नई दिल्ली : कोरोना वायरस वैक्सीन विदेश भेजे जाने को लेकर विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और जगह-जगह दिल्ली में पोस्टर लगाए हैं. इन पोस्टरों में लिखा गया कि मोदी जी हमारे बच्चों की वैक्सीन को विदेश क्यों भेज दिया? हालांकि इसके खिलाफ कई जगह एफआइआर भी दर्ज कराई गई हैं और लगातार कार्यवाही भी हो रही है. इस संबंध में कुछ गिरफ्तारियां भी की गई हैं, लेकिन बावजूद इसके विपक्ष ने इस मुद्दे को तूल दे रहा है.
दिल्ली सरकार सहित महाराष्ट्र ,पंजाब और छत्तीसगढ़ की सरकार लगातार ये आरोप लगा रही है कि उनके राज्य में 18 से 44 वर्ष के लोगों को दिए जाने वाले टीके में भारी कमी आ गई है और इस वजह से 45 प्लस आयु वाले लोगों को दूसरा डोज लगाया जाना मुश्किल हो रहा है.
यही नहीं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तो प्रधानमंत्री की तरफ से किए गए टेलिफोनिक कॉल पर कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी, जिसे लेकर सोशल मीडिया में भी काफी बवाल मचा. मगर चाहे मामला कुछ भी हो, लेकिन वैक्सीन की कमी और इसकी समय सीमा बढ़ाए जाने के बाद कहीं ना कहीं विपक्षी पार्टियों के निशाने पर जिस तरह से सरकार आई है, उसमें इस मुद्दे पर विपक्ष की राजनीति हावी हो रही है.
आम आदमी पार्टी के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री के खिलाफ पोस्टर वार को सहयोग देते हुए इस पोस्टर को साझा किया है. उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल किया है कि उन्होंने अपने देश की वैक्सीन को भारत से बाहर क्यों भेज दिया साथ ही ये भी ट्वीट किया कि वो गिरफ्तारी से नहीं डरते हैं.
हालांकि भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री के बचाव में लगातार मोर्चा खोले हुई है. हालांकि, प्रधानमंत्री के खिलाफ पोस्टर वार की शुरुआत आम आदमी पार्टी की तरफ से की गई थी, लेकिन इसका साथ देते हुए कांग्रेस ने भी प्रधानमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और लगातार वैक्सीन की कमी को मुद्दा बनाया जा रहा है.
इस पोस्टर के खिलाफ अभी तक दिल्ली पुलिस ने लगभग दो दर्जन लोगों को गिरफ्तार भी किया है और लगभग 25 एफआईआर भी दर्ज किए गए हैं, लेकिन फिर भी यह मामला थमता नजर नहीं आ रहा है.
कोविड-19 रोधी टीकाकरण अभियान से संबंधित प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए यह पोस्टर शहर के कई हिस्सों में लगा दिए गए थे, जिसमें लिखा हुआ था कि मोदी जी हमारे बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेज दी जिसके खिलाफ गिरफ्तारियां होते ही राहुल गांधी भी इस पोस्टर अभियान में शामिल हो गए और उन्होंने ट्वीट करते हुए दावा किया कि वह भी यह सवाल प्रधानमंत्री से पूछ रहे हैं यदि दिल्ली पुलिस को उन्हें भी गिरफ्तार करना हो तो गिरफ्तार कर सकती है.
यहां यह बताना जरूरी है कि 20 जनवरी से मार्च के अंत तक भारत में 53 देशों को 6.6 करोड़ टीके की खुराक निर्यात की गयी है. वहीं दूसरी तरफ सच्चाई यह भी है कि इनमें से अधिकतर देश ऐसे हैं, जहां संक्रमितों की संख्या या मृतकों की संख्या भारत से कम रही है.
भारतीय जनता पार्टी के नेता और सरकार के प्रवक्ता लगातार इस बात का खंडन करते हुए यह कह रहे हैं कि जो वैक्सीन विदेशों में भेजी गई है वह कमर्शियल लायबिलिटी और पीस कीपिंग फोर्स के लिए भेजी गई है, लेकिन कहीं ना कहीं कई राज्यों में हो रही वैक्सीन की भारी किल्लत ने अरब देशों सहित 93 देशों पर भारत की तरफ से भेजी गई वैक्सीन पर सवाल खड़े जरूर कर दिए हैं.
