भोपाल। नामीबिया से लाए गए चीतों की मौत ने वन विभाग और राज्य सरकार को हैरान कर दिया है. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी चीतों की अचानक हुई मौतों पर चिंता जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि सियासत से ऊपर उठकर चीतों को राजस्थान में शिफ्ट करने पर विचार करे. न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि ''विशेषज्ञों की रिपोर्ट और लेखों से ऐसा मालूम होता है कि इतनी बड़ी संख्या में चीतों के लिए केएनपी पर्याप्त नहीं है और केंद्र सरकार उन्हें अन्य अभयारण्यों में स्थानांतरित करने पर विचार कर सकती है. केवल 2 महीने में चीतों की मौत हो जाना चिंता का विषय है.'' हालांकि कूनो नेशनल पार्क में लाए गए चीतों की मौत के बाद से वन विभाग ने इनकी निगरानी बढ़ा दी है.
अधिकारियों को चीता प्रबंधन का अनुभव नहीं: केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ''अदालत द्वारा नियुक्त समिति के सदस्यों सहित किसी भी अधिकारी को भारत में चीता प्रबंधन का कोई खास अनुभव नहीं है. क्योंकि चीते 1947-48 में देश से विलुप्त हो गये थे. अफ्रीकी देशों के साथ यात्राओं, पर्यटन के अध्ययन, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारों ने वन अधिकारियों और पशु चिकित्सकों को चीतों के रखरखाव की ट्रेनिंग दी है.टट वहीं सुप्रीम कोर्ट ने यह भी तर्क दिया कि ''इतने सारे चीतों के लिए कूनो नेशनल पार्क काफी छोटा है, आप (केंद्र) राजस्थान में इन्हें शिफ्ट क्यों नहीं करते. केवल इसलिए कि राजस्थान में विपक्षी दल की सरकार है.'' वहीं, केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि ''चीतों की शिफ्टिंग के लिए संभावित पहलुओं की जांच की जा रही है.''
इन चीतों की हुई मौत: नामीबिया से लाए गए तीन चीतों की कूनो नेशनल पार्क में मौत हो चुकी है. पहली दुखद खबर 27 मार्च को सामने आई थी. 'साशा' नाम की साढ़े चार साल की मादा चीते की मौत हुई थी. साशा की किडनी में इंफेक्शन हो गया था, जिसके चलते उसने दम तोड़ दिया था. वह तीन माह से बीमार चल रही थी. इसके अलावा 23 अप्रैल को 'उदय' नाम के चीते की मौत हो गई थी. 23 अप्रैल को सुबह से ही उदय सुस्त और बीमार लग रहा था. जिसके बाद वन्यप्राणी चिकित्सकों ने उसे आइसोलेशन वार्ड में उपचार एवं निगरानी के लिए रखा. उपचार के दौरान शाम लगभग 4 बजे चीता उदय की मृत्यु हो गई. वहीं 9 मई को और मादा चीता 'दक्षा ने दम तोड़ दिया था.
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चीतों कों गांधीसागर अभ्यारण्य में किया जाएगा शिफ्ट: अफ्रीका से मध्यप्रदेश के कूनो में लाए गए चीतों को मंदसौर जिले में स्थित गांधीसागर अभ्यारण्य में शिफ्ट किया जाएगा. मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस की अध्यक्षता वाली चीता टास्क फोर्स ने चीतों की शिफ्टिंग को मंजूरी दे दी है. वहीं अधिकारियों ने बैठक में बताया कि, गांधी सागर और नौरादेही में चैनलिंग फैसिंग कराई जाएगी, इसके लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं.
एक अभ्यारण्य में चीतों को रखना ठीक नहीं: बैठक में वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ''एक ही अभ्यारण्य में चीतों को रखना उचित नहीं है. भविष्य में इसको लेकर समस्या हो सकती है. भविष्य में किसी तरह का संक्रमण फैसले पर सभी चीतों पर संकट आ सकता है.'' दरअसल कूनो अभ्यारण्य के क्षेत्रफल के हिसाब से इसमें मौजूदा चीतों की संख्या ज्यादा बताई जा रही है. इसलिए विभाग इन्हें गांधी सागर में शिफ्ट करना चाहता है. भविष्य में दक्षिण अफ्रीका से और भी चीतों को लाया जाना है, ऐसे में एक ही स्थान पर चीतों को रखना नुकसानदायक हो सकता है. वन विभाग के पीसीसीएफ जेएस चौहान ने हाल में एक नोटशीट तैयार कर शासन को भेजी है. इसमें संक्रमण को लेकर चीतों के अस्तित्व का संकट पैदा होने की आशंका जताते हुए, चीतों को शिफ्ट करने की जरूरत बताई थी.
गांधी सागर में की जा रही फैंसिंग: उधर बैठक में अधिकारियों ने बताया कि गांधी सागर और नौरादेही में चीतों की शिफ्टिंग के पहले यहां फैंसिंग कराई जा रही है. इसके लिए इसके चारों तरफ फेंसिंग कराई जाएगी. इसके लिए 15 करोड़ का बजट उपलब्ध कराया गया है. बैठक में कहा गया कि 'चीता एक्शन प्लान' विशेषज्ञों के माध्यम से तैयार किए गए हैं, जिसका पालन करना बेहद जरूरी है. गौरतलब है कि दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों को लाया गया था.