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आंगनबाड़ियों को दोबारा खोले जाने को लेकर कोर्ट ने अपना आदेश किया सुनिश्चित - malnutrition

उच्चतम न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई कर अपना आदेश सुनिश्चित किया है. न्यायालय आंगनबाड़ियों को दोबारा खोले जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

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Published : Dec 16, 2020, 9:33 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना महामारी के चलते आंगनबाड़ियों को बंद कर दिया गया था जिसके बाद आज उच्चतम न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई कर अपना आदेश सुनिश्चित किया है, जिसमें आंगनबाड़ियों को दोबारा खोले जाने, बच्चों और स्तनपान कराने वाली माताओं को स्वास्थ सेवाएं और भोजन उपलब्ध कराने के निर्देश देने की मांग की गई.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने याचिका पर सुनवाई की. इससे पहले पीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों से महामारी के दौरान आंगनबाड़ियों के संचालन को लेकर एक हलफनामा देने के लिए कहा.

वरिष्ठ अधिवक्ता, कोलिन गोन्साल्विस ने अदालत को बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम ने प्रति दिन पोषण और मध्यान्ह भोजन की आपूर्ति करना अनिवार्य कर दिया है, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है. उन्होंने तर्क दिया कि स्तनपान कराने वाली माताओं को पके हुए भोजन के बजाय राशन दिया जा रहा है.

महिलाओं को 15 दिनों में 75 रुपये का एक चूडे का पैकेट दिया जा रहा है, जिस पर प्रति दिन 5 रुपये का खर्च आता है. गोंसाल्वेस ने कहा कि सभी संसाधनों के साथ सरकार महिलाओं को यह देती है. वहीं एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि 5 रुपये का तर्क गलत है, ऐसे में कैलोरी को देखा जाना चाहिए.

इसके अलावा वित्त समिति के अनुसार प्रति दिन 9-16 रुपये खर्च किए जा रहे हैं. गोंसाल्वेस ने कहा कि लोगों को भोजन की जरूरत है, राज्यों में भुखमरी से होने वाली मौतें की दर बढ़ी हैं. एनएचआरसी का कहना है कि आंगनबाड़ियों को तुरंत फिर से शुरू किया जाना चाहिए.

एनएचआरसी के आंकड़ों का हवाला देते हुए, गोंसाल्वेस ने कहा कि भारत में 38% बच्चों का विकास ठीक से नहीं हुआ होता है, 20% बच्चे कमजोर होते हैं और बाकी कई बच्चों को एनीमिया होता है. उन्होंने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों का भी हवाला दिया जिसके अनुसार बाल मृत्यु दर में कमी आई है लेकिन कुपोषण में वृद्धि हुई है.

पढ़ें :- 12 राज्यों में बढ़ी शिशु आहार की बर्बादी, बिहार में सबसे ज्यादा

एएसजी भाटी के अनुसार, अंडमान और निकोबार में 719 आंगनबाड़ियों, छत्तीसगढ़ में 12,000 से अधिक, गोवा में 1,200 से अधिक आंगनबाड़ियों को खोल दिया गया है. उन्होंने कहा कि सभी राज्य कोरोना दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं, लेकिन सभी आंगनबाड़ियों को खोलना खतरनाक हो सकता है क्योंकि महामारी अभी तक खत्म नहीं हुई है.

यह स्वीकार करते हुए कि कुछ कमियां हैं, भाटी ने कहा कि सरकार दिशा-निर्देशों को लागू कर रही है. बिहार और असम के अधिकारियों ने अदालत को बताया कि उन्होंने आंगनबाड़ी को अभी तक नहीं खोला है, लेकिन भोजन की आपूर्ति की जा रही है. पंजाब में 27,000 से अधिक आंगनबाड़ियों को खोला गया है.

नई दिल्ली : कोरोना महामारी के चलते आंगनबाड़ियों को बंद कर दिया गया था जिसके बाद आज उच्चतम न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई कर अपना आदेश सुनिश्चित किया है, जिसमें आंगनबाड़ियों को दोबारा खोले जाने, बच्चों और स्तनपान कराने वाली माताओं को स्वास्थ सेवाएं और भोजन उपलब्ध कराने के निर्देश देने की मांग की गई.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने याचिका पर सुनवाई की. इससे पहले पीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों से महामारी के दौरान आंगनबाड़ियों के संचालन को लेकर एक हलफनामा देने के लिए कहा.

वरिष्ठ अधिवक्ता, कोलिन गोन्साल्विस ने अदालत को बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम ने प्रति दिन पोषण और मध्यान्ह भोजन की आपूर्ति करना अनिवार्य कर दिया है, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है. उन्होंने तर्क दिया कि स्तनपान कराने वाली माताओं को पके हुए भोजन के बजाय राशन दिया जा रहा है.

महिलाओं को 15 दिनों में 75 रुपये का एक चूडे का पैकेट दिया जा रहा है, जिस पर प्रति दिन 5 रुपये का खर्च आता है. गोंसाल्वेस ने कहा कि सभी संसाधनों के साथ सरकार महिलाओं को यह देती है. वहीं एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि 5 रुपये का तर्क गलत है, ऐसे में कैलोरी को देखा जाना चाहिए.

इसके अलावा वित्त समिति के अनुसार प्रति दिन 9-16 रुपये खर्च किए जा रहे हैं. गोंसाल्वेस ने कहा कि लोगों को भोजन की जरूरत है, राज्यों में भुखमरी से होने वाली मौतें की दर बढ़ी हैं. एनएचआरसी का कहना है कि आंगनबाड़ियों को तुरंत फिर से शुरू किया जाना चाहिए.

एनएचआरसी के आंकड़ों का हवाला देते हुए, गोंसाल्वेस ने कहा कि भारत में 38% बच्चों का विकास ठीक से नहीं हुआ होता है, 20% बच्चे कमजोर होते हैं और बाकी कई बच्चों को एनीमिया होता है. उन्होंने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों का भी हवाला दिया जिसके अनुसार बाल मृत्यु दर में कमी आई है लेकिन कुपोषण में वृद्धि हुई है.

पढ़ें :- 12 राज्यों में बढ़ी शिशु आहार की बर्बादी, बिहार में सबसे ज्यादा

एएसजी भाटी के अनुसार, अंडमान और निकोबार में 719 आंगनबाड़ियों, छत्तीसगढ़ में 12,000 से अधिक, गोवा में 1,200 से अधिक आंगनबाड़ियों को खोल दिया गया है. उन्होंने कहा कि सभी राज्य कोरोना दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं, लेकिन सभी आंगनबाड़ियों को खोलना खतरनाक हो सकता है क्योंकि महामारी अभी तक खत्म नहीं हुई है.

यह स्वीकार करते हुए कि कुछ कमियां हैं, भाटी ने कहा कि सरकार दिशा-निर्देशों को लागू कर रही है. बिहार और असम के अधिकारियों ने अदालत को बताया कि उन्होंने आंगनबाड़ी को अभी तक नहीं खोला है, लेकिन भोजन की आपूर्ति की जा रही है. पंजाब में 27,000 से अधिक आंगनबाड़ियों को खोला गया है.

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