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मुल्लापेरियार बांध : SC का आदेश- जब तक नियमित प्राधिकरण नहीं, निगरानी समिति देखे सारे काम - एनडीएसए के कार्यों का निर्वहन जारी रखे निगरानी समिति

मुल्लापेरियार बांध (Mullaperiyar dam) की सुरक्षा और रखरखाव को लेकर केरल और तमिलनाडु राज्यों के बीच विवाद से संबंधित मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में सुनवाई हुई. शीर्ष कोर्ट ने नया प्राधिकरण न बनने तक पर्यवेक्षी समिति (निगरानी समिति) को सभी कार्य देखने के आदेश दिए हैं.

Supreme court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Apr 8, 2022, 5:28 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि 126 साल पुराने मुल्लापेरियार बांध के सभी कार्य फिलहाल निगरानी समिति (supervisory committee) देखे. समिति राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (एनडीएसए) के सभी कार्यों और शक्तियों का निर्वहन तब तक करेगी, जब तक बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 के तहत एक नियमित राष्ट्रीय प्राधिकरण काम नहीं करता. शीर्ष अदालत ने कहा कि मौजूदा निगरानी समिति को मजबूत करने के लिए दो तकनीकी विशेषज्ञ सदस्यों को इसका हिस्सा बनाया जाएगा. एक तकनीकी विशेषज्ञ केरल से होगा जबकि एक तमिलनाडु का होगा.

नए सिरे से सुरक्षा की समीक्षा होगी : न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जब तक नियमित एनडीएसए कार्यशील नहीं हो जाता, तब तक पर्यवेक्षी समिति बांध की सुरक्षा से संबंधित सभी मामलों के लिए जवाबदेह होगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि पुनर्गठित निगरानी समिति मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा से जुड़े सभी मामलों पर फैसला करेगी और नए सिरे से सुरक्षा समीक्षा करेगी.

दरअसल शीर्ष अदालत मुल्लापेरियार बांध के बारे में मुद्दों को उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. मुल्लापेरियार बांध 1895 में केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर बनाया गया था. केरल चाहता है कि 126 साल पुराने बांध को खत्म कर नए बांध में बदल दिया जाए क्योंकि यह अब सुरक्षित नहीं है. तमिलनाडु का कहना है कि बांध में संरचनात्मक रूप से कोई समस्या नहीं है. जांच में पता चला है कि बांध बेहतर हालत में है. कोर्ट ने दोनों राज्यों से बातचीत करने और सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान निकालने को कहा था. दोनों राज्य समिति और विशेषज्ञ सदस्यों को समिति में शामिल करने पर सहमत हुए.

दोनों राज्यों और केंद्र सरकार का भी कोर्ट के समक्ष ये माना कि यह सबसे अच्छा होगा कि जब तक नया प्राधिकरण नहीं आता एक अंतरिम व्यवस्था के रूप में बांध को बनाए रखने के लिए पर्यवेक्षी समिति को सभी शक्तियां और कार्य सौंप दिए जाएं. केरल ने मौजूदा अध्यक्ष और समिति के सदस्यों पर आपत्ति जताई थी लेकिन अदालत ने फेरबदल के उसके अनुरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि एक नई समिति को अभ्यस्त होने में समय लगेगा और सुरक्षा अभी प्राथमिकता है.

आज अदालत ने आदेश दिया कि दोनों राज्यों के मुख्य सचिव पर्यवेक्षी समिति की सिफारिशों का पालन करने के लिए जिम्मेदार होंगे और विफलता के मामले में अदालत की अवमानना ​​​​और तदनुसार कार्रवाई की जाएगी. बांध के आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों जिन्हें बांध की सुरक्षा के संबंध में शिकायतें और आशंकाएं हैं, वे भी समिति से संपर्क कर सकते हैं. शीर्ष कोर्ट ने कहा यदि कोई समस्या है, तो राज्य अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं. मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी के लिए 2014 में शीर्ष अदालत ने पर्यवेक्षी समिति का गठन किया था.

