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सीएम योगी के दौरे के बाद भी नहीं सुधरीं गोरखपुर की स्वास्थ्य सेवाएं, डालें नजर - Disruptions at BRD Medical College

सीएम योगी के क्षेत्र गोरखपुर में तमाम प्रयासों के बाद भी कोरोना के हालात सुधर नहीं रहे हैं. आलम ये है कि अस्पताल और संसाधनों की बढ़ोतरी के बाद भी सीएम सिटी में कोविड कंट्रोल की व्यवस्था बेपटरी है. जहां 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक जिले में 22 हजार मामले सामने आए थे. वहीं महज 1 अप्रैल 2021 से 12 मई 2021 तक 30 हजार कोरोना के मामले मिले हैं. सीएम सिटी में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बदहाल, योगी के दौरे के बाद भी नहीं सुधरे हालात

coronavirus in gorakhpur
जस के तस बने हैं हालात
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Published : May 14, 2021, 3:19 AM IST

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश की राजनीति में गोरखपुर पिछले साढ़े 4 साल से बेहद खास बना हुआ है. वजह भी लाजिमी है क्योंकि इसका सीधा संबंध सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ से जो है. सीएम योगी की यह कर्म और संघर्ष भूमि रही है. यही वजह है कि कोविड-19 की महामारी में भी यहां पर व्यवस्थाओं के खास होने की उम्मीद लोग कर रहे हैं, लेकिन सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में कोविड-19 के इलाज की जो व्यवस्था लोगों को मिल रही है, वो इस शहर के हिसाब से नाकाफी है.

देखें रिपोर्ट

प्राइवेट अस्पतालों की लगातार बढ़ती संख्या और बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बेड़ों की संख्या बढ़ाने के बाद भी जो राहत कोविड-19 के मरीजों और उनके परिजनों को मिलनी चाहिए, वो नहीं मिल रही है. अच्छे इलाज की उम्मीद में लोग बीआरडी मेडिकल कॉलेज आते हैं, लेकिन सभी को निराशा ही हाथ लग रही है. वजह ये है कि बेड से ज्यादा मरीज यहां हर दिन पहुंच रहे हैं. जिस वजह से बीआरडी की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं कटघरे में खड़ी हैं. इन व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो बार गोरखपुर का दौरा भी कर चुके हैं. इसके बावजूद हालात जस के तस बने हुए हैं.

coronavirus in gorakhpur
सीएम योगी का दौरे की तस्वीर.

न बेड खाली हैं और न ही वेंटिलेटर

गोरखपुर में मौजूद स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो यहां पर एक अप्रैल तक कोरोना वायरस के इलाज के लिए सिर्फ बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में 300 बेड का कोरोना वार्ड ही था, जिसे मौजूदा समय में बढ़ाकर 500 बेड का कर दिया गया है. 12 मई आते-आते संसाधनों की उपलब्धता की बात करें तो जिले में अभी लेवल-थ्री का सिर्फ एक बीआरडी कोरोना अस्पताल है. वहीं, जिले में 46 लेबल-टू कोरोना अस्पताल हैं. यहां पर 80 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर हैं. जिले में प्रतिदिन करीब 8 हजार क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन का उत्पादन 3 ऑक्सीजन प्लांट से हो रहा है. जिले के अस्पतालों में 12 मई तक 2056 बेड क्रियाशील हैं, जबकि वेंटिलेटर की संख्या 169 है, लेकिन न तो ये बेड खाली हैं और न ही वेंटिलेटर.

coronavirus in gorakhpur
अब तक का कोविड आंकड़ा.

