नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे बच्चों की सुरक्षा व पुनर्वास के लिए एनसीपीसीआर गाइडलाइंस का पालन करें. साथ ही बच्चों के पुनर्वास के लिए सरकारें उपयुक्त कदम उठायें. न्यायमूर्ति एलएन राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ कोविड-19 महामारी के कारण सड़क पर गुजर बसर करने वाले बच्चों के संबंध में स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई की.
कोविड के दौरान कई बच्चों ने अपने माता-पिता या अभिभावकों को खो दिया है और अनाथ हो गये हैं. दिल्ली और तमिलनाडु सरकार ने अदालत को बताया कि वे बचाव और पुनर्वास के लिए अपनी योजनाएं लेकर आए हैं. कोर्ट ने उनसे बच्चों की पहचान कर योजना लागू करने को कहा है. महीनों से चल रहे मामले में राज्य, बच्चों की शिनाख्त तक नहीं कर पाये हैं. अदालत ने बताया कि करीब 15 लाख बच्चे जरूरतमंद हैं लेकिन केवल 17000 की पहचान की गई है.
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जस्टिस राव ने कहा कि अपने अधिकारियों को थोड़ा सतर्क रहने और बच्चों के पुनर्वास के लिए कहें. कोर्ट ने पिछली सुनवाई में भी मामले में प्रगति की गति पर निराशा व्यक्त की थी. कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 25 अप्रैल से 2 सप्ताह के भीतर योजनाओं के संबंध में अपनी स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है. दो हफ्ते बाद मई में इस मामले की फिर सुनवाई होगी.