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Manish Kashyap को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, NSA लगाने पर तमिलनाडु सरकार को नोटिस

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Published : Apr 21, 2023, 12:20 PM IST

Updated : Apr 21, 2023, 6:25 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूबर मनीष कश्यप को बड़ी राहत दी है. साथ ही NSA लगाने पर तमिलनाडु सरकार को नोटिस भी जारी किया गया है. SC ने तमिलनाडु सरकार से पूछा है कि आखिर मनीष कश्यप पर NSA क्यो लगाया गया है?

Manish Kashyap
Manish Kashyap

दिल्ली/पटना: बिहार के फेमस यूट्यूबर मनीष कश्यप की मुश्किलें अब थोड़ी कम होती दिख रही है. सुप्रीम कोर्ट में मनीष कश्यप मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान मनीष कश्यप को कोर्ट से बड़ी राहत मिलती दिख रही है. मनीष कश्यप मामले को लेकर कोर्ट का रुख नरम नजर आया. मनीष कश्यप पर एनएसए लगाने को लेकर कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है. मनीष कश्यप को अगले आदेश तक मदुरई जेल में रखा जाएगा.

पढ़ें- Manish Kashyap Case: मदुरई कोर्ट से मनीष कश्यप को नहीं मिली राहत, 15 दिन और बढ़ी रिमांड

Manish Kashyap को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत : सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि वह यूट्यूबर मनीष कश्यप को मदुरई जेल से दूसरी जेल में नहीं ले जाए, क्योंकि राज्य में कई प्राथमिकी दर्ज की गई हैं. कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से मनीष कश्यप के खिलाफ एनएसए (NSA) लगाने के औचित्य के बारे में भी पूछा. मनीष कश्यप के वकील सिद्धार्थ दवे ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामला प्रस्तुत किया. दवे ने न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा से कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ एनएसए लगाया गया है और बताया कि मनीष कश्यप के खिलाफ तमिलनाडु में छह और बिहार में तीन प्राथमिकी दर्ज हैं.

कोर्ट ने पूछा, मनीष के खिलाफ NSA क्यों? : मुख्य न्यायाधीश ने आश्चर्य जताया कि राज्य ने इस मामले में मनीष कश्यप के खिलाफ एनएसए क्यों लगाया है, और तमिलनाडु सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से पूछा, मिस्टर सिब्बल, यह एनएसए क्या है?, इस आदमी के खिलाफ यह प्रतिशोध क्यों? सिब्बल ने कहा कि उन्होंने फर्जी वीडियो बनाकर दावा किया कि तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों पर हमले हो रहे हैं. पीठ ने कहा कि वह याचिकाकर्ता के खिलाफ तमिलनाडु में दर्ज एफआईआर को बिहार स्थानांतरित करने की इच्छुक है.

'मनीष कश्यप एक राजनेता हैं, न कि पत्रकार' : एफआईआर के ट्रांसफर का विरोध करते हुए, कपिल सिब्बल ने कहा कि मनीष कश्यप के 60 लाख फॉलोअर हैं और वह एक राजनेता हैं, न कि पत्रकार. वह चुनाव लड़ा है. उन्होंने कहा कि मनीष कश्यप ने तमिलनाडु में प्राथमिकी दर्ज करने को सही ठहराते हुए दक्षिणी राज्य में इंटरव्यू किए थे. वहीं, बिहार सरकार के वकील ने तमिलनाडु के एफआईआर को बिहार में ट्रांसफर करने का विरोध किया और तर्क दिया कि अलग-अलग अपराध हैं और मनीष कश्यप एक आदतन अपराधी हैं.

28 अप्रैल को अगली सुनवाई : इस बीच कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को एनएसए के तहत उनकी नजरबंदी को चुनौती देने के लिए याचिका में संशोधन करने की अनुमति दी और तमिलनाडु और बिहार सरकारों को नोटिस भी जारी किया. पीठ ने कहा, अनुच्छेद 32 के तहत मांगी गई राहत के अलावा, याचिकाकर्ता एनएसए के तहत नजरबंदी के आदेश को चुनौती देना चाहता है. याचिकाकर्ता को याचिका में संशोधन करने की अनुमति है. संशोधित प्रार्थनाओं पर नोटिस जारी करें. दवे ने अदालत से आग्रह किया कि उनके मुवक्किल को मदुरई जेल से कहीं और न ले जाने देने का निर्देश दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से उसे मदुरई की जेल से कहीं और नहीं ले जाने के लिए भी कहा और मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल की तारीख तय की.

मनीष कश्यप पर NSA लगाने को लेकर तमिलनाडु सरकार को नोटिस: बता दें कि बिहार के फेमस यूट्यूबर मनीष कश्यप पर तमिलनाडु में हिंदी भाषी अप्रवासी मजदूरों के साथ कथित हिंसा मामले में फेक वीडियो प्रसारित करने का आरोप है. मनीष पर बिहार और तमिलनाडु में इस मामले को लेकर कुल पांच केस दर्ज हैं. मनीष कश्यप ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके मांग की थी कि उनपर दर्ज सभी मामलों की सुनवाई एक जगह की जाए. साथ ही मनीष कश्यप ने अपने ऊपर एनएसए लगाने को लेकर भी SC में याचिका दायर की थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा NSA लगाने का आधार: कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी कर सवाल किया है कि यूट्यूबर मनीष कश्यप पर NSA क्यो लगाया गया है. नोटिस में सुप्रीम कोर्ट ने एनएसए लगाने को लेकर सवाल किया है जिसका जवाब तमिलनाडु सरकार को देना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने मनीष कश्यप पर NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) लगाने का आधार पूछा है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी.

दिल्ली/पटना: बिहार के फेमस यूट्यूबर मनीष कश्यप की मुश्किलें अब थोड़ी कम होती दिख रही है. सुप्रीम कोर्ट में मनीष कश्यप मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान मनीष कश्यप को कोर्ट से बड़ी राहत मिलती दिख रही है. मनीष कश्यप मामले को लेकर कोर्ट का रुख नरम नजर आया. मनीष कश्यप पर एनएसए लगाने को लेकर कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है. मनीष कश्यप को अगले आदेश तक मदुरई जेल में रखा जाएगा.

पढ़ें- Manish Kashyap Case: मदुरई कोर्ट से मनीष कश्यप को नहीं मिली राहत, 15 दिन और बढ़ी रिमांड

Manish Kashyap को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत : सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि वह यूट्यूबर मनीष कश्यप को मदुरई जेल से दूसरी जेल में नहीं ले जाए, क्योंकि राज्य में कई प्राथमिकी दर्ज की गई हैं. कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से मनीष कश्यप के खिलाफ एनएसए (NSA) लगाने के औचित्य के बारे में भी पूछा. मनीष कश्यप के वकील सिद्धार्थ दवे ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामला प्रस्तुत किया. दवे ने न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा से कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ एनएसए लगाया गया है और बताया कि मनीष कश्यप के खिलाफ तमिलनाडु में छह और बिहार में तीन प्राथमिकी दर्ज हैं.

कोर्ट ने पूछा, मनीष के खिलाफ NSA क्यों? : मुख्य न्यायाधीश ने आश्चर्य जताया कि राज्य ने इस मामले में मनीष कश्यप के खिलाफ एनएसए क्यों लगाया है, और तमिलनाडु सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से पूछा, मिस्टर सिब्बल, यह एनएसए क्या है?, इस आदमी के खिलाफ यह प्रतिशोध क्यों? सिब्बल ने कहा कि उन्होंने फर्जी वीडियो बनाकर दावा किया कि तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों पर हमले हो रहे हैं. पीठ ने कहा कि वह याचिकाकर्ता के खिलाफ तमिलनाडु में दर्ज एफआईआर को बिहार स्थानांतरित करने की इच्छुक है.

'मनीष कश्यप एक राजनेता हैं, न कि पत्रकार' : एफआईआर के ट्रांसफर का विरोध करते हुए, कपिल सिब्बल ने कहा कि मनीष कश्यप के 60 लाख फॉलोअर हैं और वह एक राजनेता हैं, न कि पत्रकार. वह चुनाव लड़ा है. उन्होंने कहा कि मनीष कश्यप ने तमिलनाडु में प्राथमिकी दर्ज करने को सही ठहराते हुए दक्षिणी राज्य में इंटरव्यू किए थे. वहीं, बिहार सरकार के वकील ने तमिलनाडु के एफआईआर को बिहार में ट्रांसफर करने का विरोध किया और तर्क दिया कि अलग-अलग अपराध हैं और मनीष कश्यप एक आदतन अपराधी हैं.

28 अप्रैल को अगली सुनवाई : इस बीच कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को एनएसए के तहत उनकी नजरबंदी को चुनौती देने के लिए याचिका में संशोधन करने की अनुमति दी और तमिलनाडु और बिहार सरकारों को नोटिस भी जारी किया. पीठ ने कहा, अनुच्छेद 32 के तहत मांगी गई राहत के अलावा, याचिकाकर्ता एनएसए के तहत नजरबंदी के आदेश को चुनौती देना चाहता है. याचिकाकर्ता को याचिका में संशोधन करने की अनुमति है. संशोधित प्रार्थनाओं पर नोटिस जारी करें. दवे ने अदालत से आग्रह किया कि उनके मुवक्किल को मदुरई जेल से कहीं और न ले जाने देने का निर्देश दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से उसे मदुरई की जेल से कहीं और नहीं ले जाने के लिए भी कहा और मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल की तारीख तय की.

मनीष कश्यप पर NSA लगाने को लेकर तमिलनाडु सरकार को नोटिस: बता दें कि बिहार के फेमस यूट्यूबर मनीष कश्यप पर तमिलनाडु में हिंदी भाषी अप्रवासी मजदूरों के साथ कथित हिंसा मामले में फेक वीडियो प्रसारित करने का आरोप है. मनीष पर बिहार और तमिलनाडु में इस मामले को लेकर कुल पांच केस दर्ज हैं. मनीष कश्यप ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके मांग की थी कि उनपर दर्ज सभी मामलों की सुनवाई एक जगह की जाए. साथ ही मनीष कश्यप ने अपने ऊपर एनएसए लगाने को लेकर भी SC में याचिका दायर की थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा NSA लगाने का आधार: कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी कर सवाल किया है कि यूट्यूबर मनीष कश्यप पर NSA क्यो लगाया गया है. नोटिस में सुप्रीम कोर्ट ने एनएसए लगाने को लेकर सवाल किया है जिसका जवाब तमिलनाडु सरकार को देना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने मनीष कश्यप पर NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) लगाने का आधार पूछा है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी.

Last Updated : Apr 21, 2023, 6:25 PM IST
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