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तालिबान राज में अफगानी बच्चों पर आफत, पेट भरने के लिए मौत से खेलने की मजबूरी

तालिबान राज में अफगानिस्तान भुखमरी से जूझ रहा है. हालत ऐसी हो गई है कि पाकिस्तान से सटे बॉर्डर इलाकों में बच्चे अपनी जान पर खेलकर आटा-दाल का जुगाड़ कर रहे हैं. इसके अलावा छोटे बच्चों की तस्करी भी की जा रही है.

llegal trafficking of children in Afghanistan
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Published : Jun 8, 2022, 10:48 AM IST

काबुल : अफगानिस्तान में तालिबान राज शुरू होने के बाद जहां महिलाओं पर प्रतिबंध बढ़ गए हैं, वहीं देश में बच्चों की हालत बदतर हो गई है. पाकिस्तान सीमा से लगने वाले इलाकों में जहां छोटे बच्चों की तस्करी हो रही है, वहीं भुखमरी के कारण 8-10 साल के बच्चे अपनी जान पर खेलने को मजबूर हैं. ये बच्चे बॉर्डर पार करने वाले बड़े-बड़े ट्रकों के पीछे भागते नजर आते हैं.

अफगानिस्तान के तोरखम बॉर्डर पर बच्चे खुद को ट्रकों में लगी रस्सियों में बांध लेते है और बॉर्डर क्रॉस करने की कोशिश करते हैं. मानव तस्करी करने वाले 4-5 साल के बच्चों को बड़े ट्रकों के पहिये के पास बांध देते हैं. फ्रंटियर पोस्ट ने कस्टम एजेंट का हवाले से बताया कि इस बेरहमी के कारण कई बच्चों की मौत ट्रकों से गिरने के कारण हो जाती है. आलम यह है कि 10 साल की उम्र वाले छोटे बच्चे सिगरेट, बैटरी, खाने-पीने का सामान और लोकल ड्रिंक्स लेकर ट्रकों में लटक जाते हैं. पाकिस्तान के इलाके में इन चीजों की बिक्री भी धड़ल्ले से होती है. अपना सामान बेचकर ये मासूम बदले में आटा, दाल और चीनी लेकर घर लौटते हैं. तोरखम बॉर्डर पर पाकिस्तान के स्थानीय दुकानदार ने कहा कि स्थानीय लोग बिना टैक्स चुकाए सस्ते सामान खरीदकर इन बच्चों का फायदा उठाते हैं.

द फ्रंटियर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ बच्चों के बैग में अवैध ड्रग्स और नशीले पदार्थ होते हैं जिन्हें ये पाकिस्तान में सस्ते में बेचने की कोशिश करते हैं. इस चक्कर में वे सुरक्षा अधिकारियों के हत्थे भी चढ़ जाते हैं. हाल ही में, तोरखम बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा अधिकारियों ने बच्चों को ले जा रहे ट्रक का पीछा किया. जांच के दौरान उस ट्रक के टायर के पास रखे गए 4-5 साल की उम्र वाले बच्चे मिले, जिन्हें वापस अफगानिस्तान भेज दिया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान लड़ाके अक्सर बच्चों का पीछा करते हैं ताकि वह बॉर्डर पार नहीं कर सकें, मगर भूख और जरूरत ने उन मासूम बच्चों का सारा डर दूर कर दिया है. कस्टम अधिकारियों का कहना है कि दोनों देशों के बीच मासिक और साप्ताहिक बैठकों में बच्चों की तस्करी का मुद्दा उठाया गया है, जिसके आधार पर चौकसी बढ़ाई गई है.

पिछले साल अगस्त में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद से अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति खराब हो गई है. हालांकि देश में लड़ाई समाप्त हो गई है मगर महिलाओं और अल्पसंख्यक के खिलाफ मानवाधिकारों का उल्लंघन बेरोकटोक जारी है. तालिबान ने उनसे शिक्षा और काम के उनके अधिकार को छीन लिया है. महिलाओं और लड़कियों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं. पिछले कुछ हफ्तों में अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों पर जानलेवा हमले हुए. सिलसिलेवार बम धमाकों में कई अल्पसंख्यकों को जान गंवानी पड़ी.

