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Assam NRI MBBS Quota: असम में एनआरआई कोटा वाले एमबीबीएस छात्रों के भविष्य पर लटकी तलवार - असम में एनआरआई कोटा

सुप्रीम कोर्ट की रोक से असम में एनआरआई कोटा के तहत एमबीबीएस में दाखिला पाने वाले छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया है.

Supreme Court Stay Puts Fate of NRI Quota MBBS Students in Limbo in Assam
सुप्रीम कोर्ट की रोक से असम में एनआरआई कोटा एमबीबीएस छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ा
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 28, 2023, 8:24 AM IST

गुवाहाटी: असम में एनआरआई कोटा के तहत एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाले छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है क्योंकि मेडिकल शिक्षा में एनआरआई के लिए सीटें आरक्षित करने के राज्य सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में कानूनी झटका लगा है. 15 जून को कैबिनेट बैठक के दौरान मेडिकल कॉलेजों में असमिया प्रवासियों के लिए सीटें आवंटित करने के कदम का विरोध किया गया और इसके बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया गया.

राज्य सरकार की आरक्षण नीति को चुनौती देने वाली अरुज जमान द्वारा दायर जनहित याचिका के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले पर स्थगन आदेश जारी करके हस्तक्षेप किया है. मूल योजना एनआरआई के लिए एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में 8 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की थी, जिसके कारण कई एनआरआई ने इस प्रस्ताव के आधार पर मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लिया.

अदालत के हस्तक्षेप से उन उम्मीदवारों के बीच चिंता पैदा हो गई है, जिन्होंने अपने माता-पिता के साथ-साथ डॉलर में फीस का भुगतान करके मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश हासिल किया था. यह निर्णय तब आया है जब 33 उम्मीदवारों ने आरक्षित सीटों के लिए सामूहिक रूप से 8.25 लाख डॉलर का भुगतान करके पहले ही एमबीबीएस कार्यक्रम में प्रवेश सुरक्षित कर लिया था.

इन 33 छात्रों में से 12 ने गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में 11 ने डिब्रूगढ़ के असम मेडिकल कॉलेज में, दो ने बारपेटा के फखरुद्दीन अली अहमद मेडिकल कॉलेज में जबकि तीन ने जोरहाट मेडिकल कॉलेज में, दो ने तेजपुर मेडिकल कॉलेज में, एक ने सिलचर मेडिकल कॉलेज में और नलबाड़ी मेडिकल कॉलेज में दो ने प्रवेश प्राप्त किया.

ये भी पढ़ें- असम में परिसीमन : SC ने कहा- इस स्तर पर प्रक्रिया पर रोक लगाना उचित नहीं होगा

सुप्रीम कोर्ट द्वारा एनआरआई कोटे के तहत प्रवेश पर अस्थायी रोक लगाने के साथ, माता-पिता के बीच इन छात्रों के भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं, जिन्होंने सरकार के प्रस्ताव का लाभ उठाया था. एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए नियमित कक्षाओं का पहला सेमेस्टर पहले से ही चल रहा है. राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने खुलासा किया है कि इस मामले पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर चिकित्सा शिक्षा निदेशक कार्ययोजना बनाएंगे.

गुवाहाटी: असम में एनआरआई कोटा के तहत एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाले छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है क्योंकि मेडिकल शिक्षा में एनआरआई के लिए सीटें आरक्षित करने के राज्य सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में कानूनी झटका लगा है. 15 जून को कैबिनेट बैठक के दौरान मेडिकल कॉलेजों में असमिया प्रवासियों के लिए सीटें आवंटित करने के कदम का विरोध किया गया और इसके बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया गया.

राज्य सरकार की आरक्षण नीति को चुनौती देने वाली अरुज जमान द्वारा दायर जनहित याचिका के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले पर स्थगन आदेश जारी करके हस्तक्षेप किया है. मूल योजना एनआरआई के लिए एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में 8 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की थी, जिसके कारण कई एनआरआई ने इस प्रस्ताव के आधार पर मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लिया.

अदालत के हस्तक्षेप से उन उम्मीदवारों के बीच चिंता पैदा हो गई है, जिन्होंने अपने माता-पिता के साथ-साथ डॉलर में फीस का भुगतान करके मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश हासिल किया था. यह निर्णय तब आया है जब 33 उम्मीदवारों ने आरक्षित सीटों के लिए सामूहिक रूप से 8.25 लाख डॉलर का भुगतान करके पहले ही एमबीबीएस कार्यक्रम में प्रवेश सुरक्षित कर लिया था.

इन 33 छात्रों में से 12 ने गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में 11 ने डिब्रूगढ़ के असम मेडिकल कॉलेज में, दो ने बारपेटा के फखरुद्दीन अली अहमद मेडिकल कॉलेज में जबकि तीन ने जोरहाट मेडिकल कॉलेज में, दो ने तेजपुर मेडिकल कॉलेज में, एक ने सिलचर मेडिकल कॉलेज में और नलबाड़ी मेडिकल कॉलेज में दो ने प्रवेश प्राप्त किया.

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा एनआरआई कोटे के तहत प्रवेश पर अस्थायी रोक लगाने के साथ, माता-पिता के बीच इन छात्रों के भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं, जिन्होंने सरकार के प्रस्ताव का लाभ उठाया था. एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए नियमित कक्षाओं का पहला सेमेस्टर पहले से ही चल रहा है. राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने खुलासा किया है कि इस मामले पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर चिकित्सा शिक्षा निदेशक कार्ययोजना बनाएंगे.

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