नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल कोविड-19 प्रोटोकॉल का कथित रूप से उल्लंघन करते हुए तबलीगी जमात में हिस्सा लेने वाले विदेशी नागरिकों को आश्रय देने के मामले में दर्ज प्राथमिकियों और आपराधिक प्रक्रिया को समाप्त करने के लिए भारतीय नागरिकों की याचिकाओं पर दिल्ली पुलिस से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा कि स्थिति रिपोर्ट में प्रत्येक आरोपी की भूमिका, कितने समय के लिए आश्रय दिया गया, उन्हें आश्रय कोविड-19 प्रोटोकॉल लागू होने के पहले से दिया गया या बाद में दिया गया... यह सबकुछ शामिल करना है.
न्यायाधीश ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 नवंबर की तारीख तय की है. गौरतलब है कि फरवरी में पुलिस ने अदालत को बताया था कि तबलीगी जमात में हिस्सा लेने वाले विदेशी नागरिकों को आश्रय देने वाले लोगों का नाम कुछ प्राथमिकियों में आरोपी के रूप में शामिल किया गया है.
इससे पहले कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत में ही इसके प्रसार के पीछे जिम्मेदार ठहराए जा रहे तब्लीगी जमात मरकज में शामिल हुए 14 देशों के सभी 36 विदेशियों को आखिरकार दिल्ली की कोर्ट ने बरी कर दिया था.
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लताड़ लगाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष निजामुद्दीन स्थित मरकज परिसर में किसी भी आरोपी की मौजूदगी साबित करने में नाकाम रहा. कोर्ट ने साथ ही गवाहों के बयान में विरोधाभासों का मुद्दा भी उठाया.
पढ़ें - तबलीगी जमात को बदनाम करने की सभी कोशिशें हुईं नाकाम : फुजैल अय्यूबी
बता दें कि मार्च में दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों का मरकज हुआ था. इसमें विदेश से आए मुस्लिम भी बड़ी संख्या में शामिल हुए थे. हालांकि, कुछ लोगों के कोरोनावायरस पॉजिटिव निकलने के बाद दिल्ली पुलिस से लेकर अलग-अलग राज्यों की सरकारों ने आरोप लगाया था कि देश में तब्लीगी के इस कार्यक्रम की वजह से ही देश में संक्रमण फैला है.