नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को तेलंगाना राज्य में उन सभी 19 लाख राशन कार्डों का सत्यापन करने का निर्देश दिया है जिन्हें रद्द कर दिया गया है. कोर्ट ने ऐसे कार्डधारकों के प्रतिनिधित्व पर तेजी से कार्रवाई करने के लिए कहा. कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को एक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया कि कार्ड रद्द करने से पहले क्या कदम उठाए गए और मामले पर 3 सप्ताह के बाद फिर से सुनवाई करेगा.
जस्टिस एलएन राव (Justice LN Rao) और जस्टिस बीआर गवई (Justice BR Gavai) की पीठ एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तेलंगाना में लगभग 19 लाख लोगों के राशन कार्ड को बिना कोई नोटिस दिए या बिना कोई कारण बताए रद्द करने को चुनौती दी गई थी.
इस संबंध में सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस (Sr Adv Colin Gonsalves) ने याचिकाकर्ता के लिए कोर्ट के समक्ष दलील दी कि 17 पैरामीटर के आधार पर राशन कार्ड को रद्द कर दिया गया है. लेकिन राशन कार्ड धारकों को यह नहीं बताया गया है कि उनका कार्ड किस आधार पर रद्द किया गया था और न ही उन्हें कोई नोटिस दिया गया था, हालांकि उनसे बस दोबारा आवेदन करने के लिए कहा.
इस दौरान तर्क दिया गया कि झोपड़ियों और परिवारों आदि का जांच करने के बाद राशन कार्ड जारी किए जाते हैं और फिर उन कार्ड को रद्द करना गरीब लोगों के लिए क्रूरता का कार्य है. रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे देश में 4.4 करोड़ राशन कार्ड रद्द कर दिए गए हैं. वहीं तेलंगाना में कोई नोटिस नहीं देने पर आपत्ति हुई तो अफसरों ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में यह अनिवार्य नहीं है.
सीनियर एडवोकेट गोंजाल्विस ने कहा कि राशन कार्ड को रद्द करने के कारणों में दोषपूर्ण आधार संख्या के अलावा विवाह, मृत्यु व चार पहिया वाहन आदि शामिल हैं. उन्होंने तर्क दिया कि पुट्टुस्वामी मामले में कोर्ट के फैसले के अनुसार आधार इसके लिए अनिवार्य नहीं है. इसके अलावा यदि आधार संख्या मेल नहीं खाती है तब यह संभव है क्योंकि विवरण ई केंद्र पर लोगों द्वारा भरा जाता है, न कि स्वयं ग्रामीणों द्वारा और उस स्थिति में अधिकारियों को मैदान पर जाकर जांच करनी होती है. प्रवासन के लिए उन्होंने तर्क दिया कि हमारे पास एक राष्ट्र एक राशन कार्ड नीति है, इसलिए कोई रद्दीकरण नहीं हो सकता है. मृत्यु और विवाह के कारण उन्होंने तर्क दिया कि केवल लाभार्थी को जोड़ा या हटाया जाना चाहिए.
ये भी पढ़ें - SC का उत्तराखंड के CS को निर्देश: रुड़की धर्म संसद में कोई भड़काऊ भाषण न हो
वहीं तेलंगाना राज्य ने प्रस्तुत किया कि नए कार्ड भी जारी किए गए हैं और फर्जी कार्डों को हटाने के लिए रद्द किया गया है. इसके अलावा यह समस्या पूरे भारत में है और तेलंगाना में कोई भी शिकायत लेकर अधिकारियों के पास नहीं गया है, यह सिर्फ एक जनहित याचिका है. कोर्ट ने राज्य की खिंचाई करते हुए कहा कि यह मामला तेलंगाना से संबंधित है और यह क्यों उम्मीद की जाती है कि सभी लोग कोर्ट में आएंगे.
इस दौरान जस्टिस जे राव ने कहा कि सवाल किया क्या आप लोगों को राशन से वंचित कर सकते हैं ? इसके अलावा यह सामूहिक रद्दीकरण क्यो? इससे लोगों को खाना नहीं मिलेगा. यहां तक कि फर्जी कार्डों को हटाने के लिए भी आप कैंसिल को वेरिफाई किए बिना कैसे कर सकते है?
अदालत ने कहा, आप कह रहे हैं कि आपने सिस्टम चेक किया है. फील्ड वेरिफिकेशन नहीं. जबकि शिकायत यह है कि कोई फील्ड वेरिफिकेशन नहीं है. अगर कंप्यूटर सब कुछ कर सकता है तो मनुष्य के हस्तक्षेप की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है. जे राव ने कहा, हम इसकी सराहना नहीं करते हैं. आप रद्द करते हैं और आप कहते हैं कि वे फिर से आवेदन करेंगे ... आप उन लोगों के साथ काम कर रहे हैं जो पीडीएस से राशन ले रहे हैं, जबकि यह एक लक्जरी याचिका नहीं है.