जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में लोहा मंडी के लिए जमीन अवाप्ति से जुडे़ मामले में राज्य सरकार की नगरीय विकास विभाग के पेंडिंग केसों के निस्तारण के लिए बनाई गई मंत्रीमंडलीय एम्पावर्ड कमेटी व जेडीए की ओर से अदालती आदेशों की पालना नहीं करने को गंभीर माना है. इसके साथ ही अदालत ने एम्पावर्ड कमेटी के सदस्यों स्वायत्त व नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल, उद्योग मंत्री परसादी लाल मीना, तत्कालीन राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, महिला व बाल विकास मंत्री ममता भूपेश, जनजातीय राज्य मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया व जेडीए के संबंधित जोन उपायुक्त को 28 नवंबर को हाजिर होने के कहा है.
यह कहा सुप्रीम कोर्ट नेः अदालत ने इन मंत्रियों व अधिकारी से पूछा है कि क्यों न इसके लिए उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह साबित है कि उनके 7 अगस्त 2023 को दिए गए आदेशों की पालना जानबूझकर नहीं की है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दिपांकर दत्ता की खंडपीठ ने यह आदेश मोती भवन निर्माण सहकारी समिति की एसएलपी पर सुनवाई करते हुए दिए.
यह है मामलाः एसएलपी में अधिवक्ता अभिषेक गुप्ता व आरके स्वामी ने बताया कि राज्य सरकार ने 2003 में लोहा मंडी के लिए प्रार्थी की दस बीघा जमीन को अवाप्त किया था, लेकिन अवार्ड नहीं दिया गया. यह मामला हाईकोर्ट से होता हुआ सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. इस दौरान 23 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों को नोटिस जारी कर प्रार्थी के पक्ष में स्टे दे दिया. मामला पेंडिंग रहने के दौरान राज्य सरकार की मंत्रीमंडलीय एम्पावर्ड कमेटी व जेडीए की 14 फरवरी 2021 को एक मीटिंग हुई और उसमें प्रार्थी समिति को अवाप्त करने वाली जमीन के बदले में अन्य समान जमीन देने का निर्णय लिया.
वहीं इस संबंध में जेडीए ने शपथ पत्र भी पेश कर दिया. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 7 अगस्त 2023 को आदेश जारी कर तीन महीने में आदेश की पालना करने के लिए कहा. इसके बावजूद जेडीए ने पालना करने की बजाए प्रार्थी पक्ष को एक डिमांड नोटिस जारी किया. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग एसएलपी को भी वापस लेने के लिए कहा. सुनवाई के दौरान प्रार्थी पक्ष ने राज्य सरकार व जेडीए के इस रवैये की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी थी.