नई दिल्ली : सरकार ने शुक्रवार को बताया कि हाल ही में उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम (SCC) द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति के 18 प्रस्तावों पर पुनर्विचार की मांग की गई थी जिसकी समीक्षा करते हुए कॉलेजियम ने छह मामलों को दोहराने का निश्चय किया. लोकसभा में सौगत राय और दीपक बैज के प्रश्न के लिखित उत्तर में विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने बताया कि इनमें से सात मामलों में एससीसी ने उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम से अद्यतन जानकारी मांगी है और पांच मामलों को उच्च न्यायालयों को भेजने का निश्चय किया.
सौगत राय और दीपक बैज ने पूछा था कि क्या सरकार ने हाल के दिनों में उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के प्रस्तावों को वापस कर दिया है? यदि हां, तो इसका ब्यौरा दें और उच्चतम न्यायालय द्वारा इस संबंध में व्यक्त किये गए विचार क्या हैं ? विधि एवं न्याय मंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 224 तथा उच्चतम न्यायालय के 6 अक्टूबर 1993 (दूसरा न्यायाधीश मामला) के साथ पठित 28 अक्टूबर 1998 (तीसरा न्यायाधीश मामला) की उनकी राय के निर्णय के अनुसरण में 1998 में तैयार किये गए प्रक्रिया ज्ञापन के अनुसार की जाती है.
उन्होंने बताया कि 2021 में उच्चतम न्यायालय में 9 और उच्च न्यायालयों में 120 न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई. 2022 में उच्चतम न्यायालय में 3 और उच्च न्यायालयों में 165 न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई. रीजीजू ने कहा कि एक फरवरी 2023 तक की स्थिति के अनुसार उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों के 34 स्वीकृत पदों में से 27 न्यायाधीश कार्यरत हैं. हाल ही में उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम से सात रिक्त पदों की सिफारिशें प्राप्त हुई हैं. उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालयों में 1108 न्यायाधीशों के स्वीकृत पदों में से 775 न्यायाधीश कार्यरत हैं तथा 333 पद रिक्त हैं.
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(पीटीआई-भाषा)