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Maharashtra Political Crisis: उद्धव के इस्तीफे के बाद नहीं होगा फ्लोर टेस्ट - supreme court maharashtra confidence motion

महाराष्ट्र संकट पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को सही ठहराया है. राज्यपाल ने उद्धव सरकार को गुरुवार को बहुमत साबित करने का आदेश दिया है. वहीं, उद्धव ठाकरे के इस्तीफ के बाद फ्लोर टेस्ट नहीं होगा.

supreme court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jun 29, 2022, 9:11 PM IST

Updated : Jun 30, 2022, 8:31 AM IST

नई दिल्ली : महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट अब निर्णायक मोड़ पर आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल के उस फैसले को सही ठहराया है, जिसमें उन्होंने उद्धव सरकार को गुरुवार को बहुमत साबित करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि वह राज्यपाल के फैसले पर रोक नहीं लगा रहा है. वहीं, उद्धव ठाकरे के इस्तीफ के बाद फ्लोर टेस्ट नहीं होगा.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आज होने वाले फ्लोर टेस्ट के खिलाफ शिवसेना के मुख्य सचेतक (चीफ व्हिप) सुनील प्रभु की याचिका पर करीब साढ़े तीन घंटे तक सुनवाई की. उसके बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई अपनी याचिका में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को गुरुवार (30 जून) को बहुमत साबित करने के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल के निर्देश को अवैध करार दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनील प्रभु से सवाल किया कि अगर किसी सरकार ने सदन में बहुमत खो दिया है और विधानसभा अध्यक्ष को समर्थन वापस लेने वालों को अयोग्य घोषित करने के लिए कहा जाता है, तो क्या राज्यपाल को फ्लोर टेस्ट का इंतजार करना चाहिए ? प्रभु का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अवकाश पीठ के समक्ष दलील दी कि राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य हैं.

उन्होंने कहा कि राज्यपाल मंत्रियों की सलाह पर काम कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं, लेकिन वे किसी भी हाल में विपक्ष की सलाह पर काम नहीं कर सकते हैं. सिंघवी ने कहा कि अगर गुरुवार को बागी विधायकों को वोट देने की अनुमति दी जाती है, तो अदालत उन विधायकों को वोट देने की अनुमति देगी, जिन्हें बाद में अयोग्य घोषित किया जा सकता है, जो लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है.

इस पर, बेंच ने सिंघवी से पूछा कि मान लीजिए कि एक सरकार को पता है कि उन्होंने सदन में बहुमत खो दिया है और अध्यक्ष को समर्थन वापस लेने वालों को अयोग्यता नोटिस जारी करने के लिए कहा जाता है. फिर उस समय, राज्यपाल को फ्लोर टेस्ट बुलाने की प्रतीक्षा करनी चाहिए या फिर वह स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकते हैं ?

पीठ ने पूछा, 'राज्यपाल को क्या करना चाहिए ? क्या वह अपने विवेक का प्रयोग कर सकते हैं ? सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर महाराष्ट्र के राज्यपाल के उस निर्देश को चुनौती दी है, जिसमें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को गुरुवार को बहुमत साबित करने के लिए कहा गया है. शिवसेना की इस याचिका में दलील दी गई है कि अभी बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्य ठहराए जाने की कार्रवाई पूरी नहीं हुई है, ऐसे में बहुमत साबित करने का निर्देश पारित नहीं किया जाना चाहिए.

शिवसेना नेता अनिल देसाई ने कहा कि हमने इस तरह के फैसले की उम्मीद नहीं की थी.

ये भी पढे़ं : उद्धव कैबिनेट का फैसला, औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर, उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने को मंजूरी

नई दिल्ली : महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट अब निर्णायक मोड़ पर आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल के उस फैसले को सही ठहराया है, जिसमें उन्होंने उद्धव सरकार को गुरुवार को बहुमत साबित करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि वह राज्यपाल के फैसले पर रोक नहीं लगा रहा है. वहीं, उद्धव ठाकरे के इस्तीफ के बाद फ्लोर टेस्ट नहीं होगा.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आज होने वाले फ्लोर टेस्ट के खिलाफ शिवसेना के मुख्य सचेतक (चीफ व्हिप) सुनील प्रभु की याचिका पर करीब साढ़े तीन घंटे तक सुनवाई की. उसके बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई अपनी याचिका में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को गुरुवार (30 जून) को बहुमत साबित करने के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल के निर्देश को अवैध करार दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनील प्रभु से सवाल किया कि अगर किसी सरकार ने सदन में बहुमत खो दिया है और विधानसभा अध्यक्ष को समर्थन वापस लेने वालों को अयोग्य घोषित करने के लिए कहा जाता है, तो क्या राज्यपाल को फ्लोर टेस्ट का इंतजार करना चाहिए ? प्रभु का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अवकाश पीठ के समक्ष दलील दी कि राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य हैं.

उन्होंने कहा कि राज्यपाल मंत्रियों की सलाह पर काम कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं, लेकिन वे किसी भी हाल में विपक्ष की सलाह पर काम नहीं कर सकते हैं. सिंघवी ने कहा कि अगर गुरुवार को बागी विधायकों को वोट देने की अनुमति दी जाती है, तो अदालत उन विधायकों को वोट देने की अनुमति देगी, जिन्हें बाद में अयोग्य घोषित किया जा सकता है, जो लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है.

इस पर, बेंच ने सिंघवी से पूछा कि मान लीजिए कि एक सरकार को पता है कि उन्होंने सदन में बहुमत खो दिया है और अध्यक्ष को समर्थन वापस लेने वालों को अयोग्यता नोटिस जारी करने के लिए कहा जाता है. फिर उस समय, राज्यपाल को फ्लोर टेस्ट बुलाने की प्रतीक्षा करनी चाहिए या फिर वह स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकते हैं ?

पीठ ने पूछा, 'राज्यपाल को क्या करना चाहिए ? क्या वह अपने विवेक का प्रयोग कर सकते हैं ? सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर महाराष्ट्र के राज्यपाल के उस निर्देश को चुनौती दी है, जिसमें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को गुरुवार को बहुमत साबित करने के लिए कहा गया है. शिवसेना की इस याचिका में दलील दी गई है कि अभी बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्य ठहराए जाने की कार्रवाई पूरी नहीं हुई है, ऐसे में बहुमत साबित करने का निर्देश पारित नहीं किया जाना चाहिए.

शिवसेना नेता अनिल देसाई ने कहा कि हमने इस तरह के फैसले की उम्मीद नहीं की थी.

ये भी पढे़ं : उद्धव कैबिनेट का फैसला, औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर, उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने को मंजूरी

Last Updated : Jun 30, 2022, 8:31 AM IST
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