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पश्चिम बंगाल : विवेकानंद की जयंती के बहाने भाजपा-टीएमसी आमने-सामने

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के ठीक पहले प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं. अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस यानी स्वामी विवेकानंद की जयंती के दिन प्रदेश की सत्तारुढ़ तृणमूल और कांग्रेस और भाजपा को आमने-सामने देखा गया. नेताओं ने रैलियों के माध्यम से शक्ति प्रदर्शन का प्रयास किया.

स्वामी विवेकानंद की जयंती
स्वामी विवेकानंद की जयंती
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Published : Jan 12, 2021, 11:06 PM IST

कोलकाता : स्वामी विवेकानंद की जयंती को अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है. लेकिन इस बार प. बंगाल में इसे लेकर कुछ अलग ही उत्साह देखने को मिला. या यूं कहें कि राजनीतिक प्रतिस्पर्धा ज्यादा दिखी. भाजपा और तृणमूल के बीच एक रेस जैसी स्थिति बनी रही. सबसे ज्यादा हलचल उत्तरी कोलकाता के शिमला स्ट्रीट में देखने को मिली. विवेकानंद यहीं पर रहते थे.

बंगाल को दो बड़े और तेज तर्रार नेता यहां पहुंचे. शुभेंदु अधिकारी और अभिषेक बंदोपाध्याय. अधिकारी अब भाजपा में हैं. दोनों दलों ने स्वामीजी के जन्मदिन के अवसर पर रैलियों का आयोजन किया. अधिकारी ने श्यामबाजार से शिमला स्ट्रीट तक भाजपा की रैली का नेतृत्व किया. बंदोपाध्याय ने दक्षिण कोलकाता में गोलपार्क से हजरा क्रॉसिंग तक तृणमूल रैली का नेतृत्व किया.

पश्चिम बंगाल में इस साल महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. बीजेपी तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए संकल्पबद्ध दिखाई दे रही है. इस प्रयास में पार्टी ने स्वामी विवेकानंद, नेताजी, रवींद्रनाथ टैगोर और बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय जैसे बंगाल के प्रतीकों को बार-बार याद कर रह है. ये अलग बात है कि ऐसा करने में कई बार भाजपा नेता त्रुटियां कर दे रहे हैं. तृणमूल, अपनी ओर से, उन तथ्यात्मक त्रुटियों का लाभ उठाने की कोशिश कर रही है.

उसी राजनीतिक रस्साकशी ने आज स्वामीजी की जयंती मनाई. राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लग रहा है कि आने वाले दिनों में बंगाल के प्रतीक चिह्नों की संख्या बढ़ जाएगी.

कोलकाता : स्वामी विवेकानंद की जयंती को अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है. लेकिन इस बार प. बंगाल में इसे लेकर कुछ अलग ही उत्साह देखने को मिला. या यूं कहें कि राजनीतिक प्रतिस्पर्धा ज्यादा दिखी. भाजपा और तृणमूल के बीच एक रेस जैसी स्थिति बनी रही. सबसे ज्यादा हलचल उत्तरी कोलकाता के शिमला स्ट्रीट में देखने को मिली. विवेकानंद यहीं पर रहते थे.

बंगाल को दो बड़े और तेज तर्रार नेता यहां पहुंचे. शुभेंदु अधिकारी और अभिषेक बंदोपाध्याय. अधिकारी अब भाजपा में हैं. दोनों दलों ने स्वामीजी के जन्मदिन के अवसर पर रैलियों का आयोजन किया. अधिकारी ने श्यामबाजार से शिमला स्ट्रीट तक भाजपा की रैली का नेतृत्व किया. बंदोपाध्याय ने दक्षिण कोलकाता में गोलपार्क से हजरा क्रॉसिंग तक तृणमूल रैली का नेतृत्व किया.

पश्चिम बंगाल में इस साल महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. बीजेपी तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए संकल्पबद्ध दिखाई दे रही है. इस प्रयास में पार्टी ने स्वामी विवेकानंद, नेताजी, रवींद्रनाथ टैगोर और बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय जैसे बंगाल के प्रतीकों को बार-बार याद कर रह है. ये अलग बात है कि ऐसा करने में कई बार भाजपा नेता त्रुटियां कर दे रहे हैं. तृणमूल, अपनी ओर से, उन तथ्यात्मक त्रुटियों का लाभ उठाने की कोशिश कर रही है.

उसी राजनीतिक रस्साकशी ने आज स्वामीजी की जयंती मनाई. राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लग रहा है कि आने वाले दिनों में बंगाल के प्रतीक चिह्नों की संख्या बढ़ जाएगी.

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