ETV Bharat / bharat

सुरजीत सिंह अपहरण मामला; परिवार कार्रवाई से असंतुष्ट, परमजीत अब अपर कोर्ट में जाएंगी - उधम सिंह न्यूज़

पंजाब पुलिस की कस्टडी से लापता हुए सुरजीत सिंह मामले में सीबीआई कोर्ट ने घटना के 30 साल बाद रिटायर्ड आईपीएस बलकार सिंह समेत 3 पुलिस वालों को 3-3 साल कैद की सजा सुनाई है.

सुरजीत सिंह अपहरण मामला
सुरजीत सिंह अपहरण मामला
author img

By

Published : Jul 23, 2022, 11:42 AM IST

Updated : Jul 23, 2022, 12:14 PM IST

अमृतसर : पंजाब पुलिस की कस्टडी से लापता हुए सुरजीत सिंह मामले में सीबीआई कोर्ट ने घटना के 30 साल बाद रिटायर्ड आईपीएस बलकार सिंह समेत 3 पुलिस वालों को 3-3 साल कैद की सजा सुनाई है. बलकार सिंह के अलावा रिटायर्ड एसएचओ उधम सिंह और सब इंस्पेक्टर साहिब सिंह इसमें शामिल हैं, लेकिन परिवार 30 साल बाद मिले इस इंसाफ से असंतुष्ट हैं. पीड़ित परिवार अब अपर कोर्ट में अपील करेगा, ताकि दोषियों की सजा बढ़ सके. मामला 7 मई 1992 का है.

लापता सुरजीत सिंह की पत्नी परमजीत कौर ने सीबीआई कोर्ट के फैसले पर असंतुष्टि जाहिर की. उनका कहना है कि 30 साल बाद आरोपियों को सिर्फ 3-3 साल की सजा दी गई. इन 30 सालों में उनका परिवार बिखर गया. घर में कमाने वाला सिर्फ सुरजीत था. उनके जाने के बाद परिवार के पास खाना तक नहीं था. एक बार हाईकोर्ट ने 1.50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी थी, लेकिन यह काफी नहीं है. वह अब अपर कोर्ट में जाएंगे और सजा को बढ़ाने व परिवार को आर्थिक मदद देने की अपील करेंगे.

पढ़ें: पंजाब में मंकीपॉक्स का मामला सामने आया, एक बच्चा पॉजिटिव

1992 में लापता हुए सुरजीत सिंह का पुलिस ने कथित तौर पर अपहरण कर हत्या कर दी थी. वहीं परिजनों को बताया गया कि सुरजीत सिंह उनकी हिरासत से फरार हो गया है, जिसके बाद परमजीत कौर ने 1996 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की और हाईकोर्ट ने मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया. उधर, जांच के बाद 9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और सीबीआई कोर्ट ने तीन-तीन पुलिस अधिकारियों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई. उस वक्त के डीएसपी आईपीएस बलकार सिंह, एसएचओ उधम सिंह और कांस्टेबल उधम सिंह ने यह कार्रवाई की थी.

पढ़ें: पंजाब एमपी के खिलाफ दिल्ली में बीजेपी नेता ने थाने में दी शिकायत

हाईकोर्ट को मामले में कुछ संदिग्ध लगा और उन्होंने 2000 में इसकी जांच सीबीआई को दी. केस में 9 आरोपी थे, जिनमें से 5 को सीबीआई ने बरी कर दिया, एक आरोपी सतवंत सिंह की मौत हो गई. सुरजीत की पत्नी परमजीत ने बताया कि 7 मई 1992 की दोपहर तकरीबन 11 बजे गांव पौरसी राजपूत को पुलिस ने घेर लिया था. तकरीबन 30 गाड़ियों में पुलिस गांव आई थी. गांव के गुरुद्वारा घर के स्पीकर से एनाउंसमेंट करवाई गई और सभी गांव के मर्दों को गांव में बनी दरगाह पर आने के लिए कहा गया. शाम 6 बजे तक सभी वहीं बैठे रहे, लेकिन उसके बाद सभी को छोड़ दिया गया. वे सुरजीत को अपने साथ जंडियाला गुरु थाने में ले गए.

पढ़ें: पंजाब : जीरकपुर में मुठभेड़ के बाद तीन अपराधी गिरफ्तार

सुबह पंचायत के साथ वह भी थाने में पहुंची. पंचायत ने सुरजीत की गवाही भरी और उसे छोड़ने का आग्रह किया, लेकिन तत्कालीन एसएचओ ने उसे छोड़ने से मना कर दिया. दोपहर बाद पता चला कि सुरजीत सिंह के अलावा परमजीत सिंह और जतिंदर सिंह को अमृतसर के माल मंडी स्थित इंटेरोगेशन सेंटर ( अब पंजाब पुलिस का खुफिया शाखा विभाग) ले गए. 9 तारीख को खबरों में सुरजीत का नाम आया. 8 मई की रात को हथियार डाल दिए थे.

