि 18 जुलाई को ही तमिलनाडु दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए, जब दिग्गज नेता सी एन अन्नादुरई की अगुवाई में एक विधानसभा विधेयक के जरिए इसे मौजूदा नाम दिया था.
(पीटीआई-भाषा)

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