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राजस्थान में प्राइवेट स्कूलों से जुड़ा सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के यह मायने हैं कि अभिभावकों को सुप्रीम कोर्ट से स्कूल फीस वसूली के मुद्दे पर कोई राहत नहीं मिल पाई है और अंतरिम आदेशानुसार कोरोना काल की वही फीस चुकानी होगी, जो 2019-20 में थी.

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
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Published : Feb 8, 2021, 11:02 PM IST

जयपुर : सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना काल में निजी स्कूलों के शैक्षणिक सत्र 2020-21 की फीस वसूली मामले में अंतरिम आदेश देते हुए कहा है कि इस अवधि की पूरी फीस जमा कराई जाए. इस फीस की गणना शैक्षणिक सत्र 2019-20 के आधार पर की जाएगी. इसके साथ ही अदालत ने अभिभावकों को पांच मार्च से छह महीने में स्कूल फीस देने को कहा है.

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि फीस जमा नहीं कराए जाने के कारण किसी भी बच्चे का नाम नहीं काटा जाएगा और 10वीं व 12वीं के बच्चों को भी फीस जमा नहीं कराए जाने पर उन्हें परीक्षा में बैठने से वंचित नहीं किया जाएगा. सर्वोच्च अदालत ने राजस्थान हाईकोर्ट के 18 दिसंबर के आदेश पर भी रोक लगा दी है. इस आदेश के तहत निजी स्कूल संचालकों को राज्य सरकार के 28 अक्टूबर के आदेश की सिफारिशों के अनुसार फीस वसूल करने की छूट देते हुए राज्य सरकार के फीस तय करने के निर्णय में दखल देने से इंकार कर दिया था.

पढ़ें : अदालत ने कंगना मामले में वकील को बीएमसी द्वारा भुगतान को लेकर दायर याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने यह अंतरिम आदेश सोमवार को मैनेजिंग कमेटी सवाई मानसिंह विद्यालय और सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस सहित फी-रैग्युलेशन एक्ट 2016 को चुनौती देने वाली विद्याभवन स्कूल सोसायटी की एसएलपी पर संयुक्त सुनवाई करते हुए दिए. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के यह मायने हैं कि अभिभावकों को सुप्रीम कोर्ट से स्कूल फीस वसूली के मुद्दे पर कोई राहत नहीं मिल पाई है और अंतरिम आदेशानुसार कोरोनाकाल की वही फीस चुकानी होगी जो 2019-20 में थी.

जयपुर : सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना काल में निजी स्कूलों के शैक्षणिक सत्र 2020-21 की फीस वसूली मामले में अंतरिम आदेश देते हुए कहा है कि इस अवधि की पूरी फीस जमा कराई जाए. इस फीस की गणना शैक्षणिक सत्र 2019-20 के आधार पर की जाएगी. इसके साथ ही अदालत ने अभिभावकों को पांच मार्च से छह महीने में स्कूल फीस देने को कहा है.

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि फीस जमा नहीं कराए जाने के कारण किसी भी बच्चे का नाम नहीं काटा जाएगा और 10वीं व 12वीं के बच्चों को भी फीस जमा नहीं कराए जाने पर उन्हें परीक्षा में बैठने से वंचित नहीं किया जाएगा. सर्वोच्च अदालत ने राजस्थान हाईकोर्ट के 18 दिसंबर के आदेश पर भी रोक लगा दी है. इस आदेश के तहत निजी स्कूल संचालकों को राज्य सरकार के 28 अक्टूबर के आदेश की सिफारिशों के अनुसार फीस वसूल करने की छूट देते हुए राज्य सरकार के फीस तय करने के निर्णय में दखल देने से इंकार कर दिया था.

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सुप्रीम कोर्ट ने यह अंतरिम आदेश सोमवार को मैनेजिंग कमेटी सवाई मानसिंह विद्यालय और सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस सहित फी-रैग्युलेशन एक्ट 2016 को चुनौती देने वाली विद्याभवन स्कूल सोसायटी की एसएलपी पर संयुक्त सुनवाई करते हुए दिए. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के यह मायने हैं कि अभिभावकों को सुप्रीम कोर्ट से स्कूल फीस वसूली के मुद्दे पर कोई राहत नहीं मिल पाई है और अंतरिम आदेशानुसार कोरोनाकाल की वही फीस चुकानी होगी जो 2019-20 में थी.

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