संसाधनों से ज्यादा बढ़ रहे मरीज

अगर कोरोना और संसाधनों की तुलनात्मक बढ़ोतरी की बात करें तो 1 अप्रैल 2021 से 12 मई 2021 तक संसाधनों में करीब 3 गुना की बढ़ोतरी हुई है. वहीं, जिले में 1 अप्रैल से 12 मई तक 30 हजार कोरोना के मामले मिले हैं. वहीं, पिछले साल 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक जिले में 22 हजार मामले आए थे. तमाम स्वास्थ्य सुविधाओं के बाद भी जिले में इस समय औसतन 800 से 1200 मामले प्रतिदिन आ रहे हैं. इस साल जिले में एक दिन में संक्रमितों का अधिकतम आंकड़ा 1441 था, जबकि पिछले वर्ष एक दिन में सर्वाधिक 421 मरीज एक दिन में मिले थे.

वैक्सीनेशन में लोगों को हो रही परेशानी

जिले में अब तक करीब 3 लाख 62 हजार 752 लोगों को वैक्सीन लग चुकी है. यहां 4,200 ऑक्सीजन सिलेंडर से काम चलाया जा रहा है, लेकिन महामारी के आगे जूझते लोगों और मौत के आंकड़ों को देखते हुए ये व्यवस्थाएं नाकाफी नजर आती हैं. वैक्सीनेशन की व्यवस्था से भी लोग काफी खफा हैं. जिले में वैक्सिनेशन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हो नहीं रहा. वैक्सीनेशन सेंटर पर पहुंचने के बाद वैक्सीन की कमी और भीड़ से भी लोगों को दो-चार होना पड़ रहा है.

coronavirus in gorakhpur
गोरखपुर में ये हैं मेडिकल सुविधाएं.

12 मई की रात 10 बजे तक अस्पतालों में उपलब्ध संसाधनों की डिटेल

  • बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 60 वेंटिलेटर बेड हैं, जो भरे हुए हैं. यहां पर अब तक वेंटिलेटर पर 1509 मरीज भर्ती हो चुके हैं. बाइपैप के 70 बेड हैं, जो फुल हैं. अब तक कुल 826 मरीज भर्ती हुए हैं.आईसीयू में अबतक 3196 मरीज भर्ती हुए हैं. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सपोर्ट पर 241 रोगी रखे गए हैं. यहां पर ऑक्सीजन के 200 सिलेंडर की प्रतिदिन जरूरत है. गोरखपुर-बस्ती समेत कुल अब तक 808 मौतें हुई हैं, जिनमें गोरखपुर का आंकड़ा 547 की है.
  • इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में नेहरू चिकित्सालय, टीबी हॉस्पिटल में एक भी वेंटिलेटर नहीं है. रेलवे हॉस्पिटल में 10 वेंटिलेटर हैं, जो भरे हुए हैं. एयरफोर्स के हॉस्पिटल में 5 वेंटिलेटर हैं, वो भी फुल हैं.
  • कोविड का इलाज करने वाले प्राइवेट अस्पतालों में महज 96 वेंटिलेटर हैं, लेकिन एक दो को छोड़ दें तो कोई खाली नहीं है.
    coronavirus in gorakhpur
    अपनी बारी का इंतजार करते लोग

ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आई हकीकत

जिलाधिकारी के.विजेंद्र पांडियन की मानें तो मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप ही संसाधनों की बढ़ोतरी में जिला प्रशासन जुटा हुआ है. गोरखपुर में गोरखपुर-बस्ती मंडल के मरीज भी आते हैं. फिर भी बेड और वेंटिलेटर, आईसीयू यूनिट को बढ़ाने का कार्य जारी है. सीएमओ डॉ. सुधाकर पाण्डेय का कहना है कि किसी भी मरीज के इधर-उधर भटकने से अच्छा है कि वो कलक्ट्रेट में बनाए गए कोविड कमांड कंट्रोल रूम में फोन कर अस्पताल और बेड की उपलब्धता की जानकरी करें, फिर अस्पताल के लिए निकलें. उन्होंने कहा कि यहीं से मरीज को एम्बुलेंस भी मिल जाती है, लेकिन ईटीवी भारत की पड़ताल में सीएमओ के दावों में सच्चाई नहीं मिली.

