नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को प्रयागराज में पुलिस हिरासत में चिकित्सा जांच के लिए अस्पताल ले जाते वक्त मीडिया के समक्ष उनकी परेड क्यों करायी गई ? अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की स्वतंत्र जांच का अनुरोध कर रही वकील विशाल तिवारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से यह भी पूछा कि हत्यारों को यह कैसे पता चला कि उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा था ?
न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी से पूछा, 'उन्हें कैसे पता चला? हमने टेलीविजन पर यह देखा है। उन्हें अस्पताल के प्रवेश द्वार से सीधे एम्बुलेंस में क्यों नहीं ले जाया गया? उनकी परेड क्यों करायी गयी?' रोहतगी ने पीठ को बताया कि राज्य सरकार घटना की जांच कर रही है और उसने इसके लिए तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया है. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस का एक विशेष जांच दल भी मामले की जांच कर रहा है.
न्यायमूर्ति रोहतगी ने कहा, 'यह शख्स और उसका पूरा परिवार पिछले 30 साल से जघन्य मामलों में फंसा रहा है. यह घटना खासतौर से भीषण है. हमने हत्यारों को पकड़ा है और उन्होंने कहा है कि उन्होंने लोकप्रिय होने के लिए यह किया.' रोहतगी ने न्यायालय में कहा, 'हर किसी ने हत्या को टेलीविजन पर देखा. हत्यारे खुद को समाचार फोटोग्राफर बताकर आए थे. उनके पास कैमरे और पहचान पत्र थे जो बाद में फर्जी पाए गए. वहां करीब 50 लोग थे तथा और इससे अधिक लोग बाहर भी थे. इस तरीके से उन्होंने हत्या को अंजाम दिया.'
न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को घटना के बाद उठाए गए कदमों पर स्थिति रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'एक विस्तृत हलफनामा दायर करें जिनमें प्रयागराज में मोतीलाल नेहरू डिवीजनल हॉस्पिटल के समीप 15 अप्रैल को हुई हत्याओं की जांच करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी हो. हलफनामे में घटना के संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी भी दी जाए और न्यायमूर्ति बी एस चौहान आयोग की रिपोर्ट के बाद उठाए कदमों का भी खुलासा किया जाए. इसे तीन सप्ताह बाद सूचीबद्ध करें.'
उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश चौहान ने 2020 में गैंगस्टर विकास दुबे की मुठभेड़ में मौत के मामले की जांच करने वाले एक आयोग की अगुवाई की थी. गौरतलब है कि अतीक अहमद (60) तथा अशरफ की मीडियाकर्मी बनकर आए तीन लोगों ने नजदीक से गोली मारकर हत्या कर दी थी. यह हत्या उस वक्त की गयी थी जब दोनों को पुलिस की सुरक्षा में स्वास्थ्य जांच के लिए प्रयागराज के एक मेडिकल कॉलेज ले जाया जा रहा था.
याचिका में 2017 के बाद से उत्तर प्रदेश में हुई 183 मुठभेड़ों की जांच का भी अनुरोध किया गया है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाल में कहा था कि उसने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार के छह साल में मुठभेड़ों में 183 कथित अपराधियों को मार गिराया जिनमें अतीक अहमद का बेटा असद और उसका साथी भी शामिल हैं. उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में अतीक और अशरफ की हत्या की जांच करने के लिए एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति गठित करने का अनुरोध किया गया है.
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(पीटीआई-भाषा)