नई दिल्ली : न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने पहले की सुनवाई में कहा था कि इस तरह के आदेश को पारित करने में उच्च न्यायालय गलत नहीं था.
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया था कि आयुर्वेद का इस्तेमाल इम्युनिटी बूस्टर के रूप में किया जा सकता है, लेकिन इलाज के तौर पर नहीं.
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आज केंद्र ने अदालत को यह भी बताया कि होम्योपैथी और आयुष चिकित्सक केवल प्रतिरक्षा बूस्टर लिख सकते हैं. अदालत ने एसजी की अधीनता पर ध्यान दिया और अपना फैसला सुरक्षित रखा.