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Gyanvapi Masjid ASI Survey: SC ने एएसआई सर्वे की दी अनुमति, लेकिन रखी ये बड़ी शर्त - उच्चतम न्यायालय

मुस्लिम निकाय अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई के सर्वेक्षण का इरादा इतिहास खंगालना है और यह अतीत के घावों को फिर से हरा कर देगा.

Supreme Court
सु्प्रीम कोर्ट
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Published : Aug 4, 2023, 4:33 PM IST

Updated : Aug 4, 2023, 6:45 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की अनुमति देने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और जोर दिया कि स्थल पर कोई खुदाई नहीं होनी चाहिए. ज्ञानवापी मस्जिद समिति का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी ने मस्जिद परिसर पर एएसआई सर्वेक्षण पर कड़ी आपत्ति जताई.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला व न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि हमें इस स्तर पर उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए. शीर्ष अदालत ने कहा कि हम उच्च न्यायालय के दृष्टिकोण से असहमत हैं, जिसमें उन्होंने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया था. दरअसल, निचली अदालत ने सर्वे खुदाई शब्द का प्रयोग किया था. इसके तहत पेनिट्रेटिंग रडार तकनीक का प्रयोग किया जाता है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने खोदाई नहीं करने का आदेश दे दिया है. मुस्लिम पक्ष को सबसे अधिक आपत्ति खोदाई पर ही है.

शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि पूरा सर्वेक्षण गैर-आक्रामक तरीकों से किया जाना चाहिए और साथ ही मस्जिद की दीवारों या ढांचे को कोई खुदाई या क्षति नहीं होनी चाहिए. मुस्लिम निकाय अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई के सर्वेक्षण का इरादा इतिहास खंगालना है और यह अतीत के घावों को फिर से हरा कर देगा.

मस्जिद प्रबंधन समिति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की यह कवायद इतिहास को कुरेदने, पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन करने और भाईचारे और धर्मनिरपेक्षता को प्रभावित करने के लिए की जा रही है.

पीठ ने कहा कि आप एक ही आधार पर हर अंतरिम आदेश का विरोध नहीं कर सकते और आपकी आपत्तियों पर सुनवाई के दौरान फैसला किया जाएगा. अहमदी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सर्वेक्षण आदेश पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि एएसआई सर्वेक्षण का इरादा इतिहास खंगालकर यह जानने का है कि 500 साल पहले क्या हुआ था. यह अतीत के घावों को फिर से हरा कर देगा.

अहमदी ने कहा कि सर्वेक्षण पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 का उल्लंघन करता है, जो 1947 में मौजूद धार्मिक स्थानों के चरित्र में बदलाव को निषिद्ध करता है. शीर्ष अदालत ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई सर्वेक्षण की अनुमति देने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई कर रही है. उच्च न्यायालय ने गुरुवार को ज्ञानवापी समिति की ओर से दायर वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें जिला अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की अनुमति देने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और जोर दिया कि स्थल पर कोई खुदाई नहीं होनी चाहिए. ज्ञानवापी मस्जिद समिति का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी ने मस्जिद परिसर पर एएसआई सर्वेक्षण पर कड़ी आपत्ति जताई.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला व न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि हमें इस स्तर पर उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए. शीर्ष अदालत ने कहा कि हम उच्च न्यायालय के दृष्टिकोण से असहमत हैं, जिसमें उन्होंने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया था. दरअसल, निचली अदालत ने सर्वे खुदाई शब्द का प्रयोग किया था. इसके तहत पेनिट्रेटिंग रडार तकनीक का प्रयोग किया जाता है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने खोदाई नहीं करने का आदेश दे दिया है. मुस्लिम पक्ष को सबसे अधिक आपत्ति खोदाई पर ही है.

शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि पूरा सर्वेक्षण गैर-आक्रामक तरीकों से किया जाना चाहिए और साथ ही मस्जिद की दीवारों या ढांचे को कोई खुदाई या क्षति नहीं होनी चाहिए. मुस्लिम निकाय अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई के सर्वेक्षण का इरादा इतिहास खंगालना है और यह अतीत के घावों को फिर से हरा कर देगा.

मस्जिद प्रबंधन समिति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की यह कवायद इतिहास को कुरेदने, पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन करने और भाईचारे और धर्मनिरपेक्षता को प्रभावित करने के लिए की जा रही है.

पीठ ने कहा कि आप एक ही आधार पर हर अंतरिम आदेश का विरोध नहीं कर सकते और आपकी आपत्तियों पर सुनवाई के दौरान फैसला किया जाएगा. अहमदी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सर्वेक्षण आदेश पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि एएसआई सर्वेक्षण का इरादा इतिहास खंगालकर यह जानने का है कि 500 साल पहले क्या हुआ था. यह अतीत के घावों को फिर से हरा कर देगा.

अहमदी ने कहा कि सर्वेक्षण पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 का उल्लंघन करता है, जो 1947 में मौजूद धार्मिक स्थानों के चरित्र में बदलाव को निषिद्ध करता है. शीर्ष अदालत ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई सर्वेक्षण की अनुमति देने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई कर रही है. उच्च न्यायालय ने गुरुवार को ज्ञानवापी समिति की ओर से दायर वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें जिला अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी.

Last Updated : Aug 4, 2023, 6:45 PM IST
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