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Article 370 hearing: अनुच्छेद 370 पर सुनवाई के दौरान अकबर लोन पर उठे सवाल, हलफनामा पेश करने की मांग

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 4, 2023, 12:12 PM IST

सुप्रीम कोर्ट में आज अनुच्छेद 370 पर सुनवाई के दौरान एक नया विवाद खड़ा हो गया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य याचिकाकर्ता नेशनल कॉन्फ्रेंस से सांसद मोहम्मद अकबर लोन के रवैये पर सवाल उठाए. पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

Submit an affidavit owing allegiance to Indian Constitution Centre on Mohd Akbar Lone during Article 370 hearing
अनुच्छेद 370 पर सुनवाई के दौरान सांसद अकबर लोन पर उठे सवाल

नई दिल्ली: अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सोमवार को एक नया मोड़ आया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता को भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा रखते हुए एक हलफनामा पेश करना चाहिए. सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया कि मुख्य याचिकाकर्ता मोहम्मद अकबर लोन वही हैं जो कथित तौर पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का नारा लगाया था और अब अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती दी है. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इन आरोपों पर याचिकाकर्ता से जवाब मांगेगी.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल हैं. यह पीठ अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. एक वकील ने पीठ के समक्ष कहा कि याचिकाकर्ता अकबर लोन ने विधानसभा में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए थे और अदालत को सूचित किया कि उन्होंने इस मामले में तीन पेज का नोट जमा किया है.

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे मेहता ने कहा कि वह मुख्य याचिकाकर्ता हैं और सदन में पाकिस्तान जिंदाबाद कहने की उनकी अपनी गंभीरता है. अदालत को यह देखना चाहिए कि अनुच्छेद 370 जारी रखने के दावा कौन कर रहा है. वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि उन्हें माफी मांगनी चाहिए. मेहता ने कहा, 'उन्हें एक हलफनामा दायर करना चाहिए जिसमें कहा जाए कि मैं भारत के संविधान के प्रति निष्ठा रखता हूं.

उन्हें कहना चाहिए कि मैं जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद का पुरजोर विरोध करता हूं.' एक वकील ने कहा कि लोन ने कोई पछतावा नहीं दिखाया है. मेहता ने कहा, 'अकबर लोन को यह कहना चाहिए कि मैं जम्मू-कश्मीर और अन्य जगहों पर पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद का विरोध करता हूं. इसे रिकॉर्ड पर आना चाहिए. वह मुख्य याचिकाकर्ता हैं. वह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं हैं, वह एक सांसद हैं.'

एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील वी गिरी ने दलील दी कि देश की सर्वोच्च अदालत में किसी ने राष्ट्रपति के आदेशों को चुनौती दी है और वह अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगते हैं और उनकी दलीलें तभी मानी जानी चाहिए जब वह माफी मांगते हैं. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जब जवाब मांगा जाएगा तो अदालत वकील से बात करेगी.

मेहता ने कहा कि अदालत के संज्ञान में लाए जाने के बावजूद, वह कुछ नहीं करते हैं तो इससे दूसरों को प्रोत्साहन मिल सकता है और कहा कि देश में सामान्य स्थिति लाने के प्रयास प्रभावित हो सकते हैं. कश्मीरी पंडितों ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कार्यवाही में एक हलफनामा दायर किया जिसमें प्रमुख याचिकाकर्ताओं में से एक नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद मोहम्मद अकबर लोन की साख पर सवाल उठाया गया.

ये भी पढ़ें- Centre On Article 370: अनुच्छेद 370 पर केंद्र ने SC से कहा- जम्मू कश्मीर मे जल्द होंगे चुनाव, आयोग लेगा फैसला

कश्मीरी पंडितों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक प्रमुख संगठन 'रूट्स इन कश्मीर' ने दावा किया है कि अकबर लोन जम्मू-कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी ताकतों के एक ज्ञात समर्थक रहे हैं. उन्होंने जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पटल पर पाकिस्तान समर्थक नारे भी लगाए हैं. हलफनामे में संगठन ने संविधान पीठ के समक्ष अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की अनुमति मांगी है.

नई दिल्ली: अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सोमवार को एक नया मोड़ आया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता को भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा रखते हुए एक हलफनामा पेश करना चाहिए. सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया कि मुख्य याचिकाकर्ता मोहम्मद अकबर लोन वही हैं जो कथित तौर पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का नारा लगाया था और अब अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती दी है. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इन आरोपों पर याचिकाकर्ता से जवाब मांगेगी.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल हैं. यह पीठ अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. एक वकील ने पीठ के समक्ष कहा कि याचिकाकर्ता अकबर लोन ने विधानसभा में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए थे और अदालत को सूचित किया कि उन्होंने इस मामले में तीन पेज का नोट जमा किया है.

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे मेहता ने कहा कि वह मुख्य याचिकाकर्ता हैं और सदन में पाकिस्तान जिंदाबाद कहने की उनकी अपनी गंभीरता है. अदालत को यह देखना चाहिए कि अनुच्छेद 370 जारी रखने के दावा कौन कर रहा है. वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि उन्हें माफी मांगनी चाहिए. मेहता ने कहा, 'उन्हें एक हलफनामा दायर करना चाहिए जिसमें कहा जाए कि मैं भारत के संविधान के प्रति निष्ठा रखता हूं.

उन्हें कहना चाहिए कि मैं जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद का पुरजोर विरोध करता हूं.' एक वकील ने कहा कि लोन ने कोई पछतावा नहीं दिखाया है. मेहता ने कहा, 'अकबर लोन को यह कहना चाहिए कि मैं जम्मू-कश्मीर और अन्य जगहों पर पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद का विरोध करता हूं. इसे रिकॉर्ड पर आना चाहिए. वह मुख्य याचिकाकर्ता हैं. वह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं हैं, वह एक सांसद हैं.'

एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील वी गिरी ने दलील दी कि देश की सर्वोच्च अदालत में किसी ने राष्ट्रपति के आदेशों को चुनौती दी है और वह अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगते हैं और उनकी दलीलें तभी मानी जानी चाहिए जब वह माफी मांगते हैं. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जब जवाब मांगा जाएगा तो अदालत वकील से बात करेगी.

मेहता ने कहा कि अदालत के संज्ञान में लाए जाने के बावजूद, वह कुछ नहीं करते हैं तो इससे दूसरों को प्रोत्साहन मिल सकता है और कहा कि देश में सामान्य स्थिति लाने के प्रयास प्रभावित हो सकते हैं. कश्मीरी पंडितों ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कार्यवाही में एक हलफनामा दायर किया जिसमें प्रमुख याचिकाकर्ताओं में से एक नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद मोहम्मद अकबर लोन की साख पर सवाल उठाया गया.

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कश्मीरी पंडितों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक प्रमुख संगठन 'रूट्स इन कश्मीर' ने दावा किया है कि अकबर लोन जम्मू-कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी ताकतों के एक ज्ञात समर्थक रहे हैं. उन्होंने जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पटल पर पाकिस्तान समर्थक नारे भी लगाए हैं. हलफनामे में संगठन ने संविधान पीठ के समक्ष अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की अनुमति मांगी है.

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