पढ़ें- मुल्लापेरियार बांध: शीर्ष अदालत ने सुझाया कि ढांचागत सुरक्षा का मामला पर्यवेक्षी समिति सुलझा सकेगी

पढ़ें- Mullaperiyar dam: केरल सरकार की SC से मांग, स्वतंत्र समिति से कराएं समीक्षा

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि 126 साल पुराने मुल्लापेरियार बांध के सभी कार्य फिलहाल निगरानी समिति (supervisory committee) देखे. समिति राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (एनडीएसए) के सभी कार्यों और शक्तियों का निर्वहन तब तक करेगी, जब तक बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 के तहत एक नियमित राष्ट्रीय प्राधिकरण काम नहीं करता. शीर्ष अदालत ने कहा कि मौजूदा निगरानी समिति को मजबूत करने के लिए दो तकनीकी विशेषज्ञ सदस्यों को इसका हिस्सा बनाया जाएगा. एक तकनीकी विशेषज्ञ केरल से होगा जबकि एक तमिलनाडु का होगा.

नए सिरे से सुरक्षा की समीक्षा होगी : न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जब तक नियमित एनडीएसए कार्यशील नहीं हो जाता, तब तक पर्यवेक्षी समिति बांध की सुरक्षा से संबंधित सभी मामलों के लिए जवाबदेह होगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि पुनर्गठित निगरानी समिति मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा से जुड़े सभी मामलों पर फैसला करेगी और नए सिरे से सुरक्षा समीक्षा करेगी.

दरअसल शीर्ष अदालत मुल्लापेरियार बांध के बारे में मुद्दों को उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. मुल्लापेरियार बांध 1895 में केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर बनाया गया था. केरल चाहता है कि 126 साल पुराने बांध को खत्म कर नए बांध में बदल दिया जाए क्योंकि यह अब सुरक्षित नहीं है. तमिलनाडु का कहना है कि बांध में संरचनात्मक रूप से कोई समस्या नहीं है. जांच में पता चला है कि बांध बेहतर हालत में है. कोर्ट ने दोनों राज्यों से बातचीत करने और सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान निकालने को कहा था. दोनों राज्य समिति और विशेषज्ञ सदस्यों को समिति में शामिल करने पर सहमत हुए.

दोनों राज्यों और केंद्र सरकार का भी कोर्ट के समक्ष ये माना कि यह सबसे अच्छा होगा कि जब तक नया प्राधिकरण नहीं आता एक अंतरिम व्यवस्था के रूप में बांध को बनाए रखने के लिए पर्यवेक्षी समिति को सभी शक्तियां और कार्य सौंप दिए जाएं. केरल ने मौजूदा अध्यक्ष और समिति के सदस्यों पर आपत्ति जताई थी लेकिन अदालत ने फेरबदल के उसके अनुरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि एक नई समिति को अभ्यस्त होने में समय लगेगा और सुरक्षा अभी प्राथमिकता है.

आज अदालत ने आदेश दिया कि दोनों राज्यों के मुख्य सचिव पर्यवेक्षी समिति की सिफारिशों का पालन करने के लिए जिम्मेदार होंगे और विफलता के मामले में अदालत की अवमानना ​​​​और तदनुसार कार्रवाई की जाएगी. बांध के आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों जिन्हें बांध की सुरक्षा के संबंध में शिकायतें और आशंकाएं हैं, वे भी समिति से संपर्क कर सकते हैं. शीर्ष कोर्ट ने कहा यदि कोई समस्या है, तो राज्य अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं. मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी के लिए 2014 में शीर्ष अदालत ने पर्यवेक्षी समिति का गठन किया था.

पढ़ें- मुल्लापेरियार बांध: शीर्ष अदालत ने सुझाया कि ढांचागत सुरक्षा का मामला पर्यवेक्षी समिति सुलझा सकेगी

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