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ज्ञानवापी मस्जिद में वजू के लिए सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश, कहा- वाराणसी डीएम कमेटी के साथ करें वार्ता

मस्जिद कमेटी की ज्ञानवापी मस्जिद क्षेत्र में रमजान माह के दौरान नमाजियों को वजू में हो रही दिक्कत के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई 21 अप्रैल रखी है.

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Published : Apr 17, 2023, 6:45 PM IST

नई दिल्ली: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में रमजान माह के दौरान नमाजियों को वजू (हाथ-पैर धोना) में हो रही दिक्कत के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने इसका हल निकालने के लिए एक नया आदेश दिया है. कोर्ट ने वाराणसी के जिला अधिकारी से रमजान माह में मस्जिद क्षेत्र में वजू की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए समाधान निकालने के लिए कहा है. साथ ही इसके लिए 18 अप्रैल को बैठक बुलाकर इस पर चर्चा करने के लिए भी कहा है.

ये आदेश सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूण सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिए हैं. इसमें शामिल न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा और न्यायाधीश जेबी पारदीवाला ने कहा कि बैठक में आम सहमति के आधार पर समस्या का समाधान निकाला जाए. इसके बाद 21 अप्रैल को इस मामले में सुनवाई होगी. मामले को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया है.

मस्जिद कमेटी के वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद क्षेत्र में शिवलिंग होने के दावे के जवाब में पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूरे इलाके को सील कर दिया गया था. इसके चलते ही वजूखाना भी बंद है. तब शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया था कि मुसलमानों के अधिकार को उनकी धार्मिक गतिविधियों को करने तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए. इसलिए फैसला आने तक वहां वजू की वैकल्पिक व्यवस्था के तहत फिलहाल मोबाइल वाशरूम की व्यवस्था कर दी जाए.

ज्ञानवापी मस्जिद क्षेत्र में वजू में हो रही दिक्कत के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वजू करने की जगह विवादित है. वहां पर शिवलिंग होने की बात है. इसलिए मस्जिद कमेटी की यह मांग समस्या पैदा कर सकती है. हालांकि इस पर वाराणसी के डीएम और मस्जिद कमेटी फैसला ले सकते हैं. कोई वैकल्पिक रास्ता निकाल सकते हैं.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता वजू के लिए सही जगह की मांग कर रहे हैं. उनकी इस समस्या का हल निकालने के लिए वाराणसी के डीएम को मस्जिद कमेटी के साथ 18 अप्रैल को बैठक करके कोई समाधान निकालना चाहिए. अगर बैठक में कोई हल निकलता है या फिर मोबाइल वाशरूम के लिए आपसी सहमति बनती है तो बिना अगले आदेश के इसे लागू किया जा सकता है.

ये भी पढ़ेंः ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में 7 मुकदमों की अब एक जगह होगी सुनवाई, जानिए कौन से हैं ये मामले

नई दिल्ली: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में रमजान माह के दौरान नमाजियों को वजू (हाथ-पैर धोना) में हो रही दिक्कत के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने इसका हल निकालने के लिए एक नया आदेश दिया है. कोर्ट ने वाराणसी के जिला अधिकारी से रमजान माह में मस्जिद क्षेत्र में वजू की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए समाधान निकालने के लिए कहा है. साथ ही इसके लिए 18 अप्रैल को बैठक बुलाकर इस पर चर्चा करने के लिए भी कहा है.

ये आदेश सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूण सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिए हैं. इसमें शामिल न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा और न्यायाधीश जेबी पारदीवाला ने कहा कि बैठक में आम सहमति के आधार पर समस्या का समाधान निकाला जाए. इसके बाद 21 अप्रैल को इस मामले में सुनवाई होगी. मामले को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया है.

मस्जिद कमेटी के वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद क्षेत्र में शिवलिंग होने के दावे के जवाब में पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूरे इलाके को सील कर दिया गया था. इसके चलते ही वजूखाना भी बंद है. तब शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया था कि मुसलमानों के अधिकार को उनकी धार्मिक गतिविधियों को करने तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए. इसलिए फैसला आने तक वहां वजू की वैकल्पिक व्यवस्था के तहत फिलहाल मोबाइल वाशरूम की व्यवस्था कर दी जाए.

ज्ञानवापी मस्जिद क्षेत्र में वजू में हो रही दिक्कत के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वजू करने की जगह विवादित है. वहां पर शिवलिंग होने की बात है. इसलिए मस्जिद कमेटी की यह मांग समस्या पैदा कर सकती है. हालांकि इस पर वाराणसी के डीएम और मस्जिद कमेटी फैसला ले सकते हैं. कोई वैकल्पिक रास्ता निकाल सकते हैं.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता वजू के लिए सही जगह की मांग कर रहे हैं. उनकी इस समस्या का हल निकालने के लिए वाराणसी के डीएम को मस्जिद कमेटी के साथ 18 अप्रैल को बैठक करके कोई समाधान निकालना चाहिए. अगर बैठक में कोई हल निकलता है या फिर मोबाइल वाशरूम के लिए आपसी सहमति बनती है तो बिना अगले आदेश के इसे लागू किया जा सकता है.

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