अगरतला : त्रिपुरा की प्रसिद्ध महिला उद्यमियों में अर्चिता रॉय भी शामिल हैं. उनकी सफलता का श्रेय भीड़ से अलग खड़े होने की उनकी चाहत और मेहनत को जाता है. 1989 में स्नातक की परीक्षा पास करने के बाद रॉय ने समाचार पत्र में एक विज्ञापन देखा, जिसके बाद से उनकी जिंगदी बदल गई.
यह विज्ञापन विभिन्न प्रकार की व्यावसायिक परियोजनाओं में प्रशिक्षण को लेकर था. रॉय ने बिना देरी के इसमें आवेदन कर दिया और आज वह राज्य की प्रसिद्ध महिला उद्यमियों में एक हैं. हाल ही में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने भी उनके कार्य को सराहा है.
रॉय ने अगरतला के महिला कॉलेज से अपनी पढ़ाई की है. वह एक हैचरी चलाती हैं. उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए शादी न करना मुनासिब समझा और आज देशभर में उनके ग्राहक हैं.
रॉय ने बताया कि औसतन, 'मेरी हैचरी इकाई एक बार में 2,20,000 चूजों का उत्पादन करती है. मेरे लिए यह बड़ा है क्योंकि मैंने एक समय में केवल 2,500 चूजों की क्षमता के साथ अपनी हैचरी शुरू की थी.' रॉय की हैचरी में देश के कई हिस्सों से अंडे आते हैं. और वह एक दिन के चूजों को ग्राहकों के सप्लाई करती हैं.
अपनी यात्रा के बारे में उन्होंने कहा कि, 'वर्ष 1989 में मैंने उद्यमिता पर एक प्रशिक्षण लिया. प्रशिक्षण के दौरान, मैंने हैचरी का चयन किया और फिर इस क्षेत्र में खुद को स्थापित करने वाले लक्ष्य की दिशा में काम करना शुरू कर दिया. आज, मुझे लगता है, मैं उस क्षेत्र में सफल हूं जिसे मैंने उस समय चुना था.'
अपनी हैचरी के माध्यम से वह अच्छा जीवन तो जी ही रही हैं, वह कई लोगों को रोजगार भी दे रही हैं. उन्होंने कहा कि नौकरी के इंतजार में बेकार बैठने से अच्छा है कि हम आत्मनिर्भरता की दिशा में कार्य करें. युवाओं को भी इसी तरह से सोचना चाहिए.
आकांक्षी महिला उद्यमियों के लिए उन्होंने कहा कि जब उन्होंने शुरुआत की थी, तो उन्हें भी तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था. हालांकि उस समय जो लोग उनपर तंज कसा करते थे, आज वह ही उनके काम की सराहना कर रहे हैं. भविष्य की योजनाओं को लेकर उन्होंने कहा कि वह अपने उद्यम को और आगे बढ़ाना चाहती हैं.