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सुखबीर बादल को जालसाजी के मामले में जमानत

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को जालसाजी के एक मामले में अंतरिम जमानत मिल गई है. पढ़ें पूरी खबर...

sukhbir badal
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Published : Sep 8, 2021, 11:01 PM IST

होशियारपुर : पंजाब के होशियापुर की एक अदालत ने बुधवार को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को जालसाजी के एक मामले में अंतरिम जमानत दे दी. आरोप है कि उनकी पार्टी ने भारत के निर्वाचन आयोग से मान्यता प्राप्त करने के लिए एक झूठा वचन दिया था.

होशियारपुर की अदालत में पेश हुए बादल को निजी मुचलके और एक-एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत मिली.

सामाजिक कार्यकर्ता बलवंत सिंह खेड़ा ने 2009 में बादल और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि शिअद के दो संविधान हैं. इनमें से एक को उसने गुरुद्वारा चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया था जबकि दूसरे संविधान को राजनीतिक दल के तौर पर मान्यता प्राप्त करने के लिये भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के सामने पेश किया था.

खेड़ा ने आरोप लगाया था कि शिअद ने चुनाव आयोग को झूठा वचन दिया था कि उसने समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को शामिल करने के लिए अपने संविधान में संशोधन किया था, जबकि इसने एक 'पंथिक' पार्टी के रूप में अपनी गतिविधियों को जारी रखा और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के चुनावों में भाग लिया.

पढ़ें :- अमरिंदर सिंह, सुखबीर बादल के बीच ट्विटर पर छिड़ी जंग

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रूपिंदर कौर की अदालत ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 28 सितंबर तय की है.

बादल के वकील ने उन्हें अगली तारीख पर व्यक्तिगत पेशी से छूट देने की अपील की, लेकिन अदालत ने उनसे उसी दिन इस संबंध में एक आवेदन पेश करने को कहा.

बादल ने यह कहते हुए अंतरिम जमानत के लिए एक अर्जी दायर की थी कि उनसे हिरासत में पूछताछ की जरूरत नहीं है और मामले के सह आरोपी दलजीत सिंह चीमा पहले से ही जमानत पर हैं.

बादल और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 465, 466, 467, 468 और 471 के तहत शिकायत दर्ज की गई है.

(पीटीआई-भाषा)

होशियारपुर : पंजाब के होशियापुर की एक अदालत ने बुधवार को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को जालसाजी के एक मामले में अंतरिम जमानत दे दी. आरोप है कि उनकी पार्टी ने भारत के निर्वाचन आयोग से मान्यता प्राप्त करने के लिए एक झूठा वचन दिया था.

होशियारपुर की अदालत में पेश हुए बादल को निजी मुचलके और एक-एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत मिली.

सामाजिक कार्यकर्ता बलवंत सिंह खेड़ा ने 2009 में बादल और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि शिअद के दो संविधान हैं. इनमें से एक को उसने गुरुद्वारा चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया था जबकि दूसरे संविधान को राजनीतिक दल के तौर पर मान्यता प्राप्त करने के लिये भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के सामने पेश किया था.

खेड़ा ने आरोप लगाया था कि शिअद ने चुनाव आयोग को झूठा वचन दिया था कि उसने समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को शामिल करने के लिए अपने संविधान में संशोधन किया था, जबकि इसने एक 'पंथिक' पार्टी के रूप में अपनी गतिविधियों को जारी रखा और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के चुनावों में भाग लिया.

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अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रूपिंदर कौर की अदालत ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 28 सितंबर तय की है.

बादल के वकील ने उन्हें अगली तारीख पर व्यक्तिगत पेशी से छूट देने की अपील की, लेकिन अदालत ने उनसे उसी दिन इस संबंध में एक आवेदन पेश करने को कहा.

बादल ने यह कहते हुए अंतरिम जमानत के लिए एक अर्जी दायर की थी कि उनसे हिरासत में पूछताछ की जरूरत नहीं है और मामले के सह आरोपी दलजीत सिंह चीमा पहले से ही जमानत पर हैं.

बादल और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 465, 466, 467, 468 और 471 के तहत शिकायत दर्ज की गई है.

(पीटीआई-भाषा)

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