कई राज्यों की तरफ से मुख्यमंत्रियों की लगाई गई गुहार के बावजूद भी पर्याप्त टीके की सप्लाई संभव नहीं हो पा रही है. इससे पहले भी छत्तीसगढ़ में एनएसयूआई ने अपने कार्यकर्ताओं के साथ मोदी टीका दो स्लोगन के साथ सत्याग्रह और इंटरनेट मीडिया के जरिए सरकार के खिलाफ अभियान चलाया था और अब कई राज्यों में इस तरह के विरोध अभियान शुरू हो चुके हैं, जिस पर कहीं ना कहीं केंद्र सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है.
विपक्षी पार्टियां यह आरोप लगा रही हैं कि सरकार ने बगैर किसी तैयारी के 18 से 44 वर्ष के लोगों के लिए टीकाकरण का एलान कर दिया और अब उन्हें राज्य में टीका मुहैया कराने में दिक्कतें आ रही हैं. इतना ही नहीं विपक्षी पार्टियों के द्वारा सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस द्वारा ऐसे नेताओं से क्राइम ब्रांच द्वारा पूछताछ की, जो इस आपदा की घड़ी में लोगों की मदद कर रहे हैं. इसके खिलाफ भी सरकार की काफी आलोचना की जा रही है. इससे कहीं न कहीं सरकार बचाव की मुद्रा में नजर आ रही है.
इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी युवा इकाई भी एक्शन में आ गई है और आम आदमी पार्टी के खिलाफ पोस्टर लगाकर यह पूछा जा रहा है केजरीवाल आपने ऑक्सीजन की चोरी क्यों की और इसके पैसे विज्ञापन मैं क्यों लगाए?
बहरहाल भारतीय जनता पार्टी लगातार यह दावा कर रही है कि जो भी टीके दूसरे देशों में भेजे गए वह किसी ना किसी अनुबंध के तहत और कमर्शियल लायबिलिटी के तहत भेजे गए.
इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा ने ईटीवी से बताया कि जो इस तरह की बातें कर रहे हैं वह एक अफवाह फैला रहे हैं और सरकार को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि तथ्य यह है कि जब वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ने एस्ट्राजेनिका के साथ अनुबंध किया, तो उसमें यह शर्ते थी कि आपको इन देशों को आपको टीका देना होगा और इसी अनुबंध को सरकार ने पूरा किया.
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उन्होंने पूछा कि विपक्ष क्या चाहता है कि भारत अपने अनुबंध पर खरा नहीं उतरे और जो आज भारत को समर्थन मिल रहा है उससे कहीं ना कहीं भारत चूक जाए.
भाजपा नेता ने कहा कि आज जो समर्थन पूरे विश्व में मिल रहा है वह इसी वैक्सीन की वजह से मिल रहा है, क्योंकि हमारे वैक्सीन ने पूरे विश्व में स्वास्थ्य वर्कर और यूएन फोर्स के लिए इस्तेमाल किया गया और पूरे विश्व में भारत की इस वजह से सराहना हो रही है और आज जो भारत को मदद मिली है, उसमें बहुत बड़ा रोल इस वैक्सीन का भी है. इसे विपक्ष बदनाम करने का प्रयास कर रहा है और देश हित में काम नहीं कर रहा है और यह बातें देश के युवा समझ रहे हैं.
पार्टी प्रवक्ता का कहना है कि वैक्सीन पहले एक खास वर्ग को टारगेट कर उन्हें दिया जाना था, जिन्हें जरूरत थी, लेकिन अब इसे सब के लिए शुरू कर दिया गया है, तो लोगों को इंतजार करना चाहिए क्योंकि इसके आने में समय लगता है सुरक्षा की जरूरत होती है. इस तरह लोगों के बीच में जिस तरह से विपक्ष अफवाह फैला रहा है यह गलत है.