पढ़ें: यूपी में संक्रमण कम हुआ या टेस्टिंग, आंकड़ों ने खोली सरकार की पोल

नहीं उठता कोविड कमांड सेंटर का फोन

ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया है कि कोविड कमांड सेंटर के नंबरों (0551-2202205, 0551-2201796) पर फोन करने पर कोई रिसीव नहीं करता, अगर कोई उठा भी ले तो इलाज मिलना संभव नहीं होता. खुद सीएमओ फोन नहीं उठाते. यही हाल हर अधिकारी का है. आलम ये है कि टाल-मटोल के साथ व्यवस्था चल रही है और लोग महामारी से लड़ रहे हैं.

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश की राजनीति में गोरखपुर पिछले साढ़े 4 साल से बेहद खास बना हुआ है. वजह भी लाजिमी है क्योंकि इसका सीधा संबंध सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ से जो है. सीएम योगी की यह कर्म और संघर्ष भूमि रही है. यही वजह है कि कोविड-19 की महामारी में भी यहां पर व्यवस्थाओं के खास होने की उम्मीद लोग कर रहे हैं, लेकिन सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में कोविड-19 के इलाज की जो व्यवस्था लोगों को मिल रही है, वो इस शहर के हिसाब से नाकाफी है.

देखें रिपोर्ट

प्राइवेट अस्पतालों की लगातार बढ़ती संख्या और बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बेड़ों की संख्या बढ़ाने के बाद भी जो राहत कोविड-19 के मरीजों और उनके परिजनों को मिलनी चाहिए, वो नहीं मिल रही है. अच्छे इलाज की उम्मीद में लोग बीआरडी मेडिकल कॉलेज आते हैं, लेकिन सभी को निराशा ही हाथ लग रही है. वजह ये है कि बेड से ज्यादा मरीज यहां हर दिन पहुंच रहे हैं. जिस वजह से बीआरडी की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं कटघरे में खड़ी हैं. इन व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो बार गोरखपुर का दौरा भी कर चुके हैं. इसके बावजूद हालात जस के तस बने हुए हैं.

coronavirus in gorakhpur
सीएम योगी का दौरे की तस्वीर.

न बेड खाली हैं और न ही वेंटिलेटर

गोरखपुर में मौजूद स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो यहां पर एक अप्रैल तक कोरोना वायरस के इलाज के लिए सिर्फ बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में 300 बेड का कोरोना वार्ड ही था, जिसे मौजूदा समय में बढ़ाकर 500 बेड का कर दिया गया है. 12 मई आते-आते संसाधनों की उपलब्धता की बात करें तो जिले में अभी लेवल-थ्री का सिर्फ एक बीआरडी कोरोना अस्पताल है. वहीं, जिले में 46 लेबल-टू कोरोना अस्पताल हैं. यहां पर 80 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर हैं. जिले में प्रतिदिन करीब 8 हजार क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन का उत्पादन 3 ऑक्सीजन प्लांट से हो रहा है. जिले के अस्पतालों में 12 मई तक 2056 बेड क्रियाशील हैं, जबकि वेंटिलेटर की संख्या 169 है, लेकिन न तो ये बेड खाली हैं और न ही वेंटिलेटर.

coronavirus in gorakhpur
अब तक का कोविड आंकड़ा.

संसाधनों से ज्यादा बढ़ रहे मरीज

अगर कोरोना और संसाधनों की तुलनात्मक बढ़ोतरी की बात करें तो 1 अप्रैल 2021 से 12 मई 2021 तक संसाधनों में करीब 3 गुना की बढ़ोतरी हुई है. वहीं, जिले में 1 अप्रैल से 12 मई तक 30 हजार कोरोना के मामले मिले हैं. वहीं, पिछले साल 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक जिले में 22 हजार मामले आए थे. तमाम स्वास्थ्य सुविधाओं के बाद भी जिले में इस समय औसतन 800 से 1200 मामले प्रतिदिन आ रहे हैं. इस साल जिले में एक दिन में संक्रमितों का अधिकतम आंकड़ा 1441 था, जबकि पिछले वर्ष एक दिन में सर्वाधिक 421 मरीज एक दिन में मिले थे.