(एएनआई)

पढ़ें : अफगानिस्तान में मानवीय सहायता अभियान का जायजा लेने के लिए काबुल में भारतीय दल

काबुल : अफगानिस्तान में तालिबान राज शुरू होने के बाद जहां महिलाओं पर प्रतिबंध बढ़ गए हैं, वहीं देश में बच्चों की हालत बदतर हो गई है. पाकिस्तान सीमा से लगने वाले इलाकों में जहां छोटे बच्चों की तस्करी हो रही है, वहीं भुखमरी के कारण 8-10 साल के बच्चे अपनी जान पर खेलने को मजबूर हैं. ये बच्चे बॉर्डर पार करने वाले बड़े-बड़े ट्रकों के पीछे भागते नजर आते हैं.

अफगानिस्तान के तोरखम बॉर्डर पर बच्चे खुद को ट्रकों में लगी रस्सियों में बांध लेते है और बॉर्डर क्रॉस करने की कोशिश करते हैं. मानव तस्करी करने वाले 4-5 साल के बच्चों को बड़े ट्रकों के पहिये के पास बांध देते हैं. फ्रंटियर पोस्ट ने कस्टम एजेंट का हवाले से बताया कि इस बेरहमी के कारण कई बच्चों की मौत ट्रकों से गिरने के कारण हो जाती है. आलम यह है कि 10 साल की उम्र वाले छोटे बच्चे सिगरेट, बैटरी, खाने-पीने का सामान और लोकल ड्रिंक्स लेकर ट्रकों में लटक जाते हैं. पाकिस्तान के इलाके में इन चीजों की बिक्री भी धड़ल्ले से होती है. अपना सामान बेचकर ये मासूम बदले में आटा, दाल और चीनी लेकर घर लौटते हैं. तोरखम बॉर्डर पर पाकिस्तान के स्थानीय दुकानदार ने कहा कि स्थानीय लोग बिना टैक्स चुकाए सस्ते सामान खरीदकर इन बच्चों का फायदा उठाते हैं.

द फ्रंटियर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ बच्चों के बैग में अवैध ड्रग्स और नशीले पदार्थ होते हैं जिन्हें ये पाकिस्तान में सस्ते में बेचने की कोशिश करते हैं. इस चक्कर में वे सुरक्षा अधिकारियों के हत्थे भी चढ़ जाते हैं. हाल ही में, तोरखम बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा अधिकारियों ने बच्चों को ले जा रहे ट्रक का पीछा किया. जांच के दौरान उस ट्रक के टायर के पास रखे गए 4-5 साल की उम्र वाले बच्चे मिले, जिन्हें वापस अफगानिस्तान भेज दिया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान लड़ाके अक्सर बच्चों का पीछा करते हैं ताकि वह बॉर्डर पार नहीं कर सकें, मगर भूख और जरूरत ने उन मासूम बच्चों का सारा डर दूर कर दिया है. कस्टम अधिकारियों का कहना है कि दोनों देशों के बीच मासिक और साप्ताहिक बैठकों में बच्चों की तस्करी का मुद्दा उठाया गया है, जिसके आधार पर चौकसी बढ़ाई गई है.

पिछले साल अगस्त में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद से अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति खराब हो गई है. हालांकि देश में लड़ाई समाप्त हो गई है मगर महिलाओं और अल्पसंख्यक के खिलाफ मानवाधिकारों का उल्लंघन बेरोकटोक जारी है. तालिबान ने उनसे शिक्षा और काम के उनके अधिकार को छीन लिया है. महिलाओं और लड़कियों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं. पिछले कुछ हफ्तों में अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों पर जानलेवा हमले हुए. सिलसिलेवार बम धमाकों में कई अल्पसंख्यकों को जान गंवानी पड़ी.

(एएनआई)

पढ़ें : अफगानिस्तान में मानवीय सहायता अभियान का जायजा लेने के लिए काबुल में भारतीय दल

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