अमृतसर : पंजाब पुलिस की कस्टडी से लापता हुए सुरजीत सिंह मामले में सीबीआई कोर्ट ने घटना के 30 साल बाद रिटायर्ड आईपीएस बलकार सिंह समेत 3 पुलिस वालों को 3-3 साल कैद की सजा सुनाई है. बलकार सिंह के अलावा रिटायर्ड एसएचओ उधम सिंह और सब इंस्पेक्टर साहिब सिंह इसमें शामिल हैं, लेकिन परिवार 30 साल बाद मिले इस इंसाफ से असंतुष्ट हैं. पीड़ित परिवार अब अपर कोर्ट में अपील करेगा, ताकि दोषियों की सजा बढ़ सके. मामला 7 मई 1992 का है.

लापता सुरजीत सिंह की पत्नी परमजीत कौर ने सीबीआई कोर्ट के फैसले पर असंतुष्टि जाहिर की. उनका कहना है कि 30 साल बाद आरोपियों को सिर्फ 3-3 साल की सजा दी गई. इन 30 सालों में उनका परिवार बिखर गया. घर में कमाने वाला सिर्फ सुरजीत था. उनके जाने के बाद परिवार के पास खाना तक नहीं था. एक बार हाईकोर्ट ने 1.50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी थी, लेकिन यह काफी नहीं है. वह अब अपर कोर्ट में जाएंगे और सजा को बढ़ाने व परिवार को आर्थिक मदद देने की अपील करेंगे.

पढ़ें: पंजाब में मंकीपॉक्स का मामला सामने आया, एक बच्चा पॉजिटिव

1992 में लापता हुए सुरजीत सिंह का पुलिस ने कथित तौर पर अपहरण कर हत्या कर दी थी. वहीं परिजनों को बताया गया कि सुरजीत सिंह उनकी हिरासत से फरार हो गया है, जिसके बाद परमजीत कौर ने 1996 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की और हाईकोर्ट ने मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया. उधर, जांच के बाद 9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और सीबीआई कोर्ट ने तीन-तीन पुलिस अधिकारियों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई. उस वक्त के डीएसपी आईपीएस बलकार सिंह, एसएचओ उधम सिंह और कांस्टेबल उधम सिंह ने यह कार्रवाई की थी.

पढ़ें: पंजाब एमपी के खिलाफ दिल्ली में बीजेपी नेता ने थाने में दी शिकायत

हाईकोर्ट को मामले में कुछ संदिग्ध लगा और उन्होंने 2000 में इसकी जांच सीबीआई को दी. केस में 9 आरोपी थे, जिनमें से 5 को सीबीआई ने बरी कर दिया, एक आरोपी सतवंत सिंह की मौत हो गई. सुरजीत की पत्नी परमजीत ने बताया कि 7 मई 1992 की दोपहर तकरीबन 11 बजे गांव पौरसी राजपूत को पुलिस ने घेर लिया था. तकरीबन 30 गाड़ियों में पुलिस गांव आई थी. गांव के गुरुद्वारा घर के स्पीकर से एनाउंसमेंट करवाई गई और सभी गांव के मर्दों को गांव में बनी दरगाह पर आने के लिए कहा गया. शाम 6 बजे तक सभी वहीं बैठे रहे, लेकिन उसके बाद सभी को छोड़ दिया गया. वे सुरजीत को अपने साथ जंडियाला गुरु थाने में ले गए.

पढ़ें: पंजाब : जीरकपुर में मुठभेड़ के बाद तीन अपराधी गिरफ्तार

सुबह पंचायत के साथ वह भी थाने में पहुंची. पंचायत ने सुरजीत की गवाही भरी और उसे छोड़ने का आग्रह किया, लेकिन तत्कालीन एसएचओ ने उसे छोड़ने से मना कर दिया. दोपहर बाद पता चला कि सुरजीत सिंह के अलावा परमजीत सिंह और जतिंदर सिंह को अमृतसर के माल मंडी स्थित इंटेरोगेशन सेंटर ( अब पंजाब पुलिस का खुफिया शाखा विभाग) ले गए. 9 तारीख को खबरों में सुरजीत का नाम आया. 8 मई की रात को हथियार डाल दिए थे.

Last Updated : Jul 23, 2022, 12:14 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.