वैक्सीनेशन में लोगों को हो रही परेशानी

जिले में अब तक करीब 3 लाख 62 हजार 752 लोगों को वैक्सीन लग चुकी है. यहां 4,200 ऑक्सीजन सिलेंडर से काम चलाया जा रहा है, लेकिन महामारी के आगे जूझते लोगों और मौत के आंकड़ों को देखते हुए ये व्यवस्थाएं नाकाफी नजर आती हैं. वैक्सीनेशन की व्यवस्था से भी लोग काफी खफा हैं. जिले में वैक्सिनेशन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हो नहीं रहा. वैक्सीनेशन सेंटर पर पहुंचने के बाद वैक्सीन की कमी और भीड़ से भी लोगों को दो-चार होना पड़ रहा है.

coronavirus in gorakhpur
गोरखपुर में ये हैं मेडिकल सुविधाएं.

12 मई की रात 10 बजे तक अस्पतालों में उपलब्ध संसाधनों की डिटेल

  • बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 60 वेंटिलेटर बेड हैं, जो भरे हुए हैं. यहां पर अब तक वेंटिलेटर पर 1509 मरीज भर्ती हो चुके हैं. बाइपैप के 70 बेड हैं, जो फुल हैं. अब तक कुल 826 मरीज भर्ती हुए हैं.आईसीयू में अबतक 3196 मरीज भर्ती हुए हैं. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सपोर्ट पर 241 रोगी रखे गए हैं. यहां पर ऑक्सीजन के 200 सिलेंडर की प्रतिदिन जरूरत है. गोरखपुर-बस्ती समेत कुल अब तक 808 मौतें हुई हैं, जिनमें गोरखपुर का आंकड़ा 547 की है.
  • इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में नेहरू चिकित्सालय, टीबी हॉस्पिटल में एक भी वेंटिलेटर नहीं है. रेलवे हॉस्पिटल में 10 वेंटिलेटर हैं, जो भरे हुए हैं. एयरफोर्स के हॉस्पिटल में 5 वेंटिलेटर हैं, वो भी फुल हैं.
  • कोविड का इलाज करने वाले प्राइवेट अस्पतालों में महज 96 वेंटिलेटर हैं, लेकिन एक दो को छोड़ दें तो कोई खाली नहीं है.
    coronavirus in gorakhpur
    अपनी बारी का इंतजार करते लोग

ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आई हकीकत

जिलाधिकारी के.विजेंद्र पांडियन की मानें तो मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप ही संसाधनों की बढ़ोतरी में जिला प्रशासन जुटा हुआ है. गोरखपुर में गोरखपुर-बस्ती मंडल के मरीज भी आते हैं. फिर भी बेड और वेंटिलेटर, आईसीयू यूनिट को बढ़ाने का कार्य जारी है. सीएमओ डॉ. सुधाकर पाण्डेय का कहना है कि किसी भी मरीज के इधर-उधर भटकने से अच्छा है कि वो कलक्ट्रेट में बनाए गए कोविड कमांड कंट्रोल रूम में फोन कर अस्पताल और बेड की उपलब्धता की जानकरी करें, फिर अस्पताल के लिए निकलें. उन्होंने कहा कि यहीं से मरीज को एम्बुलेंस भी मिल जाती है, लेकिन ईटीवी भारत की पड़ताल में सीएमओ के दावों में सच्चाई नहीं मिली.

पढ़ें: यूपी में संक्रमण कम हुआ या टेस्टिंग, आंकड़ों ने खोली सरकार की पोल

नहीं उठता कोविड कमांड सेंटर का फोन

ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया है कि कोविड कमांड सेंटर के नंबरों (0551-2202205, 0551-2201796) पर फोन करने पर कोई रिसीव नहीं करता, अगर कोई उठा भी ले तो इलाज मिलना संभव नहीं होता. खुद सीएमओ फोन नहीं उठाते. यही हाल हर अधिकारी का है. आलम ये है कि टाल-मटोल के साथ व्यवस्था चल रही है और लोग महामारी से लड़ रहे हैं.

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