नई दिल्ली : कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी किसान आंदोलन का पूरा समर्थन करती है. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सीडब्ल्यूसी ने किसानों के साथ मजबूत एकजुटता में खड़े होने का फैसला किया है. वेणुगोपाल ने कहा कि हमने इस संबंध में प्रस्ताव पारित कर दिया है. सीडब्ल्यूसी इस आंदोलन का समर्थन करने के लिए कुछ शीर्ष से नीचे की कार्य योजना तैयार करने पर काम करेगी.
उन्होंने का कि लगभग तीन घंटे की लंबी चली इस वीडियो कांफ्रेंस में हमने किसान आंदोलन पर विस्तृत चर्चा की और सीडब्ल्यूसी ने किसानों के साथ एकजुट होकर खड़े होने का फैसला किया है.
उन्होंने कहा कि हमने इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया है. सीडब्ल्यूसी इस आंदोलन का समर्थन करने के लिए एक कार्य योजना तैयार कर रहा है.
जिस तरह से सरकार हमारे अन्नदाताओं के साथ दुर्व्यवहार कर रही है, वह उनका अपमान है. सरकार उनके प्रति पूरी तरह असंवेदनशील है. कांग्रेस ने इन कानूनों के खिलाफ कई आंदोलन किए हैं.
कांग्रेस नेता ने कहा कि आज हमने इसे जारी रखने का फैसला किया. CWC ने कांग्रेस के सभी सदस्यों से इन आंदोलन कार्यक्रमों में शामिल होने का आग्रह किया है.
हम किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए 10 फरवरी से पहले ब्लॉक स्तर के आंदोलन करेंगे, उसके बाद 20 फरवरी जिला स्तर के आंदोलन करेंगे और फिर 28 फरवरी से पहले राज्य स्तर पर आंदोलन करेंगे.
उन्होंने कहा कि संसद सत्र शुरू होने जा रहा है, ऐसे में एक जैसे विचार वाली पार्टियों के साथ हाथ मिलाकर, कांग्रेस सरकार से कृषि कानूनों को वापस करने की मांग करेगी.
सीडब्ल्यूसी के प्रस्ताव के मुताबिक लाखों किसानों को ठंड, ओलावृष्टि और बारिश में दिल्ली की सीमाओं पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
किसान संगठनों के अनुसार 147 किसानों ने प्रदर्शन के दौरान अपनी जान गंवाई है. प्रधानमंत्री औरभाजपा सरकार उनकी पीड़ा को महसूस करने और उनके के साथ न्याय करने से इनकार करती है.
इसमें आगे कहा गया है कि देश भर में किसान और खेत मजदूर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, रैलियां निकाल रहे हैं, भूख हड़ताल कर रहे हैं, ट्रैक्टर यात्राएं और व्यापक प्रदर्शन कर रहे हैं, फिर भी अत्याचारी सरकार लाखों किसानों के गुस्से को ' देश विरोधी' बताकर खारिज कर रही है.
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सीडब्ल्यूसी के प्रस्ताव में आरोप लगाया गया कि तीन कानून राज्यों के संवैधानिक अधिकारों का हनन करते हैं और यह निर्मित खाद्य सुरक्षा के संपादन के तीन स्तंभों MSP, सार्वजनिक अधिप्राप्ति और PDS को समाप्त करने में पहला कदम है.
सीडब्ल्यूसी ने जोर देकर कहा कि यदि इसे लागू किया जाता है, तो ये कानून देश के प्रत्येक नागरिक को प्रभावित करेंगे क्योंकि सभी खाद्य उत्पादों का मूल्य निर्धारण मुट्ठी भर लोगों की दया पर होगा.
भारत के किसानों और खेत मजदूरों की केवल एक मांग है - तीन आपत्तिजनक कानूनों को निरस्त करें, लेकिन किसानों को डराने और बांटने का प्रयास करके सरकार किसानों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है.