नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta Setalvad) को अंतरिम जमानत दे दी. सीतलवाड़ को 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में कथित रूप से 'बेगुनाह लोगों' को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने के मामले में गिरफ्तार किया गया था. प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति एस. रवीन्द्र भट और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने सीतलवाड़ को गुजरात उच्च न्यायालय में नियमित जमानत याचिका पर निर्णय होने तक अपना पासपोर्ट निचली अदालत के पास जमा कराने का निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने सीतलवाड़ को दंगा मामलों में लोगों को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने के आरोपों की जांच में संबंधित एजेंसी के साथ सहयोग करने को भी कहा.
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Supreme Court grants interim bail to activist Teesta Setalvad in a case where she was arrested for allegedly fabricating documents to frame innocent people in 2002 Gujarat riots cases pic.twitter.com/7OttDYWMmg
— ANI (@ANI) September 2, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) September 2, 2022Supreme Court grants interim bail to activist Teesta Setalvad in a case where she was arrested for allegedly fabricating documents to frame innocent people in 2002 Gujarat riots cases pic.twitter.com/7OttDYWMmg
— ANI (@ANI) September 2, 2022
पीठ ने सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत (SC grants interim bail to Teesta Setalvad) मंजूर करते हुए कहा, 'एक महिला अपीलकर्ता गत 25 जून से हिरासत में है. उनके खिलाफ आरोप 2002 के दंगा मामले से जुड़े हैं और जांच एजेंसी को सात दिनों की हिरासत और उसके बाद न्यायिक हिरासत का अवसर दिया गया था.' मामले के ब्योरेबार जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय को नियमित जमानत याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता की अंतरिम जमानत अर्जी पर विचार करना चाहिए था.
पीठ ने कहा, हिरासत में पूछताछ संबंधी जरूरी अवयव पूरे हो गये हैं, ऐसे में अंतरिम जमानत पर सुनवाई होनी चाहिए थी. न्यायालय ने आगे कहा कि सीतलवाड़ सात दिनों के लिए पुलिस हिरासत में थी. पीठ ने कहा कि चूंकि उच्च न्यायालय के पास यह मामला लंबित है, इसलिए यह नियमित जमानत याचिका पर विचार नहीं कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम केवल इस बात पर विचार कर रहे हैं कि ऐसी अर्जी लंबित होने के दौरान क्या अपीलकर्ता को हिरासत में ही रखा जाना चाहिए या उन्हें अंतरिम जमानत पर छोड़ा जाना चाहिए. हम तीस्ता सीतलवाड़ की अंतरिम जमानत मंजूर करते हैं.
शीर्ष अदालत ने गुरुवार को गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा सीतलवाड़ की जमानत याचिका को सूचीबद्ध करने में देरी का कारण जानना चाहा था और पूछा था कि क्या इस महिला को अपवाद समझा गया है. न्यायालय ने इस बात पर भी अचरज जाहिर किया था कि आखिरकार उच्च न्यायालय ने सीतलवाड़ की जमानत अर्जी पर राज्य सरकार को नोटिस जारी करने के छह सप्ताह बाद 19 सितंबर को याचिका सूचीबद्ध क्यों की थी.
जकिया जाफरी मामले में शीर्ष अदालत के 24 अगस्त के फैसले के बाद सीतलवाड़ के खिलाफ दर्ज मामले का उल्लेख करते हुए पीठने कहा, 'आज यह मामला जहां पहुंचा है, वह केवल (उच्चतम) न्यायालय में जो कुछ घटित (फैसला) हुआ, उसकी वजह से है.' सीतलवाड़ को फैसला सुनाये जाने के एक दिन बाद 25 जून को गिरफ्तार किया गया था. गुजरात उच्च न्यायालय ने सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर तीन अगस्त को राज्य सरकार को नोटिस जाराी करके मामले की सुनवाई के लिए 19 सितम्बर की तारीख मुकर्रर की थी. गौरतलब है कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा के निकट साबरमती एक्सप्रेस का एक कोच जलाये जाने की घटना में अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवक मारे गये थे, जिसके बाद गुजरात में दंगे फैल गये थे.
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अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने 30 जुलाई को इस मामले में सीतलवाड़ और गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उनकी रिहाई से गलत काम करने वालों को संदेश जाएगा कि एक व्यक्ति आरोप भी लगा सकता है और उसका दोष माफ भी किया जा सकता है. सीतलवाड़ और श्रीकुमार पर गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के मामलों में 'निर्दोष लोगों' को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने का आरोप लगाया गया है.