नई दिल्ली : मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर शाखा द्वारा उच्च न्यायिक सेवाओं के लिए आयोजित प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षित वर्ग के तहत सफल हुए एक वकील ने उम्र मानदंड में बदलाव को चुनौती दी है. प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और हृषिकेश रॉय की पीठ का प्रथम दृष्टया विचार था कि अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में एक उम्मीदवार के चयन के लिए उम्र मानदंड बदलने का मुद्दा उच्च न्यायालय के अधिकारों के दायरे में है.
द्वारक्य सावले ने राज्य में उच्च न्यायिक सेवाओं (एचजेएस) में उम्मीदवारों के चयन के लिए आयु 48 वर्ष से 45 वर्ष करने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है और आयु गणना पर खुद के लिए छूट का अनुरोध किया है. पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आप खुद स्पष्ट नहीं हैं. जिस तरह से पक्ष व्यक्तिगत रूप से बहस कर रहा है, उससे हम खुश नहीं हैं. पीठ ने कहा कि हम आपके तर्कों को समझने में असमर्थ हैं. आप जिला न्यायाधीश बनना चाहते हैं लेकिन आप नहीं जानते कि किसी मामले पर बहस कैसे करें.
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याचिकाकर्ता वकील बहस करता रहा तो पीठ ने उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को आदेश दिया कि बहुविकल्पीय प्रश्न पत्रों के साथ उनकी उत्तर पुस्तिकाओं को सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत करें. एचजेएस के लिए मुख्य परीक्षा अगस्त के अंतिम सप्ताह में आयोजित होने वाली है. शीर्ष अदालत ने अब याचिका पर अगस्त के दूसरे सप्ताह में सुनवाई की तारीख तय की है.
(पीटीआई-भाषा)