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केंद्र ने SC में इलेक्ट्रॉल बॉन्ड सिस्टम को बताया पारदर्शी, 6 दिसंबर को अगली सुनवाई

उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड के जरिये राजनीतिक दलों को धन उपलब्ध कराने की अनुमति संबंधी कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की

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Published : Oct 14, 2022, 6:17 AM IST

Updated : Oct 14, 2022, 1:30 PM IST

चुनावी बॉण्ड योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं की उच्चतम न्यायालय में सुनवाई शुक्रवार को
चुनावी बॉण्ड योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं की उच्चतम न्यायालय में सुनवाई शुक्रवार को

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड के जरिये राजनीतिक दलों को धन उपलब्ध कराने की अनुमति संबंधी कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई की. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इलेक्ट्रॉल बॉन्ड सिस्टम को पारदर्शी बताया. वहीं अब इस केस की अगली सुनवाई 6 दिसंबर को करेगा.

बता दें, चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाने के प्रयास के तहत राजनीतिक दलों को दी जाने वाली नकद राशि के विकल्प के तौर पर बॉन्ड की शुरुआत की गयी है. न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) तथा अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई कर सकती है.

पढ़ें: किसी समुदाय को धार्मिक प्रतीक पहनने की अनुमति देना धर्मनिरपेक्षता के उलट : जस्टिस गुप्ता

एनजीओ की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने गत पांच अप्रैल को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना के समक्ष मामले का उल्लेख किया था और कहा था कि यह मामला बहुत ही गंभीर है तथा इसकी त्वरित सुनवाई की जरूरत है. उस वक्त शीर्ष अदालत ने एनजीओ की याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी, लेकिन इसे अब तक सूचीबद्ध नहीं किया जा सका था. सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना दो जनवरी 2018 को अधिसूचित की थी.

पीटीआई-भाषा

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड के जरिये राजनीतिक दलों को धन उपलब्ध कराने की अनुमति संबंधी कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई की. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इलेक्ट्रॉल बॉन्ड सिस्टम को पारदर्शी बताया. वहीं अब इस केस की अगली सुनवाई 6 दिसंबर को करेगा.

बता दें, चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाने के प्रयास के तहत राजनीतिक दलों को दी जाने वाली नकद राशि के विकल्प के तौर पर बॉन्ड की शुरुआत की गयी है. न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) तथा अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई कर सकती है.

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एनजीओ की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने गत पांच अप्रैल को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना के समक्ष मामले का उल्लेख किया था और कहा था कि यह मामला बहुत ही गंभीर है तथा इसकी त्वरित सुनवाई की जरूरत है. उस वक्त शीर्ष अदालत ने एनजीओ की याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी, लेकिन इसे अब तक सूचीबद्ध नहीं किया जा सका था. सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना दो जनवरी 2018 को अधिसूचित की थी.

पीटीआई-भाषा

Last Updated : Oct 14, 2022, 1:30 PM IST
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