नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने हरियाणा के नूंह में कथित तौर पर हिंदुओं के जबरन धर्मांतरण मामले की जांच (Forced conversion case probe) के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का अनुरोध करने वाली याचिका आज (सोमवार) खारिज कर दी.
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमणा (Chief Justice NV Ramana), न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना (Justice AS Bopanna) और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह से कहा कि क्षमा करें, याचिका खारिज की जाती है.
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सिंह ने पीठ को बताया कि दो याचिकाकर्ता क्षेत्र में गए थे और उन्होंने 21 वर्षीय निकिता तोमर के परिवार सहित अन्य लोगों से मुलाकात की थी. तोमर की पिछले वर्ष अक्टूबर में वल्लभगढ़ में कॉलेज के अंदर घुस कर हत्या कर दी गई थी.
पीठ ने कहा, हमें नहीं लगता कि समाचार पत्रों की खबरों पर आधारित इस याचिका पर हमें सुनवाई करनी चाहिए. हत्या मामले का एक आरोपी तौसीफ छात्रा पर विवाह का दबाव बना रहा था. इस वर्ष मार्च में हरियाणा के फरीदाबाद की त्वरित अदालत ने तोमर की हत्या के जुर्म में दो लोगों को ताउम्र कैद की सजा सुनाई थी.
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अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दाखिल की गई याचिका में आरोप लगाया गया है कि नूंह में हिंदुओं का जीवन, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और धार्मिक अधिकारों का अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों द्वारा 'लगातार उल्लंघन' किया जा रहा है,जिनका वहां दबदबा है.
उत्तर प्रदेश के अधिवक्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के समूह द्वारा दाखिल याचिका में दावा किया गया है कि राज्य सरकार, जिला प्रशासन और पुलिस अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने में नाकाम रहे हैं, जिसके कारण हिंदुओं की जिंदगियां और उनकी स्वतंत्रता, खासतौर पर महिलाओं और दलितों की, संकट में हैं और वे वहां दबदबे वाले समूह के भय के साये में जिंदग जीने को मजबूर हैं.
याचिका में उच्चतम न्यायालय से एसआईटी के गठन का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.
